क्या अक्सर कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हुए आपकी गर्दन में दर्द (Stiff Neck) होने लगता है? तब आप अपनी गर्दन को चारों ओर घुमाते हैं ताकि थोड़ा आराम मिले. ऐसा करने पर थोड़ी राहत मिलती भी है. पर कभी-कभी गर्दन में दर्द और अकड़न बनी रहती है. हफ़्तों तक. आप कभी पेन किलर तो कभी सिकाई से काम चलाते हैं. ये सोचकर कि दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा. लेकिन, यहां आप बड़ी गलती करते हैं. ऐसे में डॉक्टर को दिखाना बहुत ज़रूरी है.
अकड़ी गर्दन पेनकिलर या सिकाई से ठीक करते हैं तो ये जरूर पढ़ लें
गर्दन में अकड़न खराब पोस्चर, अंदरूनी चोट या मेंटल स्ट्रेस की वजह से हो सकती है. कई बार यह किसी बड़ी बीमारी की ओर इशारा भी करती है.
.webp?width=360)
अगर गर्दन में अकड़न लंबे समय से है, तो ऐसा किसी बीमारी की वजह से भी हो सकता है. इसलिए आज डॉक्टर से जानेंगे कि आखिर हमारी गर्दन अकड़ क्यों जाती है? किन लक्षणों को देखकर डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है? गर्दन को अकड़न से बचाने के लिए रोज़ की कौन सी गलतियां हमें अवॉइड करनी चाहिए? और, इसका इलाज क्या है?
गर्दन में अकड़न क्यों होती है?
ये हमें बताया डॉ. नंदन मिश्रा ने.

गर्दन में अकड़न के आम कारण हैं मस्कुलर स्ट्रेन या गर्दन में चोट. मेंटल स्ट्रेस (Mental Stress). खराब पोस्चर. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical spondylosis) यानी गर्दन के पीछे रीढ़ की हड्डी में सूजन. सर्वाइकल डिस्क प्रोलैप्स (Cervical Disc Prolapse) या डिस्क की वजह से नसों पर दबाव पड़ना. कभी-कभी गर्दन में अकड़न एक बीमारी की वजह से होती है. इसे इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस कहते हैं. यह मेनिनजाइटिस जैसी घातक बीमारी का भी हिस्सा हो सकता है. अगर यह दर्द नसों पर दबाव की वजह से है तो हाथों में झनझनाहट आ सकती है. गर्दन का दर्द कभी-कभी सिरदर्द के साथ भी जुड़ा हो सकता है.
किन लक्षणों को देखकर डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी?
अगर यह दर्द लगातार बना हुआ है. आपके हाथों में इस दर्द के कारण झनझनाहट हो रही है या अकड़न की वजह से आपको सिरदर्द भी हो रहा है. या फिर किसी और जॉइंट पर भी असर पड़ रहा है. तब आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

रोज़ की कौन-सी गलतियां अवॉइड करें?
अगर आप ऑफिस में कंप्यूटर सिस्टम पर काम करते हैं तो आपकी कुर्सी में नेक रेस्ट होना चाहिए. आपका सिस्टम आपसे ऊंचे लेवल पर होना चाहिए. रोज़ आपको फुल नेक मूवमेंट करना चाहिए. यानी अपनी गर्दन को चारों ओर घुमाना चाहिए. सोते समय तकिए का इस्तेमाल करें ताकि आपका सिर और गर्दन समान स्तर पर रहे. रोज़ गर्दन से जुड़ी एक्सरसाइज़ करें. इन्हें आइसोमेट्रिक नेक एक्सरसाइज़ कहा जाता है. अगर आप वर्कआउट करते हैं या जिम जाते हैं तो वहां किसी की निगरानी में ही एक्सरसाइज़ करें. बहुत ज़्यादा हेवी वेटलिफ्ट न करें ताकि आपकी गर्दन और पैरास्पाइनल मसल्स को चोट न पहुंचे.
इलाज
आपके डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन के बाद एक्स-रे करेंगे. अगर यह दर्द या अकड़न चोट या खराब पोस्चर की वजह से है तो कुछ दवा और फिज़िकल थेरेपी से ये पूरी तरह से ठीक हो जाएगा. लेकिन, अगर यह अकड़न किसी सिस्टमिक डिज़ीज़ की वजह से है यानी वो बीमारी जो पूरे शरीर को प्रभावित करती हो, तब उस बीमारी के इलाज के साथ ही इस अकड़न में भी सुधार आएगा.
अगर आपकी गर्दन में लंबे समय से दर्द बना हुआ है, उसमें अकड़न महसूस होती है. तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. गर्दन से जुड़ी एक्सरसाइज़ करें. अगर आपकी गर्दन में दर्द नहीं भी है, तो भी आपको रेगुलर नेक एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. इससे आपको आराम महसूस होगा. गर्दन में किसी दिक्कत की गुजांइश भी कम हो जाएगी.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वीडियो: सेहत: पानी कम पीते हैं तो किडनी खराब होने का ज्यादा खतरा