श्रीधन्या ने 22 साल की उम्र में UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) का पहला अटेम्प्ट दिया. आखिरकार तीसरे अटेम्प्ट में उनकी 410वीं रैंक आई. 2019 में. लेकिन श्रीधन्या के लिए ये इतिहास रचना आसान नहीं था.
उनके पिता मनरेगा में मजदूरी करते थे. और बाकी समय धनुष-तीर बेचा करते थे. उन्हें सरकार की तरफ से थोड़ी सी ज़मीन मिली थी घर बनवाने के लिए, लेकिन पैसों की कमी की वजह से वो उसे पूरा बनवा भी नहीं पाए. उसी घर में श्रीधन्या अपने माता-पिता, और दो भाई-बहनों के साथ रहती आ रही थीं.

पोज़ुथाना गांव के कुरिचिया जनजाति से आती हैं श्रीधन्या. पैसों की कमी के बावजूद उनके पेरेंट्स ने उनको पढ़ाया लिखाया. कोझीकोड के सेंट जोसफ कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की. जूलॉजी में. पोस्ट ग्रेजुएशन भी वहीं से किया. उसके बाद वो केरल के अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के तौर पर काम करने लगीं. उसके बाद वायनाड के एक आदिवासी हॉस्टल में वार्डन के तौर पर काम किया. वहीं पर उनकी मुलाक़ात हुई श्रीराम समाशिव राव से. ये वायनाड के कलेक्टर थे उस समय. उन्होंने श्रीधन्या को UPSC का एग्जाम देने के लिए मोटिवेट किया.
तीसरे अटेम्प्ट में जब श्रीधन्या का सेलेक्शन इंटरव्यू के लिए हुआ, तो उनके पास दिल्ली जाने के पैसे भी नहीं थे. किसी तरह उनके दोस्तों ने मिलकर 40,000 रुपये इकठ्ठा किए. तब जाकर वो दिल्ली आ पाईं.
योरस्टोरी को दिए इंटरव्यू में श्रीधन्या ने बताया,
मैं राज्य के सबसे पिछड़े जिले से हूं. यहां पर आदिवासी जनजाति काफी संख्या में है, लेकिन अभी तक कोई आदिवासी IAS ऑफिसर नहीं बना. वायनाड से UPSC की तैयारी करने वालों की संख्या वैसे भी कम ही है. मुझे उम्मीद है कि मेरे सेलेक्शन से और भी लोगों को मेहनत करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी.श्रीधन्या के सेलेक्शन के बाद उनके अधबने घर में मीडिया का तांता लग गया था. उसी घर में बैठकर उन्होंने इंटरव्यू दिए, अपनी कहानी सुनाई. उनसे प्रियंका गांधी भी मिलने आई थीं. और राहुल गांधी ने भी श्रीधन्या के लिए ट्वीट कर उन्हें बधाई दी.
ट्वीट में राहुल ने लिखा,
वायनाड की श्रीधन्या सुरेश केरल कि पहली आदिवासी लड़की हैं जो सिविल सेवा में सेलेक्ट हुई हैं. श्रीधन्या की कड़ी मेहनत और लगन ने उसका सपना सच कर दिखाया. मैं श्रीधन्या को बधाई देता हूं और उनके करियर में उनकी सफलता की कामना करता हूं.
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