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अच्छी सेहत के लिए सप्लीमेंट्स लेने चाहिए या नहीं? आज सब क्लियर कर लें

जाने-अनजाने में सप्लीमेंट की मात्रा ज़्यादा हो जाए तो फ़ायदा कम नुकसान ज़्यादा होता है. कई बार सप्लीमेंट ज़्यादा लेने से शरीर में Toxicity हो सकती है.

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डाइट बनाम सप्लीमेंट्स

लल्लनटॉप में हमारे साथी हैं मानस. कुछ दिनों से बड़े परेशान हैं. हमने पूछा, क्या हुआ भाई? आजकल बहुत बुझे-बुझे रहते हो? बोले, क्या बताएं! आजकल दिनभर बहुत कमज़ोरी-सी लगती है. हर वक़्त थका-थका लगता है. चिड़चिड़ा-सा रहता हूं. डॉक्टर को दिखाया था तो उन्होंने एक ब्लड टेस्ट करवाया. उसमें पता चला कि विटामिन बी 12 बहुत कम है, जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है. उन्होंने सप्लीमेंट्स दिए हैं खाने के लिए और डाइट सुधारने के लिए बोला है.

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जैसे ही अड़ोस-पड़ोस वालों ने सुना कि मानस सप्लीमेंट्स खाते हैं, एक बहस छिड़ गई. हमारा न्यूज़रूम दो धड़ों में बंट गया. एक, जो ये कह रहा था कि सप्लीमेंट ज़रूर खाने चाहिए. क्योंकि, खाने से ज़्यादा पोषण इनमें होता है. शरीर में जो भी कमी है, ये उसे पूरा कर देते हैं. दूसरे, वो जो सप्लीमेंट के एकदम ख़िलाफ़ थे. उनका कहना था कि ये फ़ायदा कम और नुकसान ज़्यादा पहुंचाते हैं. इनके बहुत साइड इफेक्ट्स हैं. बेहतर है कि विटामिन बी 12 की कमी पूरी करने के लिए वो खाना खाएं जिसमें विटामिन बी 12 होता है.

अब मानस चाहे जो करें. दोनों में क्या बेस्ट है, ये डॉक्टर से जान लीजिए. समझिए कि खाने से मिलने वाला पोषण ज़्यादा असरदार और हेल्दी होता है या सप्लीमेंट से मिलने वाला. साथ ही पता करेंगे कि सप्लीमेंट्स से नुकसान कब पहुंचता है और इन्हें लेते हुए किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है.

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नेचुरल पोषण बनाम सप्लीमेंट्स

ये हमें बताया कोमल मलिक ने. 

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कोमल मलिक, हेड डाइटिशियन, एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद

नेचुरल न्यूट्रिएंट्स वो पोषक तत्व होते हैं जो हमें प्राकृतिक स्रोतों से मिलते हैं. जैसे पौधों और जानवरों से. वहीं सिंथेटिक सप्लीमेंट लैब में तैयार किए जाते हैं और वो आइसोलेट फॉर्म में होते हैं (यानी इनमें प्रोटीन ज़्यादा होता है और फैट, कार्बोहाइड्रेट और लैक्टोस कम). जब आप संतुलित डाइट लेते हैं तो आपको हर तरह के ज़रूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं. लेकिन, अगर आपकी डाइट सही नहीं है या किन्हीं वजहों से आपकी ज़रूरत ज़्यादा है. जैसे अगर आपको कोई बीमारी है, आप इलाज करा रहे हैं या कोई फिज़ियोलॉजिकल कंडिशन है तो आपको सप्लीमेंट लेने की ज़रूरत पड़ सकती है.

हालांकि ध्यान रखें कि सप्लीमेंट्स को बिना डॉक्टर की सलाह के न लें. मान लीजिए, आपने ब्लड टेस्ट कराया और उससे आपको पता चला कि आप में किसी विटामिन या मिनरल की कमी है. तो, आप खुद उस पोषक तत्व से जुड़ा सप्लीमेंट लेना शुरू नहीं कर सकते. हमेशा किसी डॉक्टर या डाइटिशियन की सलाह के बाद ही सप्लीमेंट लेने चाहिए. 

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सप्लीमेंट्स की मात्रा ज़्यादा हो तो नुकसान पहुंच सकता है

सप्लीमेंट्स से नुकसान कब पहुंचता है?

- अगर जाने-अनजाने में सप्लीमेंट की मात्रा ज़्यादा हो जाए तो फ़ायदा कम नुकसान ज़्यादा होता है.

- कई बार सप्लीमेंट ज़्यादा लेने से शरीर में टॉक्सिसिटी हो सकती है.

- इससे लिवर में दिक्कत आ सकती है, उल्टी हो सकती है और चक्कर भी आ सकते हैं.

- लिहाज़ा जब भी सप्लीमेंट लें तो पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.

- उनसे बिना पूछे सप्लीमेंट अपनी डाइट में शामिल न करें.

खाने से मिलने वाला पोषण ज़्यादा असरदार होता है या सप्लीमेंट्स?

जिनकी डाइट संतुलित है, वो प्राकृतिक स्रोतों से मिले पोषक तत्वों का ही इस्तेमाल करें. लेकिन, अगर आपके शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी है. जैसे कैल्शियम, विटामिन डी, विटामिन बी 12 और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, तो इनकी कमी पूरा करने का काम सप्लीमेंट्स करते हैं. लेकिन, इन्हें कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए. ये सप्लीमेंट किसी टैबलेट, सिरप या पाउडर के रूप में हो सकते हैं. 

देखिए, पोषण आपको सप्लीमेंट्स से भी मिल सकता है. लेकिन, ये आपकी ज़रूरत होने चाहिए, आपकी मर्ज़ी नहीं. अगर आप एक हेल्दी डाइट लेंगे तो सारा ज़रूरी पोषण आपको खुद-ब-खुद मिल जाएगा. आपको सप्लीमेंट्स की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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