कंधा उतरना एक आम समस्या है. बच्चों और बड़ों दोनों को ये समस्या हो सकती है. एक बार कंधा उतरने पर बार-बार ऐसा क्यों होता है और कंधा उतरने पर फर्स्ट एड में क्या करें. इन सारे सवालों के जवाब देंगे. पर उससे पहले ये जान लीजिए कंधा उतरता किन कारणों से है.
कंधा उतरना कितना खतरनाक है, बार-बार ऐसा होने पर क्या करना चाहिए?
अगर कभी आपको कंधा उतरने की समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि खुद इलाज करने से समस्या और बढ़ सकती है.

ये हमें बताया डॉक्टर अंकुर जैन ने.

'शोल्डर जॉइंट' या कंधे का जोड़ दो हड्डियों से मिलकर बनता है. ये एक 'बॉल-सॉकेट जॉइंट' होता है. इसमें हाथ की हड्डी बॉल की तरह गोल होती है और कंधे की हड्डी या स्कैपुला (scapula) में गड्ढा होता है. हाथ की हड्डी का गोल आकार स्कैपुला की तुलना में बड़ा होता है और इसके अंदर फिट होता है. जिससे हाथ अलग-अलग दिशा में घूम सकता है. बाकी जोड़ों की तुलना में कंधे का जोड़ कमजोर होता है. कंधा उतरने का मतलब है बॉल के आकार वाली हड्डी का 'स्कैपुला' से निकल जाना
जब बच्चे या वयस्क पहलवानी, बॉक्सिंग और फुटबॉल जैसे खेलों में हिस्सा लेते हैं. ऐसे खेल जिनमें बार-बार कंधे का इस्तेमाल सिर के ऊपर वाले मूवमेंट में होता है जैसे कि बैडमिंटन, वॉलीबॉल और भाला फेंकना. ऐसी स्थिति में बार-बार एक ही मूवमेंट करने से कंधा उतर सकता है. या फिर कंधे पर सीधे चोट लगने से भी कंधा उतर सकता है और इसके आसपास की हड्डियों में फ्रैक्चर भी हो सकता है.
कुछ बच्चों में जन्म से ही कंधे के आसपास की हड्डियां और लिगामेंट काफी लचीले और कमजोर होते हैं. कम चोट लगने पर भी इन बच्चों का कंधा उतर सकता है. जिन मरीजों को मिर्गी (epilepsy) के दौरे पड़ते हैं उनके कंधे में दौरे के समय मांसपेशियों में अचानक से खिंचाव होता है और कंधा अपनी जगह से खिसक सकता है.
क्या एक बार कंधा उतरने के बाद बार-बार ऐसा होता है?एक बार कंधा उतर जाने के बाद, कंधे के बार-बार उतरने का खतरा बना रहता है. ज्यादातर मामलों में ये एक आम समस्या है. इसे 'रिकरेंट शोल्डर डिस्लोकेशन' कहा जाता है. दरअसल कंधे का जोड़ एक कमजोर जोड़ है. इसकी स्थिरता को बनाए रखने के लिए कंधे के चारों तरफ कुछ छोटी मांसपेशियों का समूह होता है. इन्हें 'रोटेटर कफ' (Rotator Cuff) कहा जाता है. इसके अलावा मुलायम कार्टिलेज (Cartilage) से बना स्ट्रक्चर होता है जिसे 'लैब्रम' (Labrum) कहा जाता है. पहली बार कंधा उतरने के दौरान 'रोटेटर कफ' और 'लैब्रम' में भी चोट लग जाती है. ये चोट आंशिक हो सकती है या 'रोटेटर कफ' और 'लैब्रम' से बना स्ट्रक्चर फट सकता है. लगातार कंधे के मूवमेंट के दौरान ये चोट बढ़ सकती है. इस वजह से कंधे के थोड़े इस्तेमाल के बाद या सामान्य चोट लगने पर भी कंधा दोबारा उतर जाता है.
कंधा उतर जाने पर मरीज को कंधे के आसपास काफी दर्द महसूस होगा और किसी भी मूवमेंट से ये दर्द और बढ़ सकता है. साथ ही कंधे का आकार भी थोड़ा अलग दिखने लगता है. इस स्थिति में मरीज के कंधे के मूवमेंट को पूरी तरह से रोक देना चाहिए. 'आर्म पाउच' या 'स्लिंग' लगाकर कंधे को हिलने से रोकना चाहिए. बर्फ से सिकाई कर सकते हैं. किसी भी पेनकिलर जैसे 'पैरासिटामोल' और 'आइब्रुफेन' से दर्द और सूजन को कुछ समय के लिए कम किया जा सकता है. तुरंत किसी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर या ईमर्जंसी विभाग में डॉक्टर से मिलें. जांच के बाद कंधे का x-ray किए जाएगा. एक्स-रे से कंधे के उतरने और आसपास की हड्डियों में फ्रैक्चर है या नहीं इसका पता चलता है. मरीज को पेनकिलर देने के बाद कुछ खास तकनीको से कंधे की हड्डियों को वापस उनकी जगह पर लाया जाता है. इस प्रक्रिया को शोल्डर रिडक्शन मैन्युवर कहा जाता है.
'शोल्डर डिसलोकेशन' से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?अगर आप एक स्पोर्ट्स पर्सन हैं तो 'रोटेटर कफ' एक्सरसाइज़ को अपने वॉर्मअप में शामिल करें और लगातार इसकी मजबूती और फ़्लेक्सिबिलिटी पर ध्यान दें. कोई भी स्पोर्ट खेलने से पहले अच्छी तरह वॉर्मअप करें और कंधों की अच्छे से स्ट्रेचिंग करें. अचानक झटके से या तेज मूवमेंट करने से बचें. अगर एक बार कंधा उतर चुका है तो आप ऑर्थोपेडिक स्पोर्ट सर्जन से मिलें और कंधे के जोड़ का MRI कराएं. अगर किसी भी तरह की सर्जरी या रीहैब की जरूरत है तो उसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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