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'दुश्मन' और 'संघर्ष' जैसी फिल्में बनाने वाली तनुजा चंद्रा ने बताया हिंदी फ़िल्मों का सच!

'ये औरतों की कहानी सुनाने के लिए सही समय है'

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तनुजा ने 'सुर' (2002), 'क़रीब-क़रीब सिंगल' जैसी फ़िल्में डायरेक्ट की हैं.

अमेज़न प्राइम (Amazon Prime Video) पर एक सीरीज़ आने वाली है. नाम है, 'हश हश'. सीरीज़ में जूही चावला, सोहा अली खान, शहाना गोस्वामी, कृतिका कामरा, करिश्मा तन्ना और आयशा जुल्का दिखेंगे. छह महिलाएं. सारे मुख्य किरदार. ये थ्रिलर-ड्रामा सीरीज़ बनाई है फ़िल्म-मेकर तनुजा चंद्रा ने. अब ये सीरीज़ (Hush Hush) आएगी 22 सितंबर को. अभी आया है ट्रेलर और तनुजा का इंटरव्यू. डायरेक्टर ने आज की फ़िल्मों में महिलाओं के रेप्रेज़ेंटेशन की ज़रूरत के बारे में बात की. बताया कि कैसे पहले से कहीं ज़्यादा प्रोड्यूसर्स महिला-केंद्रित फ़िल्मों और सीरीज़ पर पैसा लगाने के लिए तैयार हैं.

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तनुजा ने कहा कि ये समय महिलाओं की कहानियां सुनाने के लिए सबसे अच्छा समय है. कहा,

"इससे पहले औरतों की कहानी के लिए पैसा जुटाना आसान नहीं था. मुझे लगता है कि अब सूरत बदल रही है. आज प्रोड्यूसर्स महिला-केंद्रित कहानियों पर पैसा लगाना चाहते हैं. इसलिए, ये बहुत अच्छा समय है.

मैं अपने करियर की शुरुआत से ही यही कर रही हूं. ये कोई एजेंडा नहीं है. ये ऐसा कुछ है, जो मुझे करना पसंद है. ये वे कहानियां हैं, जिन्हें मैं सुनाना चाहती थी. हमेशा से. चूंकि प्रतिनिधित्व मायने रखता है, इसलिए जब हम महिलाओं के बारे में कहानियां बनाते हैं, तो इससे बहुत फ़र्क़ पड़ता है. और, इस तरह की कहानियां कभी कही नहीं गईं. तो ये एक खज़ाना है. सदियों से इसे कभी भी ज़रूरी नहीं माना गया, इसलिए ये ताज़ा और नया है. और, इन कहानियों को कहे जाने की ज़रूरत है."

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तनुजा अपनी दमदार महिला किरदारों के लिए जानी जाती हैं. हालांकि, सब हंकी-डोरी बातों के बीच तनुजा ने ये भी कहा कि ये काफ़ी नहीं है और इस संदर्भ में और ज़्यादा करने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा,

"इतने सालों के बाद मैं कह सकती हूं कि अब समय आ गया है जब हम बिना किसी हिचकिचाहट के ऐसी नई कहानियां सुना सकते हैं. मुझे याद है, मैं अपने करियर की शुरुआत में झिझकती थी क्योंकि हमें हमेशा हीरोइन के साथ एक हीरो की ज़रूरत होती ही थी. उन दिनों हमारे पास एक छोटा बजट होता था. अब ऐसा नहीं है. इसलिए मैं उत्साहित हूं और मेरे लिए करने के लिए बहुत कुछ है.

मुझे लगता है कि ऐसी कहानियों की पॉपुलैरिटी और बढ़ेगी. आप लोगों को अच्छी कहानियां सुनाते हैं, वे इसे पसंद करते हैं. फिर आप उन्हें और अच्छी कहानियां सुनाते हैं, और यही चलता रहता है. लेकिन मेरे हिसाब से अभी एक लंबा रास्ता तय करना है. जब तक आधी कहानियां महिला-केंद्रित न हो जाएं, या आधी महिला डायरेक्टर्स न हो जाएं. जब तक हमारे पास पुरुषों के बराबर महिला लेखक नहीं हैं, मुझे नहीं लगता तब तक ये बराबर माना जाएगा. हमारे पास अभी भी लंबा समय है."

22 सितंबर को आएगी 'हश हश'. तब देखा जाएगा कि तनुजा ने किस तरह की कहानी कही है. तनुजा चंद्रा ने ‘दुश्मन,’ 'संघर्ष,' 'सुर,' और 'करीब करीब सिंगल' जैसी फिल्में बनाई हैं. 

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