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शरीर की गंदगी को कैसे बाहर निकालें? एक्सपर्ट ने सबसे आसान तरीका बता दिया

घरों की सफ़ाई करते हैं, ठीक वैसे ही शरीर के कचरे को हटाना भी जरूरी है

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कोई दवा लेने की ज़रुरत नहीं है!

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

अरविंद 30 साल के हैं. उन्हें एसिडिटी, एक्ने, एलर्जी, थकान जैसी समस्याएं रहती हैं. कोई ख़ास मेडिकल प्रॉब्लम नहीं है. ये समस्याएं नतीजा हैं उनके शरीर के अंदर टॉक्सिन्स जमा होने का. टॉक्सिन्स को बोलचाल की भाषा में समझें तो गंदगी, कचरा. उन्होंने कई ऐसी दवाइयों के विज्ञापन देखें हैं जो शरीर को अंदर से साफ़ करने का दावा करते हैं. यानी डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करते हैं. अरविंद जानना चाहते हैं कि क्या ये दवाइयां लेना सेफ़ है? वो ये भी जानना चाहते हैं कि शरीर को अंदर से नैचुरली साफ़ करने का क्या तरीका है. अब इन सवालों के जवाब तो डॉक्टर्स देंगे ही पर उससे पहले समझ लेते हैं शरीर के अंदर गंदगी आती कहां से है.

शरीर के अंदर कहां से और किस तरह की गंदगी जमा होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर अनिकेत मूले ने.

Dr Aniket Mule | North Mumbai – Mira Road
डॉक्टर अनिकेत मूले, कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स, मुंबई

-नैचुरल तौर पर लिवर, लंग्स, किडनी, स्किन शरीर से टॉक्सिन्स (गंद, कचरा) बाहर निकालते हैं

-इसी को डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं

-ये टॉक्सिन्स शरीर के अंदर डाइट, प्रदूषण और दवाइयों में पाए जाने वाले हैवी मेटल से आते हैं. इन्हीं को टॉक्सिन्स कहते हैं

-शरीर जब इन्हें बाहर निकालता है तो उसे डिटॉक्सिफिकेशन कहते हैं

-ये कुदरती तौर पर लिवर, किडनी, लंग्स और स्किन से किया जाता है

शरीर को अंदर से साफ़ करने के लिए क्या करना चाहिए?

-शराब कम पीजिए

-शराब अपने आप में एक टॉक्सिन है

-ये लिवर को डायरेक्ट और इनडायरेक्टली नुकसान पहुंचाती है

-शराब की वजह से डाइट पर भी असर पड़ता है

-शराब का असर लिवर पर पड़ता है

-वज़न बढ़ता है

-ये बढ़ा हुआ वज़न टॉक्सिन की तरह काम करता है

-शराब लेने से पूरे मेटाबॉलिज्म पर असर पड़ता है

6 Simple Ways to Detox Your Body - YouTube
नैचुरल तौर पर लिवर, लंग्स, किडनी, स्किन शरीर से टॉक्सिन्स (गंद, कचरा) बाहर निकालते हैं

-इसलिए शराब अवॉइड करें ताकि लिवर पर असर न पड़े और डिटॉक्सिफिकेशन आसानी से हो जाए

-दूसरी बात. फैट और शुगर खाना कम करें

-ज़्यादा शुगर लेने से फैट बढ़ता है

-फैट बढ़ने से आगे जाकर नुकसान होता है

-तीसरी बात. टाइम पर सोएं

-7-8 घंटे की नींद लें

-सोते समय शरीर अपने आपको ठीक करता है

-जिससे डिटॉक्सिफिकेशन बढ़ जाता है

-पानी ज़्यादा पिएं

-जिससे शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स घुल जाएं और किडनी के ज़रिए आसानी से शरीर के बाहर निकल जाएं  

-रोज़ एक्सरसाइज करने से मेटाबॉलिज्म एक्टिव रहता है

-इससे डिटॉक्सिफिकेशन का प्रोसेस जल्दी होता है

-साथ ही डाइट में एंटीऑक्सिडेंट ज़्यादा लें

-उससे नैचुरल तौर पर डिटॉक्सिफिकेशन में मदद मिलती है

-एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं हरी-पत्तेदार सब्जियों, नट्स, ड्राई फ्रूट्स में

-इनमें विटामिन सी, विटामिन ई, सिलेनियम होते हैं

-ये नैचुरल एंटीऑक्सिडेंट हैं

-इस तरह आप अपने शरीर को अंदर से साफ़ कर सकते हैं

-इसके लिए अलग से कोई दवा लेने की ज़रुरत नहीं है

जैसे आप अपने घरों की सफ़ाई करते रहते हैं, ठीक वैसे ही शरीर की सफ़ाई भी ज़रूरी है. इस सफ़ाई के लिए क्या करना है, ये तो डॉक्टर साहब ने बता ही दिया. ये टिप्स फॉलो करिए. असर देखने को मिलेगा. 

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