साल 2000. कैलेंडर में नई सदी आंखें खोल रही थी. इसी समय एशिया से यूरोप तक फैले एक बड़े देश रूस में व्लादिमीर पुतिन अपनी राजनीतिक जड़ें जमा रहे थे. 1999 में रूस का प्रधानमंत्री बनने से पहले वह कुछ समय तक संघीय सिक्योरिटी ब्यूरो (FSB) के भी प्रमुख रहे. रूस की सुरक्षा परिषद में भी सचिव के तौर पर सेवाएं दीं. लेकिन 1999 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद से रूस में सत्ता और ताकत का केंद्र वही हैं.
बॉडी डबल से लेकर 'पूप सूटकेस' तक, पुतिन की सिक्योरिटी लेयर्स दिमाग हिला देंगी!
पूप सूटेकस तो व्लादिमीर पुतिन की सिक्योरिटी का बस एक छोटा सा हिस्सा है. इसके अलावा भी उनके रक्षाकवच में ऐसी-ऐसी चीजें होती हैं, जो किसी के लिए भी भेदना मुश्किल है. सब कुछ इतना रहस्यमय है कि कभी-कभी ‘सच और अफवाह’ के बीच का फासला भी मिट जाता है.
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पुतिन भारत आ चुके हैं. पूरी दुनिया की नजर उनके इस दौरे पर है. उनके अभेद्य सिक्योरिटी प्रोटोकॉल्स पर भी, जिसके बारे में इतनी बातें मार्केट में हैं कि लोगों की दिलचस्पी अपने आप इस पर खिंच जाती है. दरअसल, व्लादिमीर पुतिन दुनिया के उन नेताओं में से एक हैं, जिनकी सिक्योरिटी जितनी टाइट है उतनी ही 'रहस्यमय' भी. इसी साल अगस्त (2025) में जब पुतिन अमेरिका डॉनल्ड ट्रंप से मिलने गए थे, तब उनके पूप सूटकेस की खूब चर्चा हुई. कहा गया कि विदेशी दौरे के बाद पुतिन की पॉटी तक वहां नहीं छोड़ी जाती. उसे सूटकेस में बंद कर रूस लाया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दूसरे देश, खास तौर पर विरोधी या प्रतिद्वंद्वी देश को राष्ट्रपति पुतिन की सेहत के बारे में कोई भी जानकारी न मिल सके.
लेकिन व्लादिमीर पुतिन की सिक्योरिटी का यह सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है. इसके अलावा भी उनके रक्षाकवच में ऐसी-ऐसी चीजें होती हैं, जो किसी के लिए भी भेदना मुश्किल है. सब कुछ इतना रहस्यमय है कि कभी-कभी ‘सच और अफवाह’ के बीच का फासला भी मिट जाता है.
प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बनने के बाद से पुतिन की सिक्योरिटी साल-दर-साल लगातार एडवांस होती गई है. तो चलिए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं कि 1999 में सत्ता संभालने के बाद से रूस के सबसे ताकतवर नेता की ढाल को कैसे और कितना मजबूत किया जा चुका है?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जब पुतिन केजीबी की उत्तराधिकारी मानी जाने वाली FSB के डायरेक्टर से प्रधानमंत्री, और फिर कार्यवाहक राष्ट्रपति बने तो रूस की खास सुरक्षा एजेंसियों FSO (Federal Protective Service) और SBP (Sluzhba Bezopasnosti Prezidenta) ने अपने कामकाज को बहुत गोपनीय तरीके से बदलना शुरू कर दिया. इसके बाद से ही पुतिन के हर प्रोग्राम, मूवमेंट और हेल्थ से जुड़ी जानकारियों को कंट्रोल किया जाने लगा. वो जनता के बीच में कम देखे जाने लगे और यहीं से उनकी निजी सिक्योरिटी का मॉडल बहुत सीक्रेट और मिस्टीरियस होता गया.
बॉयोलॉजिकल शील्ड की शुरुआतइस कहानी की शुरुआत होती है साल 2000 से. पुतिन पहली बार निर्वाचित होकर देश के राष्ट्रपति बने थे. इसी समय उनकी सिक्योरिटी टीम ने उनकी बॉयोलॉजिकल सुरक्षा को सख्त करने का काम शुरू किया था. इसके बाद से विदेशी दौरों पर पुतिन होटलों का पानी नहीं पीते थे. उनके बर्तनों या हाउसकीपिंग सर्विसेज से भी परहेज करने लगे थे. रूस की सिक्योरिटी टीम उनके लिए पानी की बोतल, खाना और मेडिकल एक्सपर्ट तक सब साथ लेकर चलती थी. जिस होटल में वो रुकते थे, उनकी एडवांस टीम पहले पहुंचकर कमरों और बाथरूम की जांच और सैनिटाइजेशन करती थी. यही वो समय था जब पुतिन की सिक्योरिटी में ‘बायोलॉजिकल शील्ड’ एक मजबूत ढाल बनकर उभरा.

साल 2006 से 2010 के बीच पुतिन ने अपनी मोबाइल फूड इंस्पेक्शन यूनिट के साथ यात्रा करना शुरू कर दिया. इसमें शेफ, फूड-टेस्टर और लैब टेक्नीशियन शामिल होते थे. विदेशी दौरे पर पुतिन वही खाना खाते थे जिसे उनकी सिक्योरिटी टीम खाने के लिए देती थी. 2010 तक यह पुतिन का सेट सिक्योरिटी प्रोटोकॉल बन चुका था.
काउंटर बायो प्रोफाइलिंग2011–2014 के बीच इंटरनेशनल मीडिया में ऐसी रिपोर्टें आने लगी थीं कि पुतिन की सिक्योरिटी में रूस ने ‘काउंटर बायो प्रोफाइलिंग’ शुरू कर दी है. यानी उनकी टीम उनकी इस्तेमाल की गई हर चीज जैसे- गिलास, टिशू, तौलिया सब इकट्ठा कर लेती थी, ताकि कोई भी विदेशी एजेंसी उनके डीएनए या स्वास्थ्य की जानकारी न निकाल सके. रिपोर्टों में कहा गया कि पुतिन जहां रुके थे, वहां किसी की भी आवाजाही पर साफ प्रतिबंध था. यहां तक कि प्लंबर और कचरा ले जाने वालों की एंट्री तक बैन थी.
पूप सूटकेस प्रोटोकॉलसाल 2017 में पुतिन जब फ्रांस और सऊदी अरब की यात्राओं पर गए थे तो मीडिया ने नोटिस किया कि उनके सुरक्षा अधिकारी उनके टॉयलेट में एक खास ब्रीफकेस लेकर जाते थे. रिपोर्ट्स में बताया गया कि इस ब्रीफकेस में पुतिन के मल को सील करके रूस भेजा जाता था ताकि विदेशी खुफिया एजेंसियां उनकी सेहत से जुड़ी कोई जानकारी हासिल न कर पाएं. यह पहली बार था जब दुनिया को पुतिन के ‘पूप सूटकेस प्रोटोकॉल’ के बारे में पता चला था.

2018 से 2021 के बीच उनकी सिक्योरिटी और ज्यादा एडवांस हो गई. पुतिन के जहाज में एक मिनी क्लिनिक बनाया गया. उनकी कार में स्टेल्थ फीचर और मेडिकल मॉड्यूल लगाए गए. इसके अलावा, उनकी टीम कहीं भी कोई जैविक (Biological) निशान नहीं छोड़ती थी.
साल 2022-23 में यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ने के बाद पुतिन के सिक्योरिटी लेयर्स दोगुने कर दिए गए. उनकी विदेश यात्राएं सीमित हो गईं. बॉडी डबल्स की भी रिपोर्टें आने लगीं. कहा जाता है कि पुतिन अपने जैसे दिखने वाले 'क्लोन्स' के साथ चलने लगे हैं. पुतिन जहां भी जाते हैं, पूरा इलाका उनकी सिक्योरिटी टीम कंट्रोल करती है. साल 2025 तक रूसी प्रेसिडेंट की सुरक्षा व्यवस्था अपने सबसे आधुनिक स्तर पर पहुंच गई है.
अब जब पुतिन भारत आने वाले हैं तो क्रेमलिन की सिक्योरिटी एजेंसी भारत की एजेंसियों के साथ मिलकर सुरक्षा का ऐसा अभेद्य किला बनाने में लगी है, जिसे दुनिया की कोई ताकत नहीं भेद सकती.
वीडियो: दुनियादारी: PM मोदी के बुलावे भारत आ रहे पुतिन साथ में क्या ला रहे?













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