हरियाणा के फरीदाबाद में अटल बिहारी वाजपेयी की याद में एक लाइब्रेरी बनी. इसका उद्घाटन होना था. दो-तीन मंत्रियों का एक ग्रुप आया. फीता कटा. ताली बजी. उद्घाटन संपन्न मान लिया गया. लेकिन सिर्फ ढाई घंटे बाद एक बार फिर लाइब्रेरी में चहल-पहल बढ़ गई. खबर मिली कि मंत्री जी लोगों का एक और ग्रुप आ रहा है. ये पहले वाले से अलग है. वो भी लाइब्रेरी का उद्घाटन करेंगे. फिर क्या था. रिबन दोबारा लगाया गया. मंत्रिगण आए और दोबारा फीता काटा. दोबारा ताली बजी. दोबारा उद्घाटन संपन्न माना गया.
हरियाणा में बनी लाइब्रेरी का दो बार उद्घाटन, आगे-पीछे पहुंचे बीजेपी मंत्रियों ने काटा फीता
फरीदाबाद में एक ही लाइब्रेरी के लिए दो बार फीता काटा गया है. भाजपा के दो मंत्रियों ने अलग-अलग समय पर लाइब्रेरी का उद्घाटन कर दिया. मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.


नेताओं के बीच फीता काटने की इस प्रतियोगिता की वजह से एक लाइब्रेरी को दो बार ‘उद्घाटित’ होने का इतिहास रचने का मौका मिल गया. ये जो किस्सा है, वो हरिशंकर परसाई की कोई व्यंग्य कहानी का हिस्सा नहीं है. सच्ची घटना पर आधारित खबर है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र बीती 28 दिसंबर को फरीदाबाद पहुंचे थे. उनके साथ हरियाणा सरकार के मंत्री विपुल गोयल और राजेश नागर भी थे. तीनों पहले विपुल गोयल के दफ्तर गए. वहां पीएम मोदी की 'मन की बात' सुनी. प्रोग्राम खत्म हुआ तो दोपहर 12 बजे के आसपास तीनों टाउन पार्क गए, जहां HIIDC ने अटल बिहारी वाजपेयी की याद में एक पुस्तकालय बनाया था. इसका उद्घाटन मंत्री जी के हाथों होना था. मंच सजा हुआ था. लाइब्रेरी बिल्डिंग लाल रिबन के साथ उद्घाटन के लिए तैयार थी. लोकार्पण पट्ट पर दोनों मंत्रियों और सांसद के नाम लिखे थे. सुरेंद्र नागर के साथ मिलकर विपुल गोयल ने उद्घाटन बोर्ड का पर्दा हटाया. रिबन काटा. तालियां बजीं. बोर्ड के सामने खड़े होकर नेताओं ने फोटो भी खिंचवाई और फिर रवाना हो गए.
लोगों को लगा कि उद्घाटन हो गया है. लेकिन सिर्फ ढाई घंटे बाद फिर से मौके पर अफरा-तफरी मच गई. पता चला कि केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, हरियाणा के विधायकों धनेश अदलखा, सतीश फागना, सतीश फागना, फरीदाबाद के मेयर प्रवीण बत्रा, भाजपा जिलाध्यक्ष पंकज पूजन रामपाल और तमाम कार्यकर्ताओं के साथ आ रहे हैं. दोबारा से तैयारियां शुरू हुईं, क्योंकि बताया गया कि केंद्रीय मंत्री भी उसी पुस्तकालय का उद्घाटन करेंगे, जिसका एक बार फीता कट चुका है.
तो नया रिबन लगाया गया. साफ-सफाई कराई गई. ऐसा माहौल बन गया कि लगता ही नहीं था कि ढाई घंटे पहले यहां कोई उद्घाटन हुआ था. सब एकदम नया-नवेला हो गया. गुर्जर आए और रिबन काटकर लाइब्रेरी का दोबारा उद्घाटन किया. फिर से तालियां बजीं. विधायकों के साथ केंद्रीय मंत्री ने भी उद्घाटन बोर्ड के पास खड़े होकर फोटो खिंचवाई. रोचक बात ये है कि बोर्ड में मुख्य अतिथि के रूप में कृष्णपाल गुर्जर का ही नाम लिखा था. लेकिन मुख्य अतिथि के हाथ से ही लाइब्रेरी का पहला उद्धाटन नहीं हो पाया.
सवाल उठे कि क्या भाजपा के अंदर नेताओं के बीच तालमेल की कमी है या ये जानबूझकर हुआ है. हरियाणा के मंत्री विपुल गोयल से ये पूछा गया तो वह बोले,
जो उद्घाटन होना था वो हो गया. कौन क्या कर रहा है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. प्रोटोकॉल के अनुसार सारे नेताओं के नाम बोर्ड पर थे और कोई खींचतान नहीं थी.
वहीं कृष्णपाल गुर्जर बोले,
मैं विभागीय सूचना पर आया था. मुझे बताया गया था कि मेरे हाथों लाइब्रेरी का उद्घाटन होना है. इसलिए मैं तय समय पर पहुंचा और अपनी जिम्मेदारी निभाई. उससे पहले क्या हुआ, मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
दोनों नेताओं की ओर से 'जानकारी नहीं है' वाली बात किसी के गले नहीं उतर रही. जिस तरीके से मामला निपटाया गया, उसे देखकर लगता है कि ‘जानकारी ठीक टाइम पर ज्यादा’ ही मिल गई थी.
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