पोस्टर अभी थोड़ी देर पहले ही रिलीज हुआ है. पहले आप वो देख लीजिए:
एक बार और ध्यान से देख लीजिए.
पोस्टर में प्रभास और पूजा हेगड़े साथ में खड़े दिख रहे हैं. पीछे लाल आसमान है. पोस्टर के नीचे क्रेडिट्स हैं. नीचे जो नाम लिखे हैं वो फिल्म के डायरेक्टर, प्रड्यूसर्स इत्यादि के हैं.
लेकिन इस पोस्टर में फिल्म की फीमेल लीड पूजा हेगड़े का कहीं नाम तक नहीं है. पांच भाषाओं में रिलीज हुआ ये पोस्टर. और हर जगह से पूजा का नाम गायब है.

एक फिल्म बनती है. उसके प्रमोशन की तैयारी होती है. न जाने कितने लोगों की नज़रों से गुजर कर सब कुछ फाइनल होता है. पोस्टर में बाकायदा सभी महत्वपूर्ण लोगों के नाम डाले जाते हैं. जोकि अच्छा भी है. लेकिन छोड़ने को एक ही नाम मिलता है. उस फिल्म की एक्ट्रेस का. जो पोस्टर पर हीरो के साथ खड़ी तो है. लेकिन उसकी प्रेजेंस वहीं खत्म हो जाती है.
फिल्म के नाम में तो राधे रख लिया. लेकिन क्रेडिट से राधा कैसे गायब हुईं, इसका जवाब शायद ही फिल्ममेकर दे पाएं.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है
पोस्टरों को लेकर एक अलग बहस चलती आई है. अभी कुछ समय पहले 'मिशन मंगल' आई थी. कहानी थी ISRO की महिला वैज्ञानिकों की. जिन्होंने मंगलयान के मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करवाया था. इसमें लीड रोल्स निभा रही थीं विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, तापसी पन्नू, नित्य मेनन, और कीर्ति कुलहरी. लेकिन इन सभी को पोस्टर के एक कोने में रखकर, अक्षय कुमार का बड़ा सा चेहरा दिखाया गया था. इस पर लोगों ने काफी आलोचना की थी पोस्टर की.

'पिंक' फिल्म के लिए भी लोगों ने यही कहा था. इसमें भी कहानी तीन लड़कियों की थी. लेकिन बैकग्राउंड में सबसे बड़ा चेहरा अमिताभ बच्चन का था.

नाम की पॉलिटिक्स
पिछले कुछ समय में शाहरुख़ खान ने अपनी फिल्मों में अपनी एक्ट्रेसेज का नाम पहले देना शुरू किया है. फिल्म के जो क्रेडिट्स आते हैं, उनमें शाहरुख़ के नाम से पहले उस फिल्म की एक्ट्रेस का नाम दिखाया जाता है. 2013 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने ये शपथ ली थी. इसकी आलोचना में लोग ये कहते हैं कि नाम पहले देने से क्या होता है, पैसे तो फिर भी शाहरुख़ को ही ज्यादा मिल रहे हैं. या फिर ये कि इस तरह का काम टोकनिज्म है. वो भी एक जायज़ बहस है.
लेकिन यहां तो सीधे सीधे नाम ही उड़ा दिए जा रहे हैं. और किसी की आंख तक नहीं झपकती.
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