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'डायन' के नाम पर मारपीट का शिकार हुई औरतों को ये प्रोजेक्ट देगा नई ज़िंदगी

पिछले महीने जादू-टोने के शक में एक महिला की हत्या कर दी गई थी.

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बाएं से दाएं: मजबूरी में पेशाब पीती बूढ़ी महिला. एक दूसरी बूढ़ी औरत का मुंडन करता आदमी. फाइल फोटो- रितेश अनुपम.
# औरत को डायन बताकर गांव वालों ने कपड़े उतारकर पीटा

# जादू-टोने के शक में औरत के चेहरे पर कालिख पोती, मूत्र पीने पर किया मजबूर

# 70 साल की बुजुर्ग को जादू-टोने के शक में पीट-पीटकर मार डाला

इस तरह की हेडलाइन्स अक्सर हमें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं. उत्तर भारत के तमाम राज्यों में इस तरह की घटनाएं आम हैं. चालू भाषा में इसे विच हंटिंग कहा जाता है. मतलब है किसी महिला को डायन या जादू-टोने वाली मानकर उसको प्रताड़ित करना. ये प्रताड़ना मानसिक भी होती है और शारीरिक भी. अब इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए झारखंड सरकार ने प्रोजेक्ट गरिमा शुरू किया है. इस तरह की घटनाओं पर रोक की कोशिश के साथ-साथ  इस प्रोजेक्ट का मकसद शिकार हो चुकी महिलाओं को समाज में बेहतर जीवन यापन के अवसर देना भी होगा.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे राज्य में नुक्कड़ नाटक, कार्यशाला और दूसरे जागरुकता अभियानों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. 2023 तक इस कुप्रथा को खत्म करने का लक्ष्य है. रिपोर्ट के मुताबिक, करीब दो साल से इस प्रोजेक्ट की तैयारी चल रही थी. अभी तक 450 गांवों में से 1149 महिलाओं की लिस्ट तैयार की गई है. जो कभी न कभी इस कुप्रथा का शिकार रहीं हो. क्या है प्रोजेक्ट गरिमा? झारखंड का ग्रामीण विकास विभाग इस प्रोजेक्ट को चलाएगा. तीन साल में इस प्रोजेक्ट के तहत 2668 गांवों को कवर किया जाएगा. इसके तहत 10-10 महिलाओं का सखी मंडल तैयार किया जाएगा. ये महिलाएं गांवों में जाकर जागरूकता फैलाएंगी कि जादू टोना जैसी कोई चीज़ नहीं होती है, ये सब महज़ अंधविश्वास है.  जागरुकता फैलाने के साथ-साथ महिलाओं को थियेटर की ट्रेनिंग दी जाएगी. कार्यशाला का आयोजन होगा. ताकि महिलाएं  अपने अधिकारों के बारे में बेहतर समझ सकें.
सांकेतिक फोटो. सांकेतिक फोटो.

इस प्रोजेक्ट के तहत हर गांव में एक सुरक्षा टीम बनाई जाएगी. ये टीम सुनिश्चित करेगी कि गांव में किसी भी महिला या परिवार के साथ जादू-टोना या डायन के नाम पर ज्यादती न हो. उन्हें प्रताड़ित न किया जाए. सार्वजनिक तौर पर मारपीट, मल-मूत्र  खिलाने पिलाने और निर्वस्त्र करके परेड निकालने जैसी घटनाओं पर रोक लगाने की जिम्मेदारी इस सुरक्षा टीम की होगी.
इसी के साथ हर ब्लॉक हेडक्वार्टर में वन स्टॉप सेंटर बनाए जाएंगे. जहां प्रताड़ित महिलाएं रुक भी सकती हैं. ये वन स्टॉप सेंटर उन महिलाओं की स्वास्थ्य सहायता और  काउंसिलिंग के साथ-साथ कानूनी मदद भी करेंगे. क्यों आज झारखंड में ऐसे प्रोजेक्ट्स की ज़रुरत है ? इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने झारखंड के पलामू में डायन बताकर महिला की हत्या का मामला सामने आया था. 41 साल की सूरजमणि देवी अपने पांच साल के बेटे के साथ सो रही थीं. जब ग्रामीणों नींद में ही धारदार हथियार से उनकी हत्या कर दी. करीब एक महीने पहले उनके पड़ोसी की बेटी की मौत हो गई थी. तब से गांव वालों को सूरजमणि पर ‘डायन’ होने का शक था. बच्चे की गवाही के आधार पर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है.
झारखंड से इस तरह की खबरें लगातार सामने आती हैं. झारखंड ही नहीं, कुछ दूसरे राज्यों में भी इस तरह के अभियान चलाए जाने की सख्त ज़रूरत है. ताकि लोगों के मन के अंधविश्वास को दूर किया जा सके.

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