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बंगाल की जिस पूर्व IPS पर छापे से CID को 2.5 करोड़ मिले थे, वो BJP में आ गईं

कभी ममता बनर्जी और भारती के बीच मां-बेटी सा रिश्ता माना जाता था, बाद में चीजें बदल गईं...

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भारती घोष ने बीजेपी जॉइन कर लिया. पश्चिम बंगाल में उनके ऊपर केस दर्ज़ है. एक टाइम था, जब भारती ममता बनर्जी को मां कहती थीं और ममता उन्हें अच्छी बच्ची बुलाती थीं. छापे के वक्त की और भाजपा जॉइन करने की उनकी फोटो मिलाकर वायरल हो रही है. (फोटो: ANI)
पूर्व IPS अधिकारी भारती घोष अब बीजेपी की हैं. 4 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में पार्टी ने उन्हें अपना लिया. इस मौके पर मौजूद थे रवि शंकर प्रसाद, कैलाश विजयवर्गीय और नए-नए बीजेपी में आए मुकुल रॉय. मुकुल और भारती में एक चीज कॉमन है- उनका अतीत. दोनों एक टाइम ममता बनर्जी के बेहद करीबी थे.  एक समय था, जब ममता भारती को 'बेटी' कहती थीं. भारती कहतीं, ममता मां हैं. ममता कहतीं, भारती 'अच्छी बच्ची' हैं. फिर दोनों के बीच चीजें बिखरीं. भारती खुलेआम धमकाने लगीं ममता को. कहतीं, वो उनके राज़ खोल देंगी. भारती के ऊपर पश्चिम बंगाल में जांच चल रही है. वहां की CID ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. उन्हें भगोड़ा घोषित किया था. फरवरी 2018 में चंदन मांझी नाम के एक शख्स ने भारती के खिलाफ वसूली और आपराधिक साज़िश रचने का इल्ज़ाम लगाया था. CID ने इस मामले की जांच के बाद कहा कि भारती के कई घरों पर छापेमारी की गई. उन घरों से बहुत सारा नकद और सोने के गहने बरामद हुए. कुल मिलाकर ढाई करोड़ का सामान मिलने की बात बताई गई थी. भारती घोष कौन हैं? भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की अधिकारी थीं भारती. हावर्ड से मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुकी हैं. संयुक्त राष्ट्र की पीसकिपिंग मिशन में भारत की ओर से भेजे गए अधिकारियों में शामिल थीं. कोसोवो और बोस्निया जैसे जंग प्रभावित इलाकों में काम करने का अनुभव है उन्हें. ये सब करके वो बंगाल में पोस्टेड हुईं. वहां की CID में थीं. ममता ने उन्हें पश्चिमी मिदनापुर का SP बना दिया. ये नक्सल प्रभावित इलाका था. भारती ने ममता को रिज़ल्ट दिया. इलाके का एक बड़ा माओवादी नेता कोटेश्वर राव मुठभेड़ में मारा गया. कई नक्सलियों ने सरेंडर भी किया. इस सबकी शाबाशी मिली भारती को. ममता की टीम में खेलने लगीं! भारती वैसे तो पुलिस अधिकारी थीं. मगर लोग कहते, वो सर्विस में रहकर तृणमूल कांग्रेस का काम करती हैं. विपक्षी पार्टियां भी भारती पर उंगली उठाती थीं. उनका कहना था कि भारती घोष पुलिस विभाग से ज्यादा ममता की सिपाही लगती हैं. लोग कहते कि भारती की तरक्की के पीछे भी यही वजह है. चुनाव आयोग से भी पंगा हुआ 2014 के लोकसभा चुनाव. और फिर 2016 के विधानसभा चुनाव. दोनों ही बार भारती घोष के रवैये पर चुनाव आयोग को आपत्ति हुई. भारती पर चुनाव अधिकारियों को बहकाने, उन्हें प्रभावित करने का आरोप लगा. ये भी आरोप लगे कि वो अपने पद का बेजा इस्तेमाल कर तृणमूल को फायदा पहुंचा रही हैं. 2016 में चुनावी आचारसंहिता लागू होने के बाद वो ममता के राइट हैंड मुकुल रॉय से मिलीं. भारती उस समय भी मुकुल की करीबी थीं. इस मीटिंग के लिए चुनाव आयोग ने उन्हें फटकारा भी. मगर भारती पर कोई असर नहीं पड़ा. वो पॉलिटिकली करेक्ट दिखने की परवाह भी नहीं करती थीं. ममता से कब छिटकीं? मुकुल रॉय तृणमूल छोड़कर बीजेपी चले गए. उनका नाम आया था शारदा चिट फंड घोटाले में. CBI ने पूछताछ भी की उनसे. इसके बाद ही वो बीजेपी में आए. बीजेपी ने उन्हें बंगाल में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी. मुकुल की करीबी थीं भारती. तो बातें उड़ीं कि भारती भी मुकुल का हाथ बंटा रही हैं. इसके बाद भारती और ममता के रिश्ते बिगड़ने लगे. आर-पार की नौबत कब आई? पश्चिमी मिदनापुर में एक सीट है- सबांग. दिसंबर 2017 में यहां उपचुनाव हुए. तृणमूल ने सीट निकाल ली. बीजेपी तीसरे नंबर पर आई. मगर बीजेपी हारकर भी जीत गई थी. यूं कि उसका वोट शेयर 17 फीसद बढ़ गया था. ये बात हुई कि बीजेपी ममता के वोट बैंक में ही सेंध लगाकर इतना पा रही है. मानस भूनियान नाम के एक राज्यसभा सांसद हैं. पहले कांग्रेस में थे, फिर तृणमूल चले गए. वो सबांग के ही हैं. भारती घोष से उनका छत्तीस का आंकड़ा था. क्योंकि भारती जब विपक्षियों को सताती थीं, तब सताए जाने वालों में मानस भी थे. उपचुनाव के बाद उन्हें मौका मिला. उन्होंने ममता के कान भरे. कि बीजेपी का वोट शेयर बढ़ने की वजह हैं मुकुल रॉय. जिनकी मदद कर रही हैं भारती. और फिर भारती ने इस्तीफ़ा दे दिया कहते हैं कि फिर ममता ने जासूसी करवाई. खुफिया विभाग को लगाया. रिपोर्ट मिली कि भारती घोष गुपचुप बीजेपी नेताओं से मिलती हैं. उनकी मदद करती हैं. बस, फिर क्या था. भारती और ममता के बीच कोई स्कोप नहीं बचा था. ममता ने पश्चिम मेदिनीपुर के पुलिस अधीक्षक पद से उन्हें हटा दिया. तबादला देकर कहा राज्य सशस्त्र पुलिस में जॉइन करो. बैरकपुर जाओ. भारती ने इस्तीफ़ा दे दिया. ममता के पुराने सिपहसालारों को भर्ती करने में लगी है बीजेपी जजमेंट देना अच्छी बात नहीं. मगर भारती घोष का रेकॉर्ड खुद ही उनकी चुगली करता है. पहले उन्हें ममता के साथ होने में फायदा था. अब उन्हें बीजेपी के साथ जाने में फायदा दिख रहा है. बीजेपी बंगाल में पैर जमाने की कोशिश कर रही है. वैसे ही जैसे कभी तृणमूल कर रही थी. वेस्ट बंगाल के इतिहास से हमको एक बात मालूम है. वहां किसी पार्टी का दौर आता है. जैसे कभी कांग्रेस का था. फिर लेफ्ट का रहा. लंबे टाइम तक रहा. उससे लड़कर-भिड़कर तृणमूल आई. ये ममता का दौर है. तो क्या ऐसे ही बीजेपी का भी दौर आएगा? इसका जवाब अभी कैसे दें. अभी तो बस ये बता सकते हैं कि बीजेपी फिलहाल ममता के पुराने सिपाहियों को जमा करती दिख रही है. वो उनके ही पुराने लोगों को उनके खिलाफ इस्तेमाल करने की सोच रही है. पहले जिनकी वो आलोचना करती थी, उन्हें अब अपना रही है. उनपर लगे आरोप, उनका विवादित रेकॉर्ड सब नज़रंदाज़ करके. बीजेपी का हाल ये है कि अगर अभी (हाइपोथिसिस) ममता खुद बीजेपी में आ जाएं, तो वो भी पाक साफ ठहरा दी जाएंगी.
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