अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने धमकी दी है कि ट्रंप प्रशासन भारत पर अतिरिक्त सेकेंडरी टैरिफ़ लगा सकता है. उन्होंने कहा कि ये फैसला राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बैठक के नतीजे पर निर्भर करेगा.
अमेरिकी वित्त मंत्री की अजीब धमकी, कहा- 'ट्रंप-पुतिन में बात नहीं बनी तो भारत पर और टैरिफ लगाएंगे'
13 अगस्त को ब्लूमबर्ग टीवी से बातचीत में वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अगर 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली ट्रंप-पुतिन वार्ता का सकारात्मक नतीजा नहीं रहा तो अमेरिका आगे और सेकेंडरी सैंक्शन्स लगा सकता है.

13 अगस्त को ब्लूमबर्ग टीवी से बातचीत में वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अगर 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली ट्रंप-पुतिन वार्ता का सकारात्मक नतीजा नहीं रहा तो अमेरिका आगे और सेकेंडरी सैंक्शन्स लगा सकता है. बेसेंट ने कहा,
“हमने भारतीयों पर रूसी तेल खरीदने के लिए सेकेंडरी टैरिफ़ लगाए हैं. और अगर हालात ठीक नहीं रहे तो ये प्रतिबंध या सेकेंडरी टैरिफ़ और बढ़ सकते हैं.”
हाल ही में ट्रंप ने भारतीय आयात पर 25% शुल्क लगाया और रूस से तेल व हथियार खरीद पर अतिरिक्त 25% टैरिफ़ जोड़ दिया. अमेरिकी प्रशासन का आरोप है कि नई दिल्ली अप्रत्यक्ष रूप से मॉस्को के यूक्रेन युद्ध को वित्तीय मदद दे रही है.
कुल शुल्क 50% होने के बाद भारत ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक” बताते हुए कड़ा विरोध किया है और अपने तेल आयात को नेशनल एनर्जी सिक्योरिटी का मुद्दा बताया है.
फॉक्स न्यूज़ को दिए एक बयान में बेसेंट ने भारत को व्यापार वार्ताओं में “कुछ हद तक जिद्दी” बताया. इस महीने की शुरुआत में भारत अमेरिका ट्रेड डील, रूस के साथ व्यापार समेत कुछ अन्य मुद्दों पर अटक गई. इसके बाद ट्रंप ने बातचीत निलंबित करने की घोषणा की.
अब 25 अगस्त को अमेरिकी वार्ताकार भारत पहुंच सकते हैं. यानी भारतीय सामान पर 50% शुल्क लागू होने से सिर्फ दो दिन पहले. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि और डेयरी बाज़ार की सुरक्षा पर भारत का रुख वार्ता में विवाद का विषय बन सकता है.
ट्रंप-पुतिन मीटिंगट्रंप और पुतिन की मुलाकात शुक्रवार को एंकोरेज (अलास्का) में होगी, जहां यूक्रेन युद्ध खत्म करने के उपायों पर चर्चा होगी. ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर मॉस्को शांति समझौते पर राज़ी नहीं हुआ तो “गंभीर परिणाम” भुगतने होंगे.
ट्रंप ने कहा कि वार्ता का मुख्य उद्देश्य संघर्ष समाप्त करने के लिए एक शांति समझौता करवाना है. उन्होंने पहले सुझाव दिया था कि एक समझौते में “कुछ क्षेत्रों की अदला-बदली” हो सकती है, लेकिन यूक्रेन ने इसे संविधान का उल्लंघन बताते हुए अस्वीकार कर दिया है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि उनकी भागीदारी के बिना कोई भी शांति समझौता नहीं होगा और देश रूस को कोई भी इलाका नहीं सौंपेगा. यूरोपीय अधिकारियों को भी आशंका है कि यूक्रेन की गैरमौजूदगी में होने वाली यह वन-ऑन-वन बैठक रूस के हित में नतीजा दे सकती है.
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