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भारत में धर्म बदलने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?

"अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए"

भारतीय संविधान के आर्टिकल 25 से 28 में धार्मिक आजादी को मूल अधिकारों में रखा गया है. मतलब जिसकी जो मर्जी हो, वो धर्म माने और उसकी प्रैक्टिस करे. जरूरत महसूस होने पर धर्म बदल ले. न जरूरत हो तो किसी भी धर्म को न माने. इस आजाद ख्याल संविधान और इन दिनों गरमाए धर्मांतरण विरोधी कानूनों की छाया में आज जानते हैं किसी भी धर्म को ग्रहण करने का पूरा सिस्टम क्या है. देखिए वीडियो.