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जेम्स वेब टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में दिखा 'उल्लू', तस्वीर के साथ हैरतअंगेज कहानी भी सामने आई

The Cosmic Owl: रिंग गैलेक्सी तब बनती है जब एक छोटी गैलेक्स अपनी बड़ी गैलेक्सी से सीधे होकर गुजरती है, और शॉक वेव्स के जरिए तारों और गैस को केंद्रीय कोर के चारों तरफ एक छल्ले यानी रिंग में धकेलती है.

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जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप ने देखी उल्लू (Cosmic Owl) जैसी खगोलीय शेप. (arxiv.org)

अंतरिक्ष में ‘उल्लू’ जैसा कुछ दिखा है. सुनने में अजीब है लेकिन बात सच है. हालांकि जो दिखा है वो सचमुच का उल्लू नहीं है. एक खगोलीय घटना है जिसने कुछ ऐसा आकार ले लिया है जो देखने में किसी उल्लू के चेहरे जैसा लग रहा है. ये कमाल किया है जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने. इसके जरिए वैज्ञानिकों को स्पेस में एक दिलचस्प शेप नजर आई, जिसे 'कॉस्मिक उल्लू' (Cosmic Owl) कहा जा रहा है. यह शेप हमसे अरबों प्रकाश वर्ष दूर है.

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दरअसल, ये 'कॉस्मिक उल्लू' दो रिंग गैलेक्सी के टकराने से बना है. जब ये दो गैलेक्सियां टकराईं, तो इनका टकराव कुछ ऐसा हुआ कि ये उल्लू के चेहरे जैसा आकार बन गया. चीन, जापान, फ्रांस, डेनमार्क समेत कई देशों के रिसचर्स ने इस स्टडी का प्रीप्रिंट arXiv में पब्लिश कराया है.

रिंग गैलेक्सी क्या होती है?

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रिंग गैलेक्सी तब बनती है जब एक छोटी गैलेक्सी अपनी बड़ी गैलेक्सी से सीधे होकर गुजरती है, और शॉक वेव्स के जरिए तारों और गैस को केंद्रीय कोर के चारों तरफ एक छल्ले यानी रिंग में धकेलती है. वैसे ये गैलेक्सियां बहुत कम मिलती हैं. पूरे ब्रह्मांड में जितनी भी गैलेक्सियों का पता चला है, उनमें से सिर्फ 0.01 फीसदी ही रिंग गैलेक्सियों के होने की जानकारी मिलती है.

मिंग्यू ली चीन की त्सिंगहुआ यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमी डिपार्टमेंट में डॉक्टोरेट के छात्र हैं और इस स्टडी के फर्स्ट ऑथर हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने और उनके साथी ऑथर्स ने इत्तेफाक से यह 'पक्षी' जैसा दिखने वाला खगोलीय नजारा खोजा.

उन्होंने लाइव साइंस को बताया,

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"हम JWST के सार्वजनिक डेटा का इस्तेमाल करते हुए एक बहुत अच्छी तरह से स्टडी किए गए क्षेत्र, जिसे COSMOS फील्ड कहते हैं, में सभी रेडियो सोर्स का विश्लेषण कर रहे थे, जो आकाश का सबसे बड़ा मोजेक है, जो 2 वर्ग डिग्री तक फैला है."

उन्होंने आगे कहा कि JWST की हाई-रिजॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता की वजह से टकराने वाली गैलेक्सी की जोड़ी तुरंत साफ दिखने लगी.

'कॉस्मिक उल्लू' की खासियत

दोनों गैलेक्सियां लगभग बराबर छोटी हैं. हर एक का आकार लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष का है, जो हमारी 'मिल्की वे गैलेक्सी' का लगभग एक-चौथाई है. दोनों गैलेक्सियों के बीच टकराव की जगह 'चोंच' जैसा हिस्सा बन गया है. चिली की अटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे (ALMA) के डेटा का इस्तेमाल करते हुए रिसर्चर्स ने पाया कि इस ‘चोंच’ में मॉलिक्यूलर गैस का एक विशाल समूह है.

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कॉस्मिक उल्लू. (arxiv.org)

हरेक गैलेक्सी का कोर सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों तरफ पुराने तारों से पैक्ड है. JWST डेटा से पता चलता है कि दोनों ब्लैक होल का द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान से 1 करोड़ गुना से भी ज्यादा है, जो बहुत तेजी से चीजें निगल रहे हैं. ये ब्लैक होल 'उल्लू की आंख' जैसे लग रहे हैं. टक्कर की वजह से वहां बहुत सारी गैस इकट्ठा हो गई है, जो नए तारों को जन्म देने वाली 'स्टार फैक्ट्री' बन चुकी है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये सिर्फ एक मजेदार शेप नहीं है, बल्कि यह गैलेक्सियों के बनने और बढ़ने के तरीकों को समझने के लिए एक बहुत बड़ी 'नेचुरल लैबोरेटरी' है. इससे पता चलता है कि कैसे गैलेक्सियों की टक्कर से नए तारे बनते हैं और ब्रह्मांड में तेजी से बदलाव होते हैं.

अब आगे क्या?

वैज्ञानिक अब इस 'कॉस्मिक उल्लू' को और अच्छे से समझने के लिए और स्टडी कर रहे हैं. वे जानना चाहते हैं कि ये खास शेप कैसे बनी और गैलेक्सियों की टक्कर के कौन-कौन से राज इसमें छिपे हैं. तो अगली बार जब आप उल्लू देखें, तो याद रखें कि ब्रह्मांड में भी उल्लू जैसी दिखने वाली चीज मौजूद है, जो हमारी आंखों से बहुत दूर, लेकिन विज्ञान की पकड़ में है.

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