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विशाल ददलानी ने जैन मुनि को अब ये क्या बोल दिया

विशाल ददलानी ने एक ख़त लिखा है.

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फोटो - thelallantop
विशाल ददलानी. आर्टिस्ट, म्यूज़ीशियन और पूर्व आम आदमी पार्टी मेम्बर और प्रचारक. पूर्व इसलिए क्यूंकि इन्होंने जैनमुनि के लिए कुछ ऐसा कह दिया जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल को जैन समुदाय और जैन मुनि से माफ़ी मांगनी पड़ी थी. इसके बाद विशाल ने पार्टी से अलविदा कह दिया था. आज विशाल ददलानी ने एक खुला ख़त लिखते हुए अपनी बात कही:
आज से 4 दिन पहले मैंने जैन मुनि तरुण सागर के हरियाणा स्टेट असेम्बली में होने के बारे में कुछ ट्वीट किया था. मुझे लगता है, मैंने अपने इंसान होने के नाते दूसरों की भावनाओं का ख़्याल रखने के मामले में गड़बड़ी की है. मेरा ऐसा करने का कोई भी इरादा नहीं था. मैं एक धार्मिक व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन ये जानता हूं कि धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए धर्म कितना मायने रखता है. मैंने मुनि तरुण सागर जी और उनके फॉलोवर्स से माफ़ी मांगी है लेकिन उससे मेरे अंदर अपराधबोध और दर्द में कोई कमी नहीं आ रही है. एक ज़िम्मेदार भारतीय होने के नाते मुझे मुनि तरुण सागर जी के फॉलोवर्स की श्रद्धा के प्रति संवेदनशीलता बरतनी चाहिए थी. खासकर उनसे माफ़ी मिलने के बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ कि वो कितने बड़े दिलवाले इंसान हैं. और सभी जैन धर्म के सौम्य व्यवहार में कितनी शक्ति छुपी है. मैं हमेशा से ही हर भारतीय के अधिकारों के लिए खड़ा हुआ हूं और इस मौके पर मुझे लगता है कि मैंने जो किया, ठीक नहीं किया.  हालांकि मुझे मालूम है कि मुझे उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है लेकिन इस बात का बुरा ज़रूर लग रहा है कि मेरी बातों से यहां दया से भरे मुनि तरुण सागर जी प्रभावित हो सकते थे. मैं एक बार फिर माफ़ी मांगना चाहता हूं और साफ़ कर देना चाहता हूं कि अब से मैं किसी भी पॉलिटिकल पार्टी या पॉलिटिकल व्यक्तित्व से वास्ता नहीं रखूंगा. एक आर्टिस्ट और म्यूज़िशियन के तौर पर मैं जैन समुदाय की ही तरह दबे हुए और गरीब लोगों की भलाई के लिए काम करूंगा. मैं अपने अहंकार में बिना सोचे-समझे बोल गया और न चाहते हुए मैंने ऐसा कुछ कह दिया जिससे मेरे जैन मित्रों को बुरा लगा. मैं अपने इसी अहंकार को आपकी मदद से नष्ट करना चाहता हूं. मैं अपने दिल से माफ़ी मांगता हूं और जैन भाई-बहनों से मुझे माफ़ करने की अपील करता हूं. मैं वादा करता हूं, ये ऐसी गलती थी जो दोबारा नहीं होगी. जैन धर्म की दयालुता को दिखाते हुए मुनि जी पहले ही मुझसे कह चुके हैं कि वो मुझे माफ़ कर चुके हैं और मैंने जो कहा, वो उनके लिए कोई मायने नहीं रखता. लेकिन फिर भी मुझे ऐसा लगता है कि मुझे उनसे और हर उस इंसान से जिसकी भावनाएं आहत हुई थीं, एक बार फिर माफ़ी मांग लेनी चाहिए. मैं आशा करता हूं कि मैं सभी को ये बता पाया हूं कि मैं मुनि और जैन समुदाय की बेहद इज्ज़त करता हूं. मैं पर्युषण में...मिच्छामी दुक्कादम के भाव में माफ़ी मांगता हूं. ~ विशाल ददलानी

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