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Chandrayan-3 से जुड़ी ये बड़ी साइंटिस्ट नहीं रहीं, ISRO उनकी आवाज मिस करेगा!

Chandrayan-3 और ISRO से जुड़ा बड़ा नाम थीं Scientist N Valarmathi. ISRO की दूसरी महिला वैज्ञानिक थीं, जो किसी बड़े प्रोजेक्ट की डायरेक्टर रहीं.

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ISRO वैज्ञानिक एन वलारमथी (तस्वीर - ट्विटर)

ISRO का चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) अपना काम बख़ूबी कर रहा है. जब विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक सतह पर उतरा, सबने जश्न मनाया. लेकिन लैंडिंग से भी ज़्यादा रोमांचक होता है, लॉन्च. क्योंकि लॉन्च के वक़्त काउंटडाउन होता है. 10.. 9.. 8.. 7.. सब अपनी उंगलियां चबाते हुए एक-एक नंबर सुनते हैं. 1 तक आने का इंतज़ार करते हैं. लेकिन इसरो के लिए जिसने सालों-साल तक ये उलटी गिनती की, वो आवाज़ शांत हो गई है.

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श्रीहरिकोटा में रॉकेट लॉन्च में अपनी आवाज़ देने वाली ISRO वैज्ञानिक एन वलारमथी (ISRO Scientist N Valarmathi) की दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौत हो गई है. 14 जुलाई को चंद्रयान-3 का सफल लॉन्च, उनका आख़िरी काउंटडाउन था. सोशल मीडिया पर लोग वलारमथी को याद कर रहे हैं.

इसरो के पूर्व निदेशक डॉ. पीवी वेंकटकृष्णन ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा:

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“इसरो के भविष्य के मिशनों के काउंटडाउन के लिए वलार्मथी मैडम की आवाज़ अब नहीं होगी. चंद्रयान-3 उनका अंतिम काउंटडाउन था. एक अप्रत्याशित निधन. बहुत दुख हुआ. प्रणाम!”

कौन थी वलारमथी?

31 जुलाई 1959 को तमिलनाडु के अरियालुर में जन्म हुआ. कोयंबटूर के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन किया. फिर अन्ना विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में पोस्ट-ग्रैजुएशन किया. इसके बाद 1984 में इसरो जॉइन किया. तब से इसरो के कई बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहीं. 2012 में लॉन्च हुए RITSAT-1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं. RITSAT-1 भारत की पहली रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RIS) है.

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वलारमथी, इसरो की दूसरी महिला वैज्ञानिक थीं, जो किसी बड़े प्रोजेक्ट की डायरेक्टर रहीं. उनसे पहले टी के अनुराधा 2011 में जीसैट-12 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं. RITSAT-1 के लॉन्च के बाद वलारमथी ने प्रेस से कहा था, 

"मैं मानती हूं कि हर महिला सक्षम है. और, इस क्षमता का पूरा सदुपयोग होना चाहिए."

तमिलनाडु सरकार ने 2015 में उन्हें प्रतिष्ठित अब्दुल कलाम अवॉर्ड दिया. वो ये सम्मान पाने वालीं पहली व्यक्ति थीं. अवॉर्ड से नवाज़े जाने के बाद अख़बारों और रपटों में उन्हें 'माटी की बेटी' (daughter of soil) कहा गया था. उनको हमारी तरफ से भी श्रद्धांजलि.

वीडियो: तारीख: ऐसे हुई थी ISRO की शुरुआत

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