निधि 19 साल की है. भोपाल की रहने वाली हैं. उनका हमें मेल आया. दिक्कत ये है कि उन्हें भूख बहुत ज़्यादा लगने लगी है. इस चक्कर में वो ख़ूब खाती हैं. हाल ये है कि हर एक घंटे में उन्हें भूख लगती है. पर इतना खाने के बाद भी उनका वज़न नहीं बढ़ा. उल्टा वेट लॉस हो गया. पेट में दर्द शुरू हो गया, सूजन आ गई. बहुत ज़्यादा थकान रहने लगी. जब निधि को उल्टियां होना शुरू हुईं तो उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. पता चला उनके पेट में कीड़े हैं. अब ये बहुत ही आम दिक्कत है. हममें से कई लोगों को कभी न कभी पेट में कीड़े हुए हैं. वैसे तो पेट में अलग-अलग तरह के कीड़े हो सकते हैं. इन्हें इंटेसटिनल वर्म्स भी कहते हैं. तो आज बात करते हैं इन कीड़ों की, कि ये आपके पेट में कहां से आ जाते हैं? और अगर पेट में कीड़े हो गए, तो फिर क्या होगा? इलाज क्या है? ये सब जानते हैं डॉक्टर्स से.
पेट में कीड़े होने का क्या मतलब है?
ये हमें बताया डॉक्टर शंकर ने.

डॉक्टर शंकर झंवर, गैस्ट्रोलॉजिस्ट, नागपुर
इंटेसटिनल वर्म्स को हिंदी में अंतड़ियों की कृमि कहते हैं. कृमि एक तरह के परजीवी होते हैं. अंग्रेज़ी में इन्हें पैरासाइट्स कहते हैं. ये इंसान के शरीर में घुसकर पोषक तत्वों को चूस लेते हैं. ये कृमि इंसान के शरीर में रहकर अंडे देते हैं, जिससे बीमारी हो सकती है. कृमि कई तरह की होती है. लेकिन टेपवर्म, पिनवर्म, हुकवर्म, राउंडवर्म इनमें सबसे आम हैं.
-टेपवर्म से पीलिया, पेट में दर्द, लिवर में पानी के गोले बनने जैसी समस्याएं हो सकती हैं
-राउंडवर्म से दस्त, खांसी, बुखार और पेट दर्द हो सकता है
-पिनवर्म से मलद्वार में खुजली या पेशाब में जलन हो सकती है
-हुकवर्म से एनीमिया, सांस लेने में दिक्कत, कमज़ोरी हो सकती है

कारण
-अगर हम गंदा पानी ख़ासकर मल से प्रदूषित पानी पिएं तो कृमि हो सकते हैं क्योंकि इनके अंडे शौच में ही निकलते हैं
-कच्चा या अधपका मांस खाने या मछलियां खाने से
-अगर पालतू जानवरों के संपर्क में आते हैं और वो साफ़ न हों तो जानवरों से संक्रमण आपमें आ सकता है
-खुले पैर मैदानों, जंगलों या खेतों में चलने से भी हो सकता है.
- ज़मीन में गिरा कुछ उठाकर खाने से भी संक्रमण हो सकता है
चलिए आपको पेट में कीड़े होने की वजह पता चल गई. अब जान लेते हैं कि इसका आपकी सेहत पर क्या असर पड़ सकता है. साथ ही इसका इलाज क्या है?
सेहत पर असर
इसके बारे में हमें बताया डॉक्टर विकास ने.

डॉक्टर विकास बुंदेला, आधार हेल्थ इंस्टिट्यूट, हिसार
-पेट में दर्द
-मलद्वार के आसपास खुजली
-कमज़ोरी
-उल्टी
-भूख न लगना या ज्यादा भूख लगना
-अच्छे से खाने के बाद भी वज़न कम होना
-बहुत ज़्यादा थकान रहना
-शरीर में खून की कमी होना
-सिवियर केसेज़ में खून के दस्त, खून की उल्टी
-कई बार सर्जरी की नौबत आ जाती है
-अगर कीड़े पित्त की नली में चले जाते हैं तो पीलिया भी हो सकता है
बचाव
-नाखून छोटे रखना
-टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद हाथ अच्छे से साफ़ करना
-घर में सफ़ाई रखना
-सब्ज़ी, फल को खाने और पकाने से पहले अच्छे से धोएं. कच्चा न खाएं
-खुले में शौच न करें
-नंगे पैर बाहर न निकलें

इलाज
-पेट में कीड़ों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में अभियान चलाया जाता है
-डीवर्मिंग के लिए Albendazole, mebendazole की गोलियां दी जाती हैं
-इन गोलियों का डोज़ वज़न के आधार पर दिया जाता है
अगर आपको लगता है आपके पेट में भी कीड़े हैं तो उसे इग्नोर बिलकुल मत करिए. इलाज लीजिए.
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