हमारे एक दर्शक हैं रोहित. 21 साल के हैं. दिल्ली से ग्रेजुएशन कर रहे हैं. उन्होंने हमें अपनी समस्या मेल की है. रोहित ने बताया कि उनके निचले जबड़े के दांत बाहर की ओर निकले हुए हैं. दांत काफी टेढ़े हैं. उनके दांत हमेशा से ऐसे रहे हैं. लेकिन इससे वो सहज महसूस नहीं करते. यहां तक कि वो खुलकर हंसते भी नहीं हैं, ताकि दांत न दिखें. इस वजह से उनका कॉन्फिडेंस लो रहता है. रोहित अपने दांत ठीक करवाना चाहते हैं, लेकिन ब्रेसेस नहीं लगवाना चाहते. उन्होंने सुना है कि ब्रेसेस लगवाने से बड़ी दिक्कत होती है. उसमें कई बार खाना फंस जाता है. दांतों की साफ-सफाई में भी परेशानी होती है.
टेढ़े दांत निकलने की वजह क्या है? क्या बिना ब्रेसेस के इसका इलाज संभव है?
Crooked Teeth: जानिए बच्चों की वो आदतें, जिसके कारण दांत टेढ़े निकलते हैं.

रोहित जानना चाहते हैं कि वो ऐसा क्या कर सकते हैं, जिससे उनके दांत ठीक हो जाएं और उनको ब्रेसेस भी न लगाने पड़ें. ये अकेले रोहित की समस्या नहीं है. कई लोगों को टेढ़े दांतों की समस्या होती है. कई बार इससे कोई नुकसान नहीं होता. वहीं कुछ मामलों में टेढ़े दांतों के चलते डेंटल दिक्कतें होने लगती हैं.
आज डॉक्टर से जानते हैं कि दांत आखिर टेढ़े क्यों निकलते हैं. ज्यादा टेढ़े दांतों के कारण किस तरह की परेशानियां होती हैं? बच्चों की वो कौन-सी आदतें हैं, जिनकी वजह से आगे जाकर दांत टेढ़े हो जाते हैं. ब्रेसेस के अलावा दांतों को सीधा करने का क्या इलाज है? और, टेढ़े दांतों को ठीक होने में कितना समय लगता है?
ये हमें बताया डॉ. सुमन यादव ने.

अनुवांशिक कारणों से टेढ़े-मेढ़े दांतों की समस्या हो सकती है. अगर परिवार में किसी के दांत टेढ़े-मेढ़े हैं तो बच्चों में इसकी संभावना बढ़ जाती है. जैसे क्लास थ्री मैलोक्लूजन और क्लास टू डिवीजन टू मैलोक्लूजन. क्लास थ्री मैलोक्लूजन यानी जब निचला जबड़ा बाहर की ओर निकला हो. क्लास टू डिवीजन टू मैलोक्लूजन यानी जब ऊपर के दांत अंदर की ओर मुड़े हों. अगर जबड़े का आकार छोटा है और दांतों का बड़ा, तो इससे भी दांत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं. अगर दूध के दांत सही समय पर नहीं टूटे और इन्हीं के साथ परमानेंट दांत भी आ गए तो इससे भी टेढ़े दांतों की समस्या हो सकती है.
आजकल टेढ़े दांतों की समस्या ज्यादा हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि आजकल मांएं बच्चों को सॉफ्ट डाइट ज्यादा देती हैं. जैसे बच्चों को पूरा फल देने के बजाय उन्हें काटकर देना. बच्चों को फल कभी काटकर मत दीजिए. मांएं बच्चों को पूरा साबुत फल दें ताकि बच्चे उसे दांतों से काटकर खाएं. इससे दूध के दांतो पर दबाव बनेगा और वो खुद ही टूट जाएंगे. अपने बच्चों को हार्ड डाइट दें ताकि दूध के दांत अपने आप गिर सकें.
छोटे बच्चे कई बार अंगूठा चूसते हैं. सोते वक्त भी वो ऐसा कर रहे होते हैं. माता-पिता को देखना चाहिए कि कहीं बच्चे में ये आदत तो नहीं है. अंगूठा चूसने की आदत से दांतों का आकार बदल सकता है. साथ ही, दांतों की सीध भी बिगड़ सकती है. लिहाजा माता-पिता बच्चों को अंगूठा चूसने से रोकें. साथ ही, अगर बच्चे को Tongue Thrusting की आदत है यानी जीभ से दांतों को धक्का देने की आदत है. मुंह से सांस लेने की आदत है. दांतों से नाखून काटने की आदत है. पेंसिल चबाने की आदत है, तो बच्चों की ये आदतें छुड़वानी चाहिए.
टेढ़े दांतों से क्या दिक्कतें होती हैं?* सबसे बड़ी समस्या ओरल हाइजीन को मेनटेन करना है. अगर दांत टेढ़े-मेढ़े होंगे तो उनकी सही तरह सफाई नहीं हो पाएगी.
* इससे कैविटी हो जाती है यानी दांत में कीड़े की समस्या हो सकती है.
* दांतों से जुड़ी कई दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं.
* खाना चबाने में भी कठिनाई होती है.
* TMJ यानी टेंपोरोमैंडीब्यूलर जॉइंट डिसफंक्शन हो सकता है. TMJ निचले जबड़े को खोपड़ी से जोड़ता है.

* टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज ब्रेसेस से होता है.
* इनमें मेटैलिक ब्रेसेस और सिरेमिक ब्रेसेस शामिल हैं.
* एक से तीन साल तक पूरा इलाज चलता है.
* दूसरा, आजकल इनविजलाइन और क्लियर अलाइनर्स भी मौजूद हैं. ये दिखते नहीं हैं.
* इनके जरिए इलाज 6 से 18 महीने तक चलता है.
* मरीज का इलाज कितने समय तक चलेगा, ये उसके इलाज के तरीके और उसमें लगने वाले समय पर निर्भर करता है.
अगर आप अपने टेढ़े दांतों को लेकर सहज नहीं महसूस करते. या आपको उसके कारण कोई मेडिकल समस्या आ रही है, तो परेशान न हों. इसका इलाज उप्लब्ध है. आप डॉक्टर से मिलकर अपने लिए सबसे सटीक इलाज चुन सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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