क्यों हो रही है स्ट्राइक?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देशभर के डॉक्टर्स की एक संस्था है. ये ख़फ़ा हैं सरकार के एक फ़ैसले से. कुछ दिन पहले सरकार ने कहा था कि अब आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स भी 58 तरह की सर्जरी कर पाएंगे. ये सर्जरी कौन सी होंगी? इनमें शामिल हैं, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी (हड्डियों, जोड़ों की सर्जरी), ऑपथैल्मोलॉजी (आंखों की सर्जरी), ईएनटी (कान, नाक, गले की सर्जरी) और डेंटल सर्जरी (दांतों की सर्जरी).
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IMA का क्या कहना है?
20 नवंबर को जारी इस सरकारी आदेश में कहा गया था कि आयुर्वेद के पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट्स को इन सर्जरी की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाए ताकि वो अपने दम पर ये सर्जरी कर पाएं. ये जारी किया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ इंडियन मेडिसिन ने. ये एक बॉडी है, जो आती है आयुष मंत्रालय के तहत. अब आदेश तो आ गया. लेकिन IMA को ये बात नहीं पची. उन्होंने कहा कि ये तो 'मिक्सोपैथी' है. यानी दो नावों पर पैर रखकर सवारी करना. मॉडर्न मेडिसिन और आयुर्वेद की एक खिचड़ी. IMA को लगता है कि आयुर्वेद के मेडिकल स्टूडेंट्स ये सर्जरी करने के लिए क्वालिफाइड नहीं हैं.
भले ही MBBS किए हुए डॉक्टर सरकार के इस फ़ैसले से ख़ुश न हों. लेकिन आयुर्वेद के डॉक्टर बहुत ख़ुश हैं. उनका कहना है कि वो बरसों से ये सर्जरी करते आ रहे हैं. उन्हें इसकी ट्रेनिंग है, और वो कर सकते हैं.
तो हमने सोचा क्यों न एलोपैथी और आयुर्वेद के डॉक्टर्स को आमने-सामने लाया जाए. पूछें कि भई क्या दिक्कत है? आपकी क्या राय है.
एलोपैथी vs आयुर्वेद
सबसे पहले हमने बात की डॉक्टर ज़ीनत से. सीनियर कन्सल्टेंट हैं. एलोपैथी की. उन्होंने कहा:

डॉक्टर ज़ीनत अहमद, एमडी (मेडिसिन), जेपी हॉस्पिटल, नोएडा
'जैसे कोई डेंटल सर्जन कैटरेक्ट की सर्जरी नहीं कर सकता, या कोई हड्डी का डॉक्टर रूट कैनल थैरपी करने के लिए नहीं लिख सकता. वैसे ही जब कोई आयुर्वेद का पोस्ट ग्रेजुएट ये सारी सर्जरी करने लगता है तो उसकी क्षमता और वैधता पर सवाल तो उठेंगे ही. हर सर्जरी का एक पोस्ट ऑपरेटिव मैनेजमेंट भी होता है. जो एलोपैथिक तरीके से किया जाता है. ऐसे में ये सब कराना मरीज़ की जान के लिए खतरनाक है. आयुर्वेद एक ज़रूरी चिकित्सा पद्धति ज़रूर है. इस बात से किसी को इंकार नहीं, बल्कि IMA तो ये बोलता है कि आप हर पद्धति को अलग-अलग डेवलप करें. लेकिन आयुर्वेद का एलोपैथी में घुसना सही नहीं है.'ये तो हुई बात एलोपैथी के डॉक्टर की. अब जानते हैं कि आयुर्वेद के डॉक्टर इस बारे में क्या कहते हैं. हमने बात की डॉक्टर शीशपाल हीरा से. उन्होंने बताया:

डॉक्टर शीशपाल हीरा, BAMS, राजीव गाँधी राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पपरोला
'एक आयुर्वेद चिकित्सक होने के नाते मैं IMA को ये बताना चाहूंगा कि जो आयुर्वेद सर्जरी हैं, वो आज ही नहीं बल्कि बहुत पहले से हो रही हैं. आयुर्वेद में शल्य चिकित्सक सबसे पहले हुए थे. वो थे आचार्य सुश्रुत. सुश्रुत संहिता में दो पार्ट हैं. सुश्रुत पार्ट 1 और सुश्रुत पार्ट 2. पार्ट 1 में बोन फ्रैक्चर से लेकर बोन की हीलिंग, बोन की बैंडेज, इस सबके बारे में बताया गया है. साथ में कॉटेराइज़ेशन यानी अग्नि कर्म के बारे में भी बताया गया है. पोस्ट ऑपरेटिव प्रोसीजर के बारे में भी उसमें जानकारी दी गई है. पार्ट 2 में आंखों की सर्जरी, नाक की सर्जरी यहां तक कि ऑपरेशन से बच्चा कैसे किया जाता था उस समय, ये भी बताया गया है.'अब IMA आयुर्वेद के डॉक्टर्स की बात मानेंगे या नहीं, ये तो समय ही बताएगा. आपने दोनों डॉक्टर्स की राय सुन ली. इस मुद्दे पर आपकी राय क्या है हमें ज़रूर बताइएगा.
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