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हम तो प्यार थामेंगे, भले हथियार तुम थामो

जंग जैसे दौर में एक कविता रोज में पढ़िए प्यार के बीज बोती रत्नेश कुमार की कविता 'चलो अब जंग हो फिर से.'

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फोटो - thelallantop
ये हैं रत्नेश कुमार. लल्लनटॉप डेली पढ़ते हैं. और अपने सुझाव भी भेजते हैं. पर इनकी एक बड़ी खासियत ये है कि लिखते भी लल्लनटॉप हैं. खासकर कविताएं. आजकल बीएचयू से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं. रहते भी बनारस में ही हैं. और जैसा कि हर बनारसी के साथ होता है, दर्शन में खासी रुचि रखते हैं. चाहे एटम बम का दर्शन हो या जीवन का. एक कविता रोज में इनकी कविता पढ़ जाइए, खुदै समझ जाएंगे -

चलो अब जंग हो फिर से

चलो अब जंग हो फिर से चलो कुछ हाथ में थामो कि हम तो प्यार थामेंगे भले हथियार तुम थामो
मगर सुन लो चुनौती है खुले तेरे दुकानों में मोहब्बत बस भरेंगे हम तेरे वहसी मकानों में कि हम तो फूट भर देंगे इशक को कूट भर देंगे तुम अपना सच मिटा दोगे जो अपनी झूठ भर देंगे मगर सुन लो मिटाना है नहीं कुछ हमको दुनिया में पुराना घर बसाना है वही फिर हमको दुनिया में जहां मिटटी रहे,खुशबू रहे बादल परिंदा हो कि जिसमें हम भी जिन्दा हो कि जिसमें तुम भी जिन्दा हो

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