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रिया चक्रवर्ती 'जैसी' बंगाली लड़कियों का एक सच और जान लीजिए

जो बेहद जरूरी है.

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बाईं तरफ रिया चक्रवर्ती, दाईं तरफ फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की कैरेक्टर दुर्गा, जिसे फिल्म में बंगालन कहा गया. ये किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस थीं रीमा सेन.
"पुरुषों, सतर्क रहो. बंगाली लड़कियां डॉमिनेटिंग होती हैं. उन्हें लड़कों को अपने वश में करना खूब आता है. वो बड़ी मछलियां फंसाती हैं. उन लड़कों को जो अच्छे दिखते हैं और अच्छा कमाते हैं. अगर आपको उनका नौकर बनना है, उनके खर्चे उठाने हैं, अपना परिवार छोड़ उसके परिवार में जाना है. तो ही मुस्कुराते हुए बंगाली लड़कियों के पास जाएं."
ये ट्वीट आज सोशल मीडिया पर खूब दिखा. क्यों दिखा? रिया चक्रवर्ती की वजह से. उनपर सुशांत के परिवार ने तमाम आरोप लगाए हैं. आरोप क्या हैं, ये आपको पता चल ही गया होगा. अब कितने आरोप परिवार ने लगाए हैं. और सोशल मीडिया पर उनमें कितना मिर्च मसाला लगाया है. इसमें फर्क धीरे-धीरे जाता रहा है.
ये ट्वीट किसने पोस्ट किया, ये जानना ज़रूरी नहीं. क्योंकि ये मानसिकता किसी एक व्यक्ति की नहीं है. बल्कि एक ऐसा स्टीरियोटाइप, ऐसा पूर्वाग्रह है जो हिंदी बेल्ट के लोगों में खूब दिखता है. यूपी, एमपी, बिहार. यहां तक कि पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में भी.
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डिस्कशन फोरम कोरा पर भी एक मज़ेदार टिप्पणी पढ़ने को मिली. सुनिए:
"बंगाली लड़कियों से दूर रहें. वो डॉमिनेटिंग होती हैं. वो इस हद तक कॉन्फिडेंट होती हैं कि अगर कोई लड़का पसंद है. तो उससे जाकर खुद ही बात कर लेती हैं. मैंने देखा है. वो लड़कों को कैसे रिझाती हैं. वो बहुत चालाक होती हैं. और भरे रेस्तरां में तक अपने शिकार खोज लेती हैं.
वो अक्सर बड़ी मछलियां फंसाती हैं. अच्छे दिखने और खूब कमाने वाले लड़के. अगर मुझपर भरोसा नहीं है तो अपने आस-पास देखिए.
वो कंट्रोलिंग होती हैं. और लड़के के पैसों के हिसाब-किताब को अपने हाथ में ले लेती हैं. लड़का महज़ पैसे कमाने वाला और स्पर्म देने वाला रह जाता है. सब कुछ वैसा ही होता है जैसे वो चाहती है. वो सिर्फ अपनी और अपने परिवार की परवाह करती है.
वो कतई धार्मिक नहीं होतीं. ये न समझें कि दुर्गा पूजा में उन्हें धार्मिक वजहों से रुचि होती है. दुर्गा पूजा वैसे भी धार्मिक कहां होता है. वहां के पंडालों में तो धड़ल्ले से चिकेन बिरयानी परोसी जाती है.
ये संदेष फैलाइए और मासूम लड़कों को बचाइए. दूसरे राज्यों की लड़कियां बंगाली लड़कियों से कहीं बेहतर होती हैं. उनकी काजल भरी आंखों के झांसे में मत आइए. अपना दिमाग लगाइए."
सच कहूं तो लगा कि भाई को जवाब लिख दूं. पूछूं कि इतना क्यों कल्ला रहा है भाई आपको. किस बंगाली लड़की ने आपके प्रेम को अस्वीकार कर दिया क्या. लेकिन किसी से उलझने से बेहतर है लोगों से बातें करना. ये समझना कि बंगाली लड़कियों को लेकर इतने स्टीरियोटाइप क्यों हैं.
यहां एक और सवाल पूछना ज़रूरी है. क्या सिर्फ बंगाली लड़कियों या बंगालियों को लेकर स्टीरियोटाइप हैं?
Bulbbul स्टीरियोटाइप सिर्फ एक ख़ास समुदाय को लेकर नहीं हैं. सबको लेकर हैं . (फिल्म बुलबुल से एक सीन. सीन में एक्ट्रेस तृप्ति डिमरी दिख रही हैं.

एक नज़र डालते हैं हमारे पॉपुलर कल्चर पर. अपनी फिल्मों या टीवी सीरियल्स को देखकर हमें क्या पता चलता है? ये कि पंजाब में सब या तो ड्रग्स करते हैं या लस्सी पीते हैं. हरियाणा में सब कुश्ती लड़ते हैं. राजस्थान में सब रजवाड़े होते हैं और खूब गहने पहनकर महलों में रहते हैं. यूपी और बिहार में लोग सिर्फ देसी कट्टे रखते हैं और क्राइम करते हैं. और बंगाली जादू टोना करते हैं. अखबार के पन्नों आपने भी बाबा बंगाली के इश्तेहार देखे होंगे. जो लोगों को वशीकरण मंत्र बांटते फिरते हैं. हममें से कितने लोगों ने इस बाबा से मिलकर जाना है कि वो बंगाली है या नहीं? मालूम नहीं. सिर्फ बंगाली ही नहीं, किसी भी राज्य के लोगों को दिखाने के लिए उस स्टेट या उस भाषाई समूह की कुछ बातें हाइलाइट कर दी जाती हैं. और वो बाकी भाषाओं के समुदायों या राज्यों के लोगों के लिए उस जगह की पहचान बन जाती है.
Gow Katta यूपी-बिहार के लिए भी कई स्टीरियोटाइप बने हुए हैं. (फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से एक सीन)

हमारी बात हुई दीपिका से. वो एक नॉन-बंगाली होते हुए एक बंगाली एरिया में बड़ी हुई हैं. वो बताती हैं:
बचपन में हमारा घर ऐसे मुहल्ले में था जहां कई बंगाली रहते थे. उनके यहां से घर भी आना-जाना लगा रहता था. लेकिन दबी ज़बान में उनके बारे में कहा जाता था, कि इनसे दूर ही रहना चाहिए. बहुत जादू टोना होता है इनके यहां. एक बार तो हमारे घर में काम करने वाली दीदी के बारे में मम्मी से बात हो रही थी. तो उन्होंने नाम सुनकर पूछा कि ये कहां से हैं. जब बताया कि बंगाल से हैं, तो उन्होंने कड़े शब्दों में बोला, संभलकर रहना. ये लोग जादू मंतर जगाते हैं. कुछ दिया हुआ मत खाना. वश में कर लेते हैं लोगों को.
इसी क्रम में बंगाल की लड़कियों को भी स्टीरियोटाइप में ढाला जाता है. एक भंसाली की पारो हुई थी जो हर बात पर इश-इश करती रहती थी. एक परिणीता फिल्म की ललिता हुई थी. गौर से देखें तो बंगाली ब्याहता की एक छवि तमाम पॉपुलर रेफरेंसेज के बाद हम अपने मन में बनाते हैं. बड़ी काजल भरी आंखें, संगीत की ट्रेनिंग, हाथ और पांव में महावर, बंगाली तरीके से बंधी साड़ी और न जाने क्या-क्या. कुछ समय पहले आए बादशाह के गाने 'गेंदा फूल' का वीडियो तो याद ही होगा. न याद हो तो गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की दुर्गा याद होगी. जिसे सिर्फ बंगालन के नाम से याद रखा गया. जो हमेशा उसके जीवन में एक अन्य स्त्री की तरह रही. उसकी पहली पत्नी की तरह कभी मुख्य स्त्री नहीं बन पाई.
Vidya Balan फिल्म 'परिणीता' में विद्या बालन ने एक बंगाली महिला का किरदार निभाया था. उसके बाद फिल्म 'भूल-भुलैया' में वो मंजुलिका के किरदार में दिखाई दी थी.

चूंकि बंगाली लड़कियों का रिप्रेजेंटेशन कई बार कामुक होता है. कामुकता के साथ डर भी आता है. अगर लड़की अपनी कामुकता ज़ाहिर करती है तो समाज उससे डरता है. फिर उससे जुड़े तमाम झूठ जैसे वो पुरुष को तबाह कर देगी, अपने सौन्दर्य से उसे बेबस कर देगी. ये नैरेटिव में आने लगते हैं. चाहे वो 'बुलबुल' फिल्म की चुड़ैल, 'स्त्री' की स्त्री या 'राज़' फिल्म की भूतनी. या फिर 'भूल भुलैया' की क्लासिक मंजुलिका. बेहद आकर्षक होना उसकी पहली शर्त होती है. चूंकि बंगाली लड़कियों का चित्रण आकर्षक है, ये मानना कि वो धोखा देंगी, भी आसान हो जाता है.
Bipasha बंगाली महिलाओं का चित्रण भी वैसा ही होता है, कि उन्हें कामुकता से जोड़ कर देखा जाता है. तस्वीर में बिपाशा बसु.

तो क्या हम ये कह रहे हैं पूरी दुनिया बेकार है और बंगाली सबसे अच्छे? नहीं. बिलकुल नहीं. हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि कोई इंसान कैसा है, उसका चरित्र कैसा है, ये उसके राज्य या उसकी भाषा से तय नहीं किया जा सकता.
मेरी एक बंगाली सहेली हैं. वो बताती हैं:
कई बंगाली लोगों में हिंदी भाषियों को लेकर बायस हैं. कैसे बायस: कि टिपिकल नॉर्थ इंडियन पढ़ने-लिखने में कमज़ोर होते हैं. वो दकियानूसी खयालों के होंगे. अंग्रेजी बोलने की क्षमता उनमें नहीं होगी. उनके उच्चारण गलत होंगे. वो कल्चर्ड नहीं होंगे. देहाती होंगे. नार्थ इंडियन संगीत बेहद सतही होगा. उनका खाना उतना अच्छा नहीं है जितना बंगाली फ़ूड होता है. चूंकि उन्हें बांग्ला समझ नहीं आएगी, उनकी उपस्थिति में बांग्ला में धड़ल्ले से गालियां देख मज़े लिए जा सकते हैं.
कुल मिलाकर, हम कई पूर्वाग्रहों से भरे हैं. बंगाली लड़कियों को चरित्र की बुरी, पैसे की भूखी या जादू टोना करने वाली मानना उनमें से एक है. सोशल मीडिया पर हमारे सामने मीम आते हैं तो हम हंसकर आगे बढ़ जाते हैं. हमें लगता है एक चुटकुले में बुराई ही क्या है. मगर दूर जाकर, इसे बड़े तौर पर देखिए. ये छोटे पूर्वाग्रह हमें भेड़िया बना सकते हैं.
रिया चक्रवर्ती पर जितने भी आरोप हैं, वो गंभीर हैं. पुलिस और न्यायपालिका अपना काम करेगी. अगर रिया चक्रवर्ती आरोपी हैं तो इससे इस बात का क्या लेना-देना कि वो बंगाली हैं?
जाते-जाते एक बात और. अगर कोई लड़की पढ़ी-लिखी, कॉन्फिडेंट है. या मेकअप लगाती है. या पुरुषों से बात करने में सहज है. तो इसका ये मतलब नहीं कि वो किसी पुरुष को बर्बाद करना चाहती है. अगर किसी कॉन्फिडेंट लड़की को देखकर एक पुरुष के तौर पर आपको ऐसा महसूस होता है. तो अपने अन्दर झांकिए. और सोचिए कि ये इनसिक्योरिटी, ये डर आपके अंदर क्यों उपज रहा है?


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