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शरीर की कमियों की सजा भुगतते हैं बाल, झड़ने का मतलब कई दिक्कतें हैं

बालों से कैसे पता चलता है शरीर के अंदर क्या चल रहा है? सिर्फ़ शैम्पू बदलने से कुछ नहीं होगा.

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स्ट्रेस और ख़राब लाइफस्टाइल से भी बालों पर असर पड़ता है.

आपको मालूम है, आपके बाल एक खिड़की का काम करते हैं. यानी आपके शरीर के अंदर क्या चल रहा है, उसकी झलक आपके बालों में दिखती है. अगर अंदर कुछ गड़बड़ है, किसी चीज़ की कमी है या कोई बीमारी है तो उसका सीधा असर आपके बालों पर पड़ता है. आपके बाल पतले होने लगते हैं, रूखे हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं. ऐसा होने पर लोगों को लगता है कि ख़राबी उनके बालों में है. उसे ठीक करने के लिए वो महंगे शैम्पू ख़रीदते हैं. महज़ विज्ञापन देखकर कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स पर पानी की तरह पैसे बहाते हैं, जो किसी काम के नहीं होते. सब कुछ करते हैं, पर असल दिक्कत की जड़ तक नहीं पहुंच पाते. इसलिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि शरीर में किस दिक्कत से बालों पर किस तरह का असर पड़ता है.

बालों की हेल्थ से शरीर की सेहत का पता चलता है?

ये हमें बताया डॉक्टर मंदीप सिंह ने.

Dr. Mandeep Singh in Sushant Lok Phase 1,Delhi - Best Dermatologists in  Delhi - Justdial
डॉक्टर मंदीप सिंह, हेड, प्लास्टिक सर्जरी, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

हां, ऐसा वाकई होता है. शरीर अगर बीमार है तो बाल ड्राई हो जाते हैं. टूटने लगते हैं. पतले हो जाते हैं. बीमारी बढ़ने पर हेयर लॉस भी शुरू हो जाता है.

किन कारणों से ऐसा होता है?

शरीर में कुछ पोषक तत्वों की कमी के कारण ऐसा होता है, जैसे मिनरल, विटामिन और प्रोटीन. ये ठीक है कि जिंदा रहने के लिए शरीर को बालों की ज़रुरत नहीं होती. जब शरीर में किसी भी चीज़ की कमी होती है तो वो बालों से उसे खींच लेता है. ऐसे में बाल पतले हो जाते हैं, सूख जाते हैं और टूटना शुरू हो जाते हैं. अगर अच्छे बाल चाहिए तो शरीर में मिनरल, प्रोटीन और विटामिंस की मात्रा एकदम ठीक होनी चाहिए. 

कुछ बीमारियों में भी बाल झड़ते और टूटते हैं. जैसे थायरॉइड. महिलाओं में अगर टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन ज़्यादा हो जाए तो भी ऐसा होता है. जैसे PCOD में बालों का झड़ना देखा जाता है. कुछ दवाइयों से भी बाल गिरते हैं. जैसे कैंसर की दवाइयां. स्ट्रेस और ख़राब लाइफस्टाइल से भी बालों पर असर पड़ता है. इसके अलावा प्रदूषण में रहने से भी बालों को नुकसान होता है.

Female pattern hair loss prevalent in half of postmenopausal women
बीमारी बढ़ने पर हेयर लॉस भी शुरू हो जाता है.
इलाज

जो कारण होता है उसके हिसाब से इलाज किया जाता है. अगर किसी पोषक तत्व की कमी है तो उसको पूरा करने से बाल ठीक होंगे. बालों की साइकिल 6 से 9 महीनों की होती है. जब तक ये कमी ठीक नहीं हो जाती तब तक बालों की ग्रोथ नहीं दिखेगी. मतलब 3-6 महीने का इलाज करना पड़ता है. लाइफस्टाइल को ठीक करना होता है. कुछ दवाइयों से ब्लड सप्लाई अच्छी होती है. जैसे मिनोक्सिडिल. 

लेकिन ये दवाइयां केवल डॉक्टर की सलाह से ही लेनी हैं. कुछ केसों में ये सब करने के बाद भी हेयर लॉस होता रहता है. पुरुषों में ये जेनेटिक्स की वजह से होता है. ऐसे केसों में अगर ये दवाइयां नहीं काम कर रहीं तो हेयर ट्रांसप्लांट भी करवा सकते हैं. कुछ लोगों को स्किन की बीमारियां होती हैं. जैसे सोराइसिस या कोई एलर्जी. अगर ये कारण हैं तो इनका इलाज भी ज़रूरी है.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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