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फाइमोसिस: लिंग से जुड़ी ये समस्या 'पीनस-ब्लीडिंग' से लेकर कैंसर तक दे सकती है, जानें इससे बचें कैसे

ज्यादातर पुरुष इस समस्या को बताने से शर्माते हैं जिससे दिक्कत और ज्यादा बढ़ सकती है.

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भारत में बड़ी संख्या में फाइमोसिस के मरीज हैं (सांकेतिक फोटो)

आज हम पुरुषों से जुड़ी एक बेहद कॉमन समस्या के बारे में बात करेंगे. ये एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में आप किसी को बताने से झिझकते हैं. लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया जाता है तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जैसे कि पुरुषों को सेक्स के दौरान दर्द होना (Pain during sex), कई बार लिंग से ब्लीडिंग (Penile bleeding) हो जाना. यही नहीं, ये समस्या लिंग में कैंसर (Penile Cancer) का कारण भी बन सकती है. इस समस्या का नाम है फाइमोसिस (Phimosis), और भारत में बड़ी संख्या में इसके मरीज हैं. और ये समस्या उन्हीं पुरुषों में होती है, जिनका सरकमसीजन या खतना नहीं हुआ होता. तो फाइमोसिस क्या है, किस वजह से ये समस्या होती है, और इसका इलाज क्या है? डॉक्टर से जानिए.

फाइमोसिस क्या है?

ये हमें बताया डॉ. दीपांशु गुप्ता ने.

( डॉ. दीपांशु गुप्ता, एमबीबीएस, एमएस, यूरोलॉजी एण्ड एंड्रोलॉजिस्ट, सीनियर कंसल्टेंट, क्योरस्टोन गुरुग्राम )

पुरुषों के लिंग के अगले हिस्से (ग्लांस) पर मौजूद चमड़ी को फोरस्किन कहते हैं. अगर ये फोरस्किन किसी कारण से टाइट हो जाए या पीछे न आ पाए. या ये फोरस्किन पेशाब के रास्ते को ब्लॉक कर दे. इस समस्या को फाइमोसिस (Phimosis) कहते हैं.

कारण

> फाइमोसिस होने के कई कारण होते हैं, जैसे बार-बार इंफेक्शन होना.

> लिंग की सफाई न होने पर इंफेक्शन होने के कारण फोरस्किन पर घाव पड़ जाता है, इस वजह से भी फोरस्किन टाइट हो जाती है.

> बार-बार लिंग के अगले हिस्से पर चोट या रगड़ लगने से भी घाव बन जाता है, जिससे फाइमोसिस हो जाता है.

> पेशाब के रास्ते में इंफेक्शन और या सेक्स से फैलने वाले इंफेक्शन (STD) के कारण भी फाइमोसिस होता है.

> अगर खुजली, लाइकेन स्क्लेरोसस (Lichen Sclerosus) या किसी दूसरी एलर्जी के कारण भी ये समस्या हो सकती है.

फाइमोसिस से क्या दिक्कत होती है?

> फोरस्किन टाइट होने के कारण ये पीछे नहीं आ पाती, इस वजह से लिंग की सफाई नहीं हो पाती है.

> कई बार इस हिस्से में पेशाब भी रह जाता है.

> स्किन पर मौजूद ग्रंथियों से निकलने वाला तेल वहां इकट्ठा हो जाता है, इस वजह से वहां बैक्टीरिया पनप जाते हैं. इस वजह से इंफेक्शन हो जाता है.

> फोरस्किन टाइट होने के कारण जब भी इसे पीछे खींचा जाता है इसमें छोटे-छोटे कट पड़ जाते हैं.

> इस वजह से पेशाब के दौरान मरीज को काफी जलन महसूस होती है.

> अगर मरीज सेक्शुअली एक्टिव है तो, इरेक्शन के दौरान जब लिंग स्किन को खींचने की कोशिश करेगा तो इरेक्शन के समय उसे दर्द होगा. इसका नतीजा ये हो सकता है कि पुरुष की सेक्स करने की इच्छा खत्म हो जाए. मतलब वो इससे डरने लगे.

> अगर लंबे समय से फाइमोसिस है तो 10-20 साल बाद ये कैंसर भी बन सकता है.

कितने पुरुष फाइमोसिस से जूझते हैं?

> फाइमोसिस भारत में काफी आम समस्या है.

> अक्सर युवा पुरुषों को सेक्शुअल हेल्थ के बारे में जानकारी नहीं होती.

> लिंग की सफाई कैसे करें, उन्हें ये नहीं पता होता और फोरस्किन को पीछे नहीं करते, इस वजह से उन्हें फाइमोसिस हो जाती है.

इलाज

> फाइमोसिस कई स्तर का होता है-  माइल्ड यानी हल्का, मॉडरेट और सिवीयर यानी गंभीर.

> माइल्ड फाइमोसिस होने पर कुछ स्टेरॉइड क्रीम लगाने के लिए दी जाती हैं.

> साथ ही कुछ फोरस्किन स्ट्रेच करने की एक्सरसाइज़ बताई जाती हैं, माइल्ड फाइमोसिस में इससे आराम मिलता है.

> मॉडरेट फाइमोसिस में कुछ दवाइयां दी जाती हैं. अगर दवाइयों से आराम नहीं मिलता तो सर्जरी करनी पड़ती है जिसे सरकमसीजन (खतना) कहते हैं.

> सिवीयर फाइमोसिस में फोरस्किन बिल्कुल भी पीछे नहीं जाती, ऐसे मरीजों को सरकमसीजन कराने की सलाह दी जाती है.

> सरकमसीजन में लिंग की फोरस्किन को निकाल दिया जाता है

पुरुषों के लिए फाइमोसिस कितनी बड़ी समस्या है ये आपने जान ही लिया. इसलिए पर्सनल हाइजीन का ख्याल रखें, और अगर किसी इंफेक्शन की वजह से फोरस्किन टाइट होने लगी है तो इसे छिपाएं नहीं. इस समस्या में शर्माने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं ताकि इसका इलाज हो सके. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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