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बारिश का इंतजार करते हुए कभी सोचा है मानसून केरल से ही क्यों शुरू होता है?

बुधवार, 29 मई को कुछ देर के लिए दिल्ली में बारिश क्या हुई मानसून का इंतजार और मुश्किल हो गया. लेकिन कुदरत अपने हिसाब से ही काम करेगी. मानसून छलांग मार कर दिल्ली नहीं आने वाला. वो पहले पहुंचेगा केरल. यही है अपनी स्टोरी. कभी सोचा है कि मानसून सबसे पहले केरल ही क्यों आता है?

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केरल में मानसूनी बारिश का पूर्वानुमान. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

उत्तर भारत में सूरज लोगों की चमड़ी जला रहा है. हर तरफ गर्मी से हाहाकार है. कुछ इलाकों में तो मौतें भी हुई हैं. ठंडी हवा देने वाले एसी-कूलर धड़ाधड़ बिक रहे हैं. लेकिन कई लोग हैं जो इनकी कीमत नहीं चुका सकते. इसलिए वे एक ही चीज से आस लगाए हुए है, मानसून. बुधवार, 29 मई को कुछ देर के लिए दिल्ली में बारिश क्या हुई मानसून का इंतजार और मुश्किल हो गया. लेकिन कुदरत अपने हिसाब से ही काम करेगी. मानसून छलांग मार कर दिल्ली नहीं आने वाला. वो पहले पहुंचेगा केरल. यही है अपनी स्टोरी. कभी सोचा है कि मानसून सबसे पहले केरल ही क्यों आता है?

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केरल से क्यों शुरू होता है मानसून?

पहले जानते हैं कि आखिर मानसून है क्या. Net Geo के मुताबिक, मानसून किसी क्षेत्र में प्रचलित या फिर सबसे तेज़ हवाओं की दिशा में होने वाला मौसमी परिवर्तन है. भारत के सन्दर्भ में मानसून हवाओं का एक समूह है जो हिन्द महासागर से नमी लेकर जमीनी इलाकों की तरफ बढ़ता है. और जहां से भी ये हवाएं गुजरती हैं वहां होती है बारिश.

अब मेन सवाल पर आते हैं, कि भारत में केरल से ही मानसून क्यों शुरू होता है. यहां ये जानना भी जरूरी है कि वास्तव में मानसून सबसे पहले अंडमान पहुंचता है. इसी महीने की 19 तारीख को वहां मानसून अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है. लेकिन मेनलैंड के हिसाब से उसके रास्ते में सबसे पहले केरल ही पड़ता है, इसलिए आमतौर पर केरल को ही मानसून का प्रारंभ माना जाता है.

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इसके पीछे विज्ञान है धरती पर अक्षांशों के तापमान में अंतर का, Coriolis Force  का और केरल की अक्षांशीय स्थिति का. ये ज्यादा टेक्निकल हो गया. सरल भाषा में समझते हैं.

डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार मई-जून में सूरज पृथ्वी के उत्तरी हिस्से में होता है, इसीलिए इस भू-भाग में भीषण गर्मी होती है. जैसा अभी है. इससे एक ऐसा क्षेत्र बनता है जहां हवा का दबाव बहुत कम हो जाता है. जाहिर है इसके विपरीत पृथ्वी के दक्षिण में सूरज की गर्मी कम होती है. इससे वहां का तापमान कम होता है. ऐसे में Equator (वह काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी को दो बराबर हिस्सों में बांटती है) के दक्षिण में हवा का दबाव अधिक हो जाता है. एक सामान्य नियम है कि जहां तापमान ज्यादा वहां हवा का दबाव कम, और जहां तापमान कम वहां दबाव ज्यादा.

ऐसे में हवा अधिक दबाव वाले क्षेत्र से कम दबाव वाले क्षेत्र की तरफ चलने लगती है. तकनीकी भाषा में कहें तो Equator के दक्षिण में उच्च वायुदाब (High Pressure) के क्षेत्र से Equator के उत्तर में स्थित निम्न वायु दाब (Low Pressure) के क्षेत्र ( भारत) की तरफ हवा चलने लगती है. यही मानसूनी हवा होती है.

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इन्हीं बहती हुई हवाओं पर एक बल काम करता है जिसे Coriolis Force कहते हैं. इस बल का जन्म पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण होता है. ये बल हवाओं की दिशा को प्रभावित करता है. अब चूंकि ये हवाएं भारत के दक्षिण-पश्चिम दिशा से आ रही हैं, और भारत के सबसे दक्षिण-पश्चिम हिस्से पर केरल स्थित है, जहां पश्चिमी घाट की पहाड़ियां हैं जिनसे ये हवाएं टकराती हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि मेनलैंड भारत में सबसे पहले बारिश केरल में होगी.

केरल के तटों से टकराने के बाद यह मानसूनी हवा दो हिस्सों में बंट जाती है. एक हिस्सा पश्चिमी भारत में बारिश करता है, जबकि दूसरा हिस्सा तमिलनाडु के तट के सहारे ‘बंगाल की खाड़ी’ शाखा बनाता है. इससे पूर्वी भारत, पूर्वोत्तर और उत्तर भारत में मानसूनी बारिश होती है.

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हालांकि, जैसा ऊपर बताया, केरल से भी पहले मानसून अंडमान पहुंचता है. आसान सी बात है कि जो स्थान Equator से जितना नजदीक होगा, मानसूनी हवाएं वहां उतनी ही जल्दी पहुचेंगी. भारत के मैप को देखें तो अंडमान और निकोबार आइलैंड केरल के भी दक्षिण में मतलब कि Equator के नजदीक स्थित है. इससे समझना आसान है कि मानसूनी हवाएं केरल से भी पहले अंडमान क्यों पहुंचेंगी.

इस प्रकार पूरे भारत की बात हो तो सबसे पहले मानसूनी बारिश अंडमान और निकोबार में होती, जबकि  मेनलैंड भारत की बात हो तो बाद सबसे पहले केरल में बरसेंगे.

यह स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे नवनीत ने लिखी है.

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