प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘200 करोड़ रुपये के एक मनी लॉन्ड्रिंग केस’ का भंडाफोड़ किया है. आरोप है कि उत्पल कुमार चौधरी नाम का एक शख्स खुद को बड़ा सरकारी अफसर बताकर लोगों से ठगी करता था. इस ठगी में कथित तौर पर कई सरकारी अधिकारियों ने भी उसका साथ दिया.
फर्जी शिक्षा अधिकारी बन 200 करोड़ का खेल किया, असली अफसरों की भी मिलीभगत, ED केस दर्ज
ED Busts Rs 200 Crore Fraud Tripura: सूत्रों ने बताया कि उत्पल कुमार के त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध थे. इन अधिकारियों ने कथित तौर पर उसे एक बड़े अफसर के रूप में व्यापारियों से मिलवाया. फिर सरकारी ठेकों का झूठा वादा करके बड़ी रकम ऐंठने में उसकी मदद की.
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दरअसल, त्रिपुरा के रहने वाले उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ पश्चिम बंगाली पुलिस में एक मामला दर्ज किया गया था. आरोप लगा धोखाधड़ी, फर्जी नाम से काम करने और बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग करने का. इसी मामले में अब ED जांच कर रही है. उत्पल कुमार फिलहाल में हरियाणा की एक जेल में बंद है.
ED ने कहा कि उत्पल कुमार ने धोखाधड़ी से एक रजिस्टर्ड NGO ‘मेसर्स चल्तखाली स्वामीजी सेवा संघ’ का कंट्रोल अपने हाथ में लिया. फिर फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) अकाउंट का इस्तेमाल पैसों के लेन-देन के लिए किया. अधिकारियों के मुताबिक, उत्पल कुमार ने इस NGO के जरिए 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग की. जिसका पैसा हरियाणा, दिल्ली और कोलकाता की संस्थाओं को भेजा गया.
आरोपों के मुताबिक, कागजों पर इस पैसे को रबर व्यापार के लेनदेन के रूप में दिखाया गया था. लेकिन जब जांच हुई, तब रबर की कोई असल खरीद-बिक्री या ट्रांसपोर्ट की जानकारी नहीं मिली. कथित तौर पर ये पैसा किराए के बैंक अकाउंट्स के जरिए ट्रांसफर किया गया था. जिसमें से बड़ी मात्रा में नकद निकासी की गई थी.

ED ने मंगलवार, 26 अगस्त को इस मामले में त्रिपुरा, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर छापेमारी कर तलाशी ली. एजेंसी ने इस दौरान करीब 7 लाख रुपये की नकदी और लगभग 60 लाख रुपये वाले बैंक अकाउंट्स को जब्त किया.
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, ED ने दावा किया कि उसकी टीमों ने त्रिपुरा सरकार के कई विभागों के नाम पर बने नकली स्टाम्प और मुहरों समेत भारी मात्रा में सबूत जब्त किए. इन विभागों में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले और उच्च शिक्षा निदेशालय शामिल हैं.
ED के मुताबिक, उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पहचान पत्रों (ID) जैसे दिखने वाले नकली ID भी मिले. वहीं, त्रिपुरा में अचल संपत्ति और जमीनोंं पर निवेश से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए गए. ED ने कहा कि आरोपी से आगे की पूछताछ जारी है और जब्त किए गए सामानों की जांच चल रही है.

आरोप है कि उत्पल कुमार चौधरी ने सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से मिलते-जुलते नाम वाली संस्थाओं का एक नेटवर्क बनाया. इनमें ‘त्रिपुरा उच्च शिक्षा निदेशालय’, ‘ब्रिज एंड रूफ कंपनी’ और ‘भारतीय परिधान परिषद निदेशालय’ जैसी संस्थाओं के नाम शामिल हैं. कथित तौर पर इन भ्रामक पहचानों का इस्तेमाल करके उसने लोगों और संस्थाओं को भरोसे में लिया. फिर फर्जी संस्थाओं में पैसा लगाने के लिए कहा.
आरोपों के मुताबिक, उत्पल कुमार ने खुद को त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय का एक वरिष्ठ अधिकारी बताया. फिर कई शैक्षणिक संस्थानों को ठगा, छात्रों को एडमिशन और मिड-डे मील टेंडर दिलाने का वादा किया. इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि उत्पल कुमार के त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध थे. इन अधिकारियों ने कथित तौर पर उसे एक बड़े अफसर के रूप में व्यापारियों से मिलवाया. फिर सरकारी ठेकों का झूठा वादा करके बड़ी रकम ऐंठने में उसकी मदद भी की. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से कुछ अधिकारियों को इस प्लानिंग में उनकी भूमिका के लिए पेमेंट भी मिले.
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