The Lallantop

'मलेरिया की दवाई' से कैसे बनी कॉकटेल? 'जिन एंड टॉनिक' का भारत से भी है रिश्ता!

Gin and Tonic History: सिनकोना, एक पेड़ जिसे शायद ज्यादातर लोग ना जानते हों. लेकिन इसकी वजह से लाखों जानें बचाई जा सकीं. और ब्रिटिश अपना साम्राज्य ज्यादा आसानी से फैला सके. लेकिन इस पेड़ की मदद से बनी एक ड्रिंक - एक फेमस कॉकटेल, Gin And Tonic में भी इस्तेमाल की जाने लगी.

Advertisement
post-main-image
टॉनिक वाटर को बुखार की दवा के तौर पर बेजा जाने लगा (सांकेतिक तस्वीर, विकीमीडिया)

एंडीज पहाड़ियों और अमेजन नदी के बीच मौजूद है, पेरू का मानू नेशनल पार्क. नमी, और हरियाली से भरा ये जंगल तमाम प्रजातियों का घर है. जिसमें पेड़-पौधों की लगभग खत्म हो चुकी कई प्रजातियां भी शामिल हैं. और अगर आप तेंदुओं और पूमा से बचते हुए - इस घने जंगल में घुसें, तो यहां आपको देखने मिल सकता है, एक खास पेड़ ‘सिनकोना ऑफिसिनैलिस’ (cinchona officinalis). जिसके तार जुड़े हैं- ‘जिन एंड टॉनिक’ (Gin And Tonic) ड्रिंक और भारत के साथ.

Add Lallantop As A Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

कहानी शुरू करने से पहले बता दें, शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक है!

एक मच्छर

कहानी शुरू होती है मच्छर से, जो एक ही काफी है आपको मलेरिया का शिकार बनाने के लिए. ये वो दौर था जब अंग्रेजी हुकूमत दुनिया के तमाम देशों में अपने पांव पसार रही थी. युद्ध तो इन्होंने बंदूकों और बारूद से जीत लिए. लेकिन मच्छर गोलियों से कहां मरने वाले थे. 

Advertisement

यहां रहने वाले अंग्रेजी अफसरों को सामना कर पड़ रहा था मलेरिया का. बता दें ये वो दौर था, जब इस बीमारी के लिए ना तो आज जैसे इलाज मौजूद थे. ना ही इसे ठीक से समझा ही गया था. नेचर में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में साल 1937 में हर दिन लगभग 1000 लोगों की मौत मलेरिया की वजह से होती थी. 

इससे यहां तैनात ब्रिटिश अफसर भी परेशान थे. लेकिन इस बीमारी का एक तोड़ निकाला गया. हमारे पेरू के पेड़ सिनकोना से.

cinchona
ईस्ट इंडियन प्लांटेशन के सिनकोन पौधे का चित्र (by William Fitch (1869). © RBG Kew)

दरअसल इस पेड़ की छाल से एक खास तरह का केमिकल ड्रग मिलता है, क्वीनाइन (Quinine). और ये ड्रग साल 1944 तक लैब में नहीं बनाई गयी थी. इसलिए इस दवा को पाने का एक मात्र तरीका सिनकोना पेड़ की छाल ही थी. 

Advertisement

और इसके इस्तेमाल के करीब 300 साल बाद, पहले विश्व युद्ध तक, यही एक मात्र कारगर इलाज माना जाता था.

दरअसल ये कहानी शुरु होती है साल 1854 में. जब एक स्कॉटिश फिजिशियन, विलियम बलफोर ने मलेरिया होने के बाद इलाज करने की बजाय, मलेरिया होने से बचाने का जुगाड़ निकाला. और इसके लिए इन्होंने क्वीनाइन का इस्तेमाल किया. 

इससे पहले मलेरिया की वजह से बड़ी संख्या में यूरोप और अफ्रीकी देशों में मौजूद अंग्रेजों की जान जाती रही. लेकिन इस खोज के बाद क्वीनाइन और सिनकोना पेड़ मलेरिया से बचाव में अहम हो गया. 

quinine
क्वीनाइन की बोतल (credit: wellcome library) 

साल 1850 से 1865 के बीच दक्षिण अमेरिका से बीज और पौध भारत और जावा ले जाए गए. और इसे उगाने की जानकारी भी पहुंचाई गई.

इतिहासकार रोहन देब रॉय अपनी किताब मलेरियल सब्जेक्ट्स में लिखते हैं, 

ब्रिटिश सरकार ने बाकी दिक्कतों के ऊपर क्वीनाइन की उपलब्धता को तवज्जो दी. अंग्रेजी हुकूमत के दौर में अकाल की राहत राशि यानी इंडियन पीपल्स फेमाइन ट्रस्ट की मदद से अजमेर सूबे में क्वीनाइन उपलब्ध कराने के प्रयास भी किए गए.

बहरहाल अब दवाई भारतीय उपमहाद्वीप पर पहुंच गई. लेकिन दवाई हमेशा मीठी गोली तो हो नहीं सकती. ये दवा थोड़ा कड़वी थी. इसलिए इसे निगलने के लिए, कई बार लोग इसे फिज़ वाटर या बुलबुले वाले पानी में मिलाकर पिया करते थे. 

वहीं साल 1858 में पिट्स एंड को. के मालिक इरास्मस बॉन्ड ने इसे ‘टॉनिक वॉटर (tonic water)’ के नाम से पेटेंट करवाया. यानी एक तरह का सोडा वाटर जिसमें क्वीनाइन मिला रहता था. आज भी कई ब्रांड्स के टॉनिक वॉटर में ये मिल सकता है.

इसे शुरुआत में बुखार की दवा और गर्म इलाकों में ढलने की दवा के तौर पर बेचा गया. 

ये भी पढ़ें: पिरामिड बनाने के AI वीडियो वायरल हैं, पर असल में इनके बनने की क्या थ्योरी बताई जाती हैं

हालांकि यह टॉनिक, जिन (Gin) यानी जुनिपर बेरी मिलाकर बनाई गई एक तरह की शराब के साथ कैसे मिली, इस पर कुछ खास रिकार्ड नहीं मिलते हैं. पर कुछ तार लखनऊ से जुड़े बताए जाते हैं. 

ये भी बताया जाता है कि क्वीनाइन अक्सर एल्कोहल के साथ मिलाकर भी पिया जाता था. जैसे कि वाइन, रम या जिन. या फिर स्थानीय शराबों के साथ.

खैर ‘जिन और टॉनिक’ का पहला जिक्र साल 1868 में ओरिएंटल स्पोर्टिंग मैग्जीन में मिलता है. जहां घोड़ों की रेस के बाद पार्टी करने वालों ने इस कॉकटेल की मांग की.

और उस दौर से अब तक ये दोनों ड्रिंक्स मिलकर ‘Gin and Tonic’ कॉकटेल बना रही हैं.

वीडियो: मध्य प्रदेश के मंत्री ने शराबियों को सुधारने की नई तरकीब ईजाद कर दी!

Advertisement