इबारत: शिव कुमार बटालवी की डेथ एनिवर्सरी पर ये 10 कोट्स सुनने ही चाहिए
'इक कुड़ी जिद्दा नां मोहब्बत'
बिरह और मौत पर लिखने वालों ने बहुत लिखा. मौत से ज़्यादा अमर क्या होगा? लेकिन साहित्य में मृत्यु और बिरह को जिंदा करने वाला जादूगर एक ही हुआ- शिव कुमार बटालवी. आज बटालवी की बरसी है. उमर के चार दशक भी पूरे नहीं कर पाए बटालवी. ‘अज्ज दिन चढेया, तेरे रंग वरगा’ लिखने वाले बटालवी की ज़िंदगी में शाम बहुत जल्दी आई. 37 साल की उम्र में 6 मई, 1973 को बटालवी दुनिया छोड़ गए. साथ में पीछे छोड़ गए वो गीत, जिन्हें आज भी ऐसे गाया जाता है, जैसे वो सैकड़ों साल पहले लिखे गए हों. पूरी खबर देखें वीडियो में.