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बापू, तुम मुर्गी खाते यदि?

एक कविता रोज़ में आज पढ़िए सूर्यकांत त्रिपाठी की कविता.

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फोटो - thelallantop
निराला. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’. 21 फ़रवरी 1896 - 15 अक्तूबर 1961. निराला इलाहाबाद में रहते थे. हिन्दी कविता के बारे में कहा जाता है कि वो निराला की कविता से जितनी उपकृत हुई है, वैसे ही उनके जीवन के क़िस्सों से. ऐसा ही एक नेहरू से जुड़ा हुआ है. जवाहरलाल नेहरू अपनी चीन यात्रा से लौटे थे. अपने घर इलाहाबाद में जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे. बक़ौल समाजशास्त्री त्रिलोकी नारायण पाण्डेय, जो उस सभा में मौजूद थे, भीड़ भरी हुई थी. निराला को पहलवानी का शौक़ था. अखाड़े में रियाज़ मारना रोज़नामचे में शामिल. नेहरू बोल रहे थे. और निराला एकदम अग्रिम पंक्ति में आकर बैठे. सीधे अखाड़े से. शरीर तेल और मिट्टी से सना हुआ. केवल अंगोछा पहने हुए. उन्हें देखने के बाद नेहरू ने भाषण में एक क़िस्सा बताना शुरू किया. कहा, “मैं चीन से लौटा हूं, वहां मैंने एक कहानी सुनी. एक महान राजा और उसके दो बेटों की कहानी. एक चतुर और दूसरा मूर्ख. बेटे बड़े हो गए. राजा ने मूर्ख लड़के से कहा कि तुम राजपाट संभालो क्योंकि तुम केवल यही कर सकते हो. बुद्धिमान और अक्लमंद लड़के के लिए राजा ने कहा कि यह एक महान कार्य के लिए पैदा हुआ है. ये कवि बनेगा.” इतना कहकर नेहरू मंच से उतरे. गले में पहनी सारी माला उतारकर निराला के चरणों में रख दी. भीड़ स्तब्ध. नेहरू ने फिर आगे का भाषण दिया. नेहरू ताज़िंदगी निराला के प्रशंसक रहे. स्नेह रखा. उनके लिए 100 रुपए की मासिक वृत्ति शुरू की. लेकिन निराला फक्कड़. पैसा मैनेज करने में कोई रुचि नहीं. लिहाज़ा ये वृत्ति महादेवी वर्मा को दी गयी. निराला का ख़र्च मैनेज करने की जिम्मेदारी उनकी थी. लेकिन निराला निराला थे. “राम की शक्तिपूजा” की रचना की. बेटी का देहांत हुआ तो “सरोज स्मृति”. हिन्दी साहित्य सभा में महात्मा गांधी ने कह दिया कि हिन्दी को अपनी प्रतिभाओं की तलाश करनी चाहिए. इस पर निराला गांधी से मिलने पहुंच गए. 30 मिनट मांगे, जो गांधी के पास थे नहीं. निराला का मूड ख़राब हो गया. आकर ये कविता लिखी. “बापू, तुम मुर्ग़ी खाते यदि”. पढ़िए.

बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या भजते होते तुमको ऐरे-ग़ैरे नत्थू खैरे? सर के बल खड़े हुए होते हिंदी के इतने लेखक-कवि?

बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो लोकमान्य से क्या तुमने लोहा भी कभी लिया होता? दक्खिन में हिंदी चलवाकर लखते हिंदुस्तानी की छवि, बापू, तुम मुर्गी खाते यदि?

बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या अवतार हुए होते कुल के कुल कायथ बनियों के? दुनिया के सबसे बड़े पुरुष आदम, भेड़ों के होते भी! बापू, तुम मुर्गी खाते यदि?

बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या पटेल, राजन, टंडन, गोपालाचारी भी भजते?

भजता होता तुमको मैं औ´ मेरी प्यारी अल्लारक्खी !

बापू, तुम मुर्गी खाते यदि !


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