(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
क्या है 'एग फ्रीज़िंग' जिसमें औरतों के अंडों को जमा दिया जाता है?
अगर आप 30-35 साल की उम्र के बीच में बच्चा नहीं चाहतीं तो आप अपने अंडों को फ्रीज़ कर के रख सकती हैं.

दिव्यांशी 35 साल की हैं. दिल्ली की रहने वाली हैं. उनकी शादी इसी साल हुई है. वो अभी प्रेग्नेंसी के लिए तैयार नहीं हैं. उनके अपने कारण हैं. पर दिव्यांशी बताती हैं कि आए दिन कोई न कोई उन्हें उनकी उम्र याद दिलाता रहता है. सबका कहना है कि अभी बच्चा पैदा कर लो, नहीं तो आगे जाकर बच्चा नहीं हो पाएगा. इन बातों की वजह से वो बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में हैं. उन्होंने अपनी कुछ फ्रेंड्स से ये बात डिस्कस भी की है. उन्होंने दिव्यांशी को एग फ्रीज़िंग के बारे में बताया. मॉडर्न साइंस का एक ऐसा चमत्कार जिसकी मदद से कोई भी महिला अपने हिसाब से, जब चाहे बच्चा पैदा कर सकती है. उस पर समय का कोई प्रेशर नहीं होता. यही है एग फ्रीज़िंग. तो चलिए डॉक्टर्स से जानते हैं कि ये क्या होता है, कैसे किया जाता है और जब आप बच्चा पैदा करना चाहें तो ये कैसे काम आता है.
एग फ्रीज़िंग क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर अर्चना धवन बजाज ने.

-जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, महिलाओं में बनने वाले अंडों की क्वालिटी और नंबर कम होते जाते हैं.
-ज़्यादातर 40 साल के बाद महिलाओं को प्रेगनेंट होने में मुश्किल होती है.
-क्योंकि उनके अंडों की क्वालिटी ख़राब हो जाती है.
-अगर आप 30-35 साल की उम्र के बीच में बच्चा नहीं चाहते तो आप अपने अंडों को फ्रीज़ कर के रख सकते हैं.
-ताकि आगे जाकर आप उनको इस्तेमाल कर सकते हैं.
एग फ्रीज़िंग कैसे की जाती है?-एग फ्रीज़िंग करने का बेसिक तरीका है कि आप किसी अच्छे फर्टिलिटी क्लिनिक जाएं.
-वहां डॉक्टर से डिस्कस करें कि क्या आपको एग फ्रीज़िंग करवानी चाहिए.
-साथ ही क्या आप एग फ्रीज़िंग के लिए फिट हैं.
-इसके बाद कुछ हॉर्मोनल टेस्ट किए जाते हैं, चेकअप किया जाता है.
-ये सब होने के बाद एग फ्रीज़िंग का प्रोसेस प्लान किया जाता है.
-इसके लिए पहले से बेसिक फ़ोलिक एसिड स्प्लीमेंट लेना होता है.
-अच्छा लाइफस्टाइल रखना होता है.
- हाई प्रोटीन डाइट, फल, नट्स बेरीज़ खाने होते हैं.
-ज़्यादा पानी पीना होता है.
-योग, मेडिटेशन, एक्सरसाइज करनी होती है.

-इससे अंडों की क्वालिटी अच्छी होती है.
-एक रूटीन एग फ्रीज़िंग साइकिल का मतलब है कि इंजेक्शन देकर काफ़ी मात्रा में अंडे तैयार किए जाते हैं.
-जैसा IVF में होता है.
-फिर उन अंडों को ओवरी से वजाइना या एब्डोमेन के रूट द्वारा निकाला जाता है, किस रूट से निकाला जाए ये डॉक्टर तय करते हैं.
-इन अंडों को शरीर से बाहर निकालकर -192 डिग्री पर फ्रीज़ कर दिया जाता है.
-ताकि वो उसी कंडीशन में रहें.
-सेफ़ रहें.
-उस समय तक के लिए जब तक आप उन्हें दोबारा इस्तेमाल न करना चाहें.
-अगर आप फिट हैं तो पीरियड के दूसरे दिन से आपको इंजेक्शन देना शुरू किया जाता है.
-इसके लिए आपके एंटी-मुलेरियन नाम का हॉर्मोन और FSH यानी फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन का लेवल ठीक होना चाहिए.
-ताकि अंडों की सही मात्रा निकले.
-पीरियड के दूसरे दिन से इंजेक्शन लगने शुरू होते हैं.
-हर कुछ समय पर अल्ट्रासाउंड स्कैन किया जाता है.
-जब अंडे मच्योर हो जाते हैं, तो पेशेंट को एनेस्थीसिया देकर अंडे निकाल लिए जाते हैं.
-इस तरह से किया गया एक एग फ्रीज़िंग साइकिल आमतौर पर 10 दिन लेता है.
-जिस दिन एग फ्रीज़िंग होती है, क्योंकि पेशेंट को एनेस्थीसिया दिया जाता है और माइल्ड क्रैम्प्स होते हैं, इसलिए थोड़ा दर्द हो सकता है.
-उस दिन थोड़े रेस्ट की ज़रुरत पड़ती है.
-उसके बाद आप नॉर्मल रूटीन फॉलो कर सकते हैं.

-इस प्रोसेस में एक नॉर्मल IVF जितना ख़र्चा होता है.
-फ्रीज़िंग साल में एक बार की जाती है.
-आपको हर साल क्लिनिक में बात करनी होती है कि उन अंडों को आने वाले एक साल या जितने सालों तक आप चाहते हैं, उनके लिए फ्रीज़ कर के रखे रहें.
-जब आप प्रेग्नेंसी के लिए तैयार होते हैं तो उन्हीं अंडों को डी-फ्रीज़ किया जाता है.
-स्पर्म से फर्टिलाइज़ कर के भ्रूण तैयार किया जाता है.
-फिर इस भ्रूण को गर्भाशय में डाल दिया जाता है.
-इससे बड़ी उम्र में भी आप अपने ही अंडों को इस्तेमाल कर के बच्चा पैदा कर सकते हैं.
औरतों को हमेशा उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक की धमकी दी जाती है. ये वो घड़ी है जो उनके सिर पर तलवार बनकर लटकी रहती है. पर एग फ्रीज़िंग की मदद से इस बायोलॉजिकल क्लॉक को उल्टा घुमाया जा सकता है. महिलाओं को ये चॉइस दी जा सकती है, कि जब वो चाहे तब प्रेग्नेंसी प्लान कर सकती है.
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