चैपिंयन्स ट्रॉफी 2017 के बाद मैंने जो 8-9 मैच खेले, उनमें से दो में मैं 'मैन ऑफ द मैच' रहा. मुझे नहीं लगा था कि ऐसा करने के बावजूद मुझे टीम से ड्रॉप कर दिया जाएगा. मैं चोटिल था. मुझे श्रीलंका सीरीज़ के लिए तैयारी करने को कहा गया. फिर एकाएक 'यो-यो' टेस्ट की बात आ गई. मेरे सिलेक्शन के लिहाज से ये एक यू-टर्न था. 36 की उम्र में मुझे यो-यो टेस्ट की तैयारी करनी पड़ी.'आज तक' न्यूज़ चैनल को दिए गए एक हालिया इंटरव्यू में युवराज सिंह ये बातें बता रहे थे. बता रहे थे कि किस ढंग से उन्हें टीम से बाहर किया गया. पहले श्रीलंका में होने वाले टेस्ट मैच की तैयारी की बात कही गई. फिर एकाएक उनसे यो-यो टेस्ट क्लियर करने को कहा गया. ये फिटनेस जांचने का एक मल्टी-स्टेज टेस्ट है. विकीपीडिया के मुताबिक, इस टेस्ट में किसी खिलाड़ी या एथलीट की एरोबिक क्षमता जांची जाती है. इंटरव्यू में युवराज आगे बताते हैं-
मैंने यो-यो टेस्ट पास कर लिया. इसके बावजूद मुझे घरेलू क्रिकेट खेलने को कहा गया. असल में उन्होंने (सिलेक्टर्स, टीम मैनेजमेंट) सोचा होगा कि 36 बरस की उम्र में मैं यो-यो टेस्ट क्लियर ही नहीं कर सकूंगा. उन्हें लगा था कि ऐसा होने पर मुझे टीम से निकालना आसान होगा उनके लिए. आप कह सकते हैं कि मुझे टीम से बाहर करने का एक बहाना था ये.
अगर आप मुझसे पूछें, तो रोहित शर्मा को अपने करियर की शुरुआत से ही टेस्ट मैचों में ओपनिंग करनी चाहिए थी. आप उसको एक मैच में खिलाते हैं और फिर ड्रॉप कर देते हैं. कहते हैं, रोहित शर्मा टेस्ट मैचों में रन नहीं बना रहे. क्या किसी को 10 टेस्ट मैच खिलाए बिना आप उससे परफॉर्म करने की उम्मीद कर सकते हैं? अगर अब रोहित से टेस्ट में ओपनिंग करवाई जा रही है, तो कम-से-कम छह टेस्ट लगातार ऐसे खेलने देना चाहिए. रोहित से कहा जाए कि उनके पास 10-12 इनिंग खेलने का समय है. जाएं, अपना खेल खेलें. कोई कुछ नहीं कहेगा. आपने केएल राहुल को इतने सारे मौके दिए.
वर्ल्ड कप जिताने वाले युवराज को रिटायरमेंट के बाद इस चीज का अफसोस है युवराज सिंह ने अपने पापा योगराज सिंह को ड्रैगन बताते हुए और क्या बातें कीं अंबाती रायडू को टीम में आने के लिए धोनी के रिटायरमेंट का इंतजार कर रहे हैं योगराज सिंह