हथेली पर तुम्हारा नाम, लिखते हैं मिटाते हैं.
मतलब किस-किस पेज को फॉलो करके अनफॉलो किया
पीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री कार्यालय राष्ट्रपति भवन अमेरिका में भारतीय दूतावास भारत में अमेरिकी दूतावास भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर
इन छह पेज से पहले वाइट हाउस 13 अमेरिका से संबंधित ट्विटर पेज को फॉलो करता था. 10 अप्रैल को इन सभी अकाउंट्स को फॉलो करने के बाद वाइट हाउस के फॉलोइंग लिस्ट में 19 अकाउंट हो गए थे. जो घटकर अब फिर से 13 हो गए हैं.

पहले और अब.
माने तुम आए, खुद फॉलो किया, खुद अनफॉलो किया, अलग ही पिच्चर चल रही तुम्हारी.
होता ये है कि वाइट हाउस का जो अकाउंट है, वो बहुत कम लोगों को फॉलो करता है. फिलहाल 13 लोगों को कर रहा है. इसमें से कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जो अमेरिका के बाहर का हो. वाइट हाउस उर्फ़ ट्रंप (अर्थात @WhiteHouse) ट्रंप के ही परिवार और वाइस प्रेसिडेंट वगैरह को, कैबिनेट और पोटस-फ्लोटस को फॉलो कर 13 के आंकड़े तक पहुंचे हैं. पहले जब ओबामा हुआ करते थे, सैकड़ों को फॉलो किया करते थे. ट्रंप के मामले में लिस्ट छोटी है. तो जब इस फॉलोइंग की ख़बर आई, जनता लहालोट हो गई. मोदीजी कई मामलों में 'ऐसे पहले प्रधानमंत्री' रहे हैं. तो कहा गया, दुनिया के ऐसे पहले नेता और प्रधानमंत्री हैं, जिनको वाइट हाउस ने फॉलो किया है.

जब वाइट हाउस ने फॉलो किया तो ये बातें कही गई थीं
कहा गया कि दवाई देने पर ट्रंप ने ट्वीट किया था कि ऐसे मौकों पर रिश्ते मजबूत होते हैं. उसके कुछ घंटे बाद ही 10 अप्रैल को फॉलो कर लिया. बहुत बड़ी बात है. जो लोग नरेंद्र मोदी के पक्के वाले फैन होते हैं, उन्होंने भक्क से वो फोटोज भी खोज निकालीं जब प्रधानमंत्री वाइट हाउस के बाहर खड़े थे, उस पर कलाकारी दिखा दी. कुल जमा लोगों को लगा कि कोई इम्पोर्टेंट चीज हुई है, जिस पर खुश हुआ जा सकता है.

पीएम के चाहनेवालों ने ऐसे फोटोज बना डाले थे
अब जो लोग पीएम से राजनैतिक मतभेद रखते हैं, वो उनके फैन्स की टांग खिंचाई करने में लगे हैं कि कहो अब क्या हो गया. कुछ ने तो ये हवा भी बना दी कि वाइट हाउस ने ब्लॉक ही कर दिया.
पर जो चीजों को थोड़ा बेहतर तरीके से समझते हैं. वो कहते हैं. डोनाल्ड ट्रंप वो शख्स हैं, जो धूप-रौशनी से कोरोना वायरस मारने के तरीके खोजवाना चाहते हैं. सलाह देते हैं कि सेनेटाइजर को शरीर में इंजेक्ट करने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है. वाइट हाउस को अजीब तरीके से चलाते हैं. ऐसे आदमी के अधीन वाइट हाउस ट्विटर पर किसे फॉलो-अनफॉलो कर रहा है, उस हिसाब से अपने देश में किसी के लिए राय नहीं बनानी चाहिए.
बाकी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा का ऐसा है कि उसको लेकर कई रिसर्च और रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना से लड़ने में यह मदद कर सकता है. लेकिन हाल ही में कुछ ऐसे स्टडीज़ सामने आई हैं, जिनमें बताया गया कि सामान्य इलाज की तुलना में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा लेने वाले मरीजों की मौत ज्यादा हो रही है. ऐसे में यह दवा कोरोना से लड़ने में कारगर नहीं लग रही.
विडियो- दुनियादारी: कोरोना वायरस से जुड़ी रिसर्च क्यों बाहर नहीं आने देना चाहता चीन?