कोरा (डिस्कशन फोरम) पर किसी ने सवाल पूछा कि इंडिया में मुसलमानों को ऐसी क्या सुविधा मिलती है जो दूसरे देशों में नहीं मिलती? जो जवाब मिले वो मार्मिक हैं.
1.
मैं उस समय चौथी क्लास में था जब ये वाकया हुआ. हमारे सिलेबस में हमें संस्कृत और उर्दू के बीच चुनाव करना था. चूंकि मेरी कॉलोनी में और उस पूरे एरिया में मुसलमानों की संख्या ज्यादा थी, मुझसे ये अपेक्षित था कि मैं भी उर्दू लूं.हेडमास्टर साहब मेरे पिता के करीबी थी. वो एक हिंदू ब्राह्मण थे और अक्सर हमारे घर आया करते थे. मुझे अब तक याद है वो कैसे मुझे पूरी-सब्जी खिलाते थे, जैसे मैं उन्हीं का बच्चा हूं. उनकी मां सिर्फ मुझे ही नहीं, स्कूल के और बच्चों को भी ऐसे लाड़ करती थीं जैसे हम उन्हीं के पोते हों. हमारी सोसाइटी में अब भी 100 मीटर के अंदर दोनों मंदिर और मस्जिद हैं. और किसी को कोई तकलीफ नहीं होती.

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तो मुझसे मेरे हेडमास्टर ने कहा कि घर जाकर सोचूं और फैसला लूं कि संस्कृत और उर्दू में से क्या पढ़ना है. शाम को जब मेरे पिता आए, मैंने उनसे पूछा कि मुझे कौन सी भाषा सीखनी चाहिए. पिता ने कहा, तुम संस्कृत पढ़ो. हमें अगर अधिक से अधिक भाषाएं सीखने का मौका मिले तो छोड़ना नहीं चाहिए. उर्दू तो मैं तुम्हें घर पे भी पढ़ा सकता हूं.
ये सिर्फ इंडिया में हो सकता है.
- आतिफ़ इक़बाल
2.
मैं मुसलमान हूं. सिविल इंजीनियरिंग कर रहा हूं और आर्किटेक्चर में मेरी बहुत रूचि है. मैं मंदिरों का आर्किटेक्चर की बहुत कद्र करता हूं. और मंदिरों में जाकर उनकी बनावट देखना बहुत पसंद है. मैं इस्कॉन मंदिर जाकर उसकी तारीफ कर सकता हूं. मेरे मुसलमान होने का इसपर कोई फर्क नहीं पड़ता.
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मैं सुन्नी होकर भी शिया मस्जिद में जा सकता हूं. तबलीग़ इमाम के आगे भी प्रार्थना कर सकता हूं.
इंडिया में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं. पर इस्लामिक आर्किटेक्चर पर ये देश फ़ख्र करता है. भले ही वो ताज महल हो या लाल किला.
इंडिया में 3 लाख से ज़्यादा मस्जिदें हैं. ये संख्या पाकिस्तान और सऊदी अरब से कहीं ज़्यादा है.
- अब्दुल हुसैन दोहदवाला
3.
ये स्टोरी मैंने इंडिया टुडे में पढ़ी थी. अयोध्या से कुछ दूर मुमताज़ नगर नाम के गांव में एक रामलीला के सारे कलाकार मुसलमान हैं. कहते हैं वो सब वेजीटेरियन हो गए हैं, अपने रोल को महसूस करने के लिए. हिंदू-मुसलमान एकता का इससे बड़ा उदाहरण कहां मिलेगा? ये इंडिया में ही हो सकता है.
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- अल्लाह बख्श
4.
मुसलामानों को इंडिया में शरिया क़ानून नहीं मानना पड़ता. हालांकि शरिया कानून क्राइम रेट घटा देता है. लेकिन वो इतना पुराना है कि 1400 सालों से बदला नहीं है. इंडियन मुसलमानों को किसी तरह की बंदिशों का सामना नहीं करना पड़ता है.इंडिया में मुसलमान औरतें फ्री हैं. उन्हें घूमने-फिरने और बुरका न पहनने की छूट है.
मुसलमानों को इंडिया में फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन है, जो चाहे वो कह सकते हैं, लिख सकते हैं.
इतना ही नहीं, मुसलमानों को अपना धर्म बदलने की पूरी छूट है.
-फैज़ खान