इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज. हो सकता है ये शब्द आप पहली बार सुन रहे हों. पर बिज़नेस लाइन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान में 15 लाख लोग इससे ग्रस्त हैं. इस बीमारी के मामले में हम दुनिया में दूसरे नंबर पर आते हैं. पहले नंबर पर है अमेरिका. 'इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज'- ये जो शब्द हैं उन्हें कुछ डिसऑर्डर्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इन डिसऑर्डर्स के कारण आपके डाईजेस्टिव ट्रैक्ट में सूजन आ जाती है. डाईजेस्टिव ट्रैक्ट यानी वो अंग जिनसे होते हुए आपका खाना, पानी हजम होता है और मल बनकर बाहर निकलता है. ये बीमारी अपने आप में बहुत ख़तरनाक है. इससे क्या होता है ये क्यों हो जाती है, चलिए जानते हैं डॉक्टर्स से.
क्या होती है इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज?
ये हमें बताया डॉक्टर शंकर ने.
डॉक्टर शंकर झंवर, गैस्ट्रोलॉजिस्ट, नागपुर
-इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) अंतड़ियों की सूजन की बीमारी का समूह है
-इसके मुख्य दो प्रकार हैं
-अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis). ये बड़ी आंत तक ही सीमित रहता है
-दूसरा है क्रोन्ज़ डिजीज (Crohn's Disease ). जो मुंह से लेकर मलद्वार तक कहीं भी हो सकता है
-सामान्य प्रकार में छोटी आंत के आखिरी भाग और बड़ी आंत के शुरुआती हिस्से में होता है
कारण
-निश्चित कारणों का शोध जारी है
-पर शरीर की इम्युनिटी में आने वाली गड़बड़ी के कारण ये होता है
-साधारण परिस्थितियों में हमारी इम्युनिटी बाहरी बैक्टीरिया से हमारा बचाव करती है
-पर इस बीमारी में इम्युनिटी बैक्टीरिया से लड़ नहीं पाती
-इस कारण अंतड़ियों में सूजन आ जाती है
-कुछ लोगों के केस में ऐसा जेनेटिक कारणों से होता है
-ऐसे में परिवार के कई लोगों में इस बीमारी के लक्षण दिख सकते हैं
कारण आपको पता चल गए. अब बात करते हैं लक्षणों और इलाज की.
लक्षण
-इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज एक क्रोनिक बीमारी है. जैसे डाइबिटीज.
-जैसे डाइबिटीज के मरीज़ों की शुगर दवाइयों से ज़्यादा समय नियंत्रित की जा सकती है. वैसे ही इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज भी होता है
-दवाइयां बंद होते ही लक्षण वापस आ सकते हैं
इस बीमारी में इम्युनिटी बैक्टीरिया से लड़ नहीं पाती
-जैसे डाइबिटीज़ में तनाव बढ़ने से या इन्फेक्शन से शुगर का नियंत्रण बिगड़ जाता है, वैसे ही स्ट्रेस या इन्फेक्शन से इस बीमारी के लक्षण भी बढ़ सकते हैं
-इस बीमारी के लक्षणों में उतार-चड़ाव होना काफ़ी समान्य बात है
-इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं पेट दर्द, ख़ासतौर पर ऐंठन या मरोड़ जैसा दर्द
-खून के दस्त आना
-शौच को सामान्य समय तक रोक पाने में मुश्किल होना
-वजन कम होना
-भूख कम लगना
-एनीमिया (खून की कमी)
-जब ये बीमारी ज़्यादा गंभीर होती है तब अंतड़ियों में बड़े छाले बन सकते हैं
-नासूर बन सकते हैं
-कभी-कभी मलद्वार के पास भी नासूर बन सकता है
-कुछ मरीज़ों में अंतड़ियों के अलावा जोड़ों में सूजन, आंखों में सूजन, लिवर में सूजन या स्किन की बीमारी भी हो जाती है
-जिन लोगों को ये बीमारी 10 साल से ज़्यादा रही है, उनमें कैंसर का भी रिस्क होता है
-इसलिए समय-समय पर अंतड़ियों की जांच ज़रूरी होती है
-आपके लक्षणों से डॉक्टर अंदाज़ा लगा लेते हैं कि आपको IBD हो सकता है
-पुष्टि के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं
-इनमें मुख्य होता खून की जांच, दूरबीन द्वारा अंतड़ियों की जांच
-इसमें अंतड़ियों का एक छोटा सा टुकड़ा निकाला जाता है और एक माइक्रोस्कोप में देखा जाता है
-ज़रुरत पड़ने पर सीटी स्कैन या एमआरआई भी करना पड़ सकता है
बचाव
-क्योंकि इसका कारण ही निश्चित रूप से पता नहीं
-पर जिन चीज़ों से ये बढ़ता है वो हमें नहीं करनी चाहिए
-जैसे स्मोकिंग. इससे क्रोन डिजीज बढ़ता है
रेडीमेड टिन फ़ूड अवॉइड करना चाहिए
-डॉक्टर की सलाह के बिना पेन किलर या एंटीबायोटिक नहीं लेनी चाहिए
-ज़्यादा स्ट्रेस न लें
इलाज
-इस बीमारी का उपचार जटिल होता है
-लंबे समय तक चलने वाला होता है
-इस बीमारी में ज़्यादा घरेलू उपचार के चक्कर में न रहें
-अगर आप IBD के पेशेंट हैं और आपके लक्षण दूध लेने से नहीं बढ़ रहे तो हल्दी वाला दूध आपको फ़ायदा पहुंचा सकता है
-डॉक्टर्स पहले इसे दवाइयों से ठीक करने की कोशिश करते हैं
-जिनमें गोलियां, इंजेक्शन, एनिमा जैसे उपाय होते हैं
-अगर आपके लक्षण दवाइयों से कंट्रोल में न आ रहे हों तो ऑपरेशन करना अनिवार्य होता है
इलाज आपने डॉक्टर साहब से जान लिए. पर बात जब इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज की आती है तो ज़रूरी है आप अपने खान-पान पर ख़ास ध्यान दें. अगर आप इस बीमारी से ग्रसित हैं तो क्या चीज़ें हैं जो आपको खानी चाहिए और क्या नहीं, जानते हैं डॉक्टर से.
क्या अवॉइड करें
ये हमें बताया डॉक्टर रेखा ने.
रेखा गुप्ता, डायटीशियन, रेखा गुप्ता क्लिनिक, वाराणसी
-शराब से परहेज़ करें
-चीनी या चीनी से बने पदार्थों को अवॉइड करना चाहिए
-किसी भी तरह की फल, सब्जियां जिनमें बीज हो उन्हें अवॉइड करें
-ड्राई फ्रूट नहीं लेना चाहिए
-बहुत ज़्यादा घी-तेल नहीं लेना चाहिए
-कई लोगों को दूध सूट नहीं करता. ऐसे लोगों को दूध अवॉइड करना चाहिए
-किसी भी चीज़ को उसके छिलके के साथ न खाएं
क्या खाना चाहिए
-वो फल खाइए जिनमें बीज न हो
-उनका छिलका हटाकर खाइए
कम घी का सादा खाना खाइए
-हर थोड़ी-थोड़ी देर में खाना और पानी पीते रहें
-इस बीमारी में विटामिन, मिनरल, आयरन की कमी हो जाती है इसलिए डॉक्टर से बात करके सप्लीमेंट लेते रहिए
-फलों में केला, सेब, नाशपाती, जामुन बिना छिलके के खा सकते हैं
-अंगूर, आम, अमरुद, खट्टे फल जैसे संतरा, अनानास, नींबू, या किसी भी तरह के बीज के फल अवॉइड करें
-मूंग दाल, मलका दाल, साबूत मूंग की दाल, धुली मूंग की दाल खा सकते हैं
-काबुली चना, राजमा, खड़ी उड़द का दाल, खड़ी दालें और मटर अवॉइड करना चाहिए
डॉक्टर ने जो टिप्स बताई हैं उनपर ख़ास ध्यान दीजीएगा.
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