(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
नींद में क्यों चलने लगते हैं लोग, इलाज क्या है?
नींद में चलने की वजह से कई हादसे हो सकते हैं.

एक फिल्म आई थी 1968 में. नीलकमल. ये वही फिल्म है, जिसमें वो वाला गाना था. 'बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले.' भई ये गाना तो आज भी लड़कियों की विदाई में बजता है. इस फिल्म में वहीदा रहमान और मनोज कुमार लीड रोल में थे. फिल्म में वहीदा रहमान ने सीता का किरदार निभाया था, जिसे नींद में चलने की आदत होती है. ये फिल्म देखने के बाद मुझे लाइफ में पहली बार पता चला था कि लोग वाकई नींद में चलते भी है. ये जानकार मुझे इतनी हैरत हुई थी कि उस वक़्त ये चीज़ मेरे लिए एक सुपरपॉवर जैसी थी.
लेकिन जब बड़े हुए तो समझ में आया कि नींद में चलना यानी स्लीपवॉकिंग कोई जादू नहीं, बल्कि एक कंडीशन है. और वो भी काफ़ी आम. लेकिन मेरे मन में हमेशा ये सवाल उठता रहा कि आखिर लोग नींद में चलते क्यों है? दुनियाभर में बड़े और बच्चे, दोनों के साथ ऐसा होता है. लेकिन हां, इसका इलाज ज़रूरी है क्योंकि जिन लोगों को नींद में चलने की आदत है, उनके साथ दुर्घटना का हमेशा रिस्क होता है. इसलिए आज समझते हैं कि इंसान नींद में क्यों चलता है और इसको कैसे ठीक किया जा सकता है.
ये हमें बताया डॉक्टर ज्योति कपूर ने.

-नींद के दौरान एक इंसान का कॉन्शस माइंड यानी चेतन मन रेस्ट करता है
-नींद को दो स्टेज में बांटा गया है
-REM और NREM स्लीप
-नींद और सपनों से संबंधित समस्याएं जैसे नींद में चलना REM स्टेज में होती है
-स्लीपवॉकिंग में इंसान नींद में उठकर चलने लगता है
-नींद में चलना हमेशा गंभीर समस्या की तरफ़ इशारा नहीं करता
-इसलिए हमेशा किसी ख़ास इलाज की ज़रुरत नहीं पड़ती
-लेकिन जब इंसान बार-बार नींद में चलता है तो ये संकेत है कि इंसान किसी स्लीप डिसऑर्डर से ग्रसित है
-युवाओं में नींद में चलना स्लीप डिसऑर्डर के कारण हो सकता है
-कभी-कभी किसी बीमारी या दवाई की वजह से भी ऐसा होता है
-स्लीपवॉकिंग आमतौर पर रात में जल्दी होती है
-ये सोने के कुछ ही घंटों में देखी जाती है
-जब REM स्लीप का फेज़ चल रहा होता है
-जब इंसान झपकी लेता है तब इसके होने की संभावना बहुत कम होती है
लक्षण-इंसान सोने के कुछ घंटों के अंदर ही उठकर चलने लगता है
-या बेड पर उठकर बैठ जाता है
-मुंह और आंखें खोल लेता है
-आंखों का चौंकना या चकित महसूस होना भी इसमें देखा गया है
-जागने के बाद कुछ समय के लिए कनफ़्यूज़न होता है
-इंसान भूल जाता है कि वो कहां पर है
-सब चीज़ों को याद नहीं रख पाता

-ढंग से सो न पाने की वजह से दिन में चीज़ें ठीक तरह से नहीं कर पाता
-सोने से इंसान डरने लगता है
-नींद में चलने से दुर्घटना का ख़तरा रहता है
इलाज-नींद में चलने का इलाज करने से पहले उसके असली कारण को जानना ज़रूरी है
-अगर ये समस्या किसी दवा के कारण है तो उस दवा को बदला जाए
-एंटीसिपेट्री अवेकनिंग एक प्रोसेस है जिसमें इंसान को नींद में चलने से 15 मिनट पहले जगा दिया जाता है
-कुछ देर जागे रहने के बाद उसे वापस सुला दिया जाता है
-कुछ दवाइयों का इस्तेमाल भी इसे ठीक करने के लिए किया जाता है जैसे बेंजोडायजेपाइन और एंटीडिप्रेसेंट
-ख़ासकर जहां एंग्जायटी या मन से संबंधित समस्याएं नींद में चलने का कारण होती हैं
-कुछ रिसर्च में सेल्फ़ हिपनोसिस की भी एहमियत देखी गई है
-इसमें ट्रेंड एक्सपर्ट इंसान को ख़ुद का हिपनोसिस करने के लिए ट्रेन करते हैं
-हिपनोसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें डीप रिलैक्सेशन होता है
-डीप रिलैक्सेशन में नींद की क्वालिटी काफ़ी अच्छी होती है
-इसलिए इस तरह की परेशानियां कम हो सकती हैं
-थेरेपी और काउंसलिंग भी ज़रूरी है
-क्योंकि मानसिक स्वास्थ से संबंधित कोई समस्या या तनाव नींद में चलने का कारण बन सकता है
-इसलिए उन्हें दूर करने के लिए थेरेपी और काउंसलिंग की जाती है
कई बार लोगों को पता भी नहीं चल पाता कि उनके घर में या आसपास कोई नींद में चल रहा है. इसलिए डॉक्टर ज्योति ने जो लक्षण बताए हैं, उनका ध्यान रखिएगा.
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