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सॉफ्ट ड्रिंक के एल्युमिनियम वाले कैन में भी प्लास्टिक, वायरल वीडियो में दिखी पतली परत

एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ने पहले सैंडपेपर से केन के बाहर के पेंट की परत को हटाया. फिर इसे हेवी-ड्यूटी ड्रेन क्लीनर वाले बीकर के अंदर डालते हैं. कुछ ही मिनटों में कैन पूरी तरह घुल जाता है और मेटल भी गायब हो जाती है. और सामने दिखती है प्लास्टिक की परत.

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जो एल्युमीनियम का कैन आपको दिखता है, उसके अंदर भी प्लास्टिक होता है. (फ़ोटो/इंस्टाग्राम)

सॉफ्ट ड्रिंक के कैन में प्लास्टिक के इस्तेमाल का दावा करने वाला एक वीडियो वायरल है. एक इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर ने एक चर्चित सॉफ्ट ड्रिंक ब्रैंड के कैन के अंदर के प्लास्टिक बारे में कुछ जानकारियां दी हैं. जी हां. जो एल्युमीनियम का कैन आपको दिखता है, उसके अंदर भी प्लास्टिक होता है. फिर उसके अंदर कोल्ड्रिंक होती है. इसी के बारे में वीडियो में बताया गया है.

खुद को योग और न्यूट्रिशन कोच बताने वाले आदित्य नटराज का कहना है कि बहुत सी कंपनियां लिक्विड चीज़ों को एल्युमीनियम के कैन में रखने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करती हैं. और लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है. वीडियो में आदित्य ने पहले सैंडपेपर से कैन के बाहर के पेंट की परत को हटाया. फिर इसे हेवी-ड्यूटी ड्रेन क्लीनर वाले बीकर के अंदर डाला. कुछ ही मिनटों में कैन पूरी तरह घुल जाता है और मेटल भी गायब हो जाता है.

जब कैन को कंटेनर से बाहर निकाला जाता है, तो ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक कोटिंग दिखाई देती है. वीडियो को शेयर करते हुए आदित्य ने लिखा,

''Coke के कैन और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक के कैन में सामान्य रूप से प्लास्टिक की एक पतली परत होती है जो कैन के अंदर सॉफ्ट ड्रिंक को बचाती है. इन ड्रिंक्स में बहुत ज़्यादा मात्रा में चीनी होती है. इसके अलावा इन्हें और न पीने का एक और कारण हैं- माइक्रोप्लास्टिक और अन्य ज़हरीले पदार्थ (प्लास्टिक की बोतल, प्लास्टिक लाइनिंग) जो कंटेनर के अंदर मौजूद होते हैं." 

वीडियो देखने के बाद यूजर्स ने कॉमेंट करना शुरू किया. किसी ने चिंता जताई तो किसी ने मजाक किया. एक यूजर ने लिखा,

"इसलिए हम सीधे प्लास्टिक की बोतल से पीते हैं."

दूसरे यूजर ने लिखा,

"इसलिए मैं मैक्सिकन Coke पीता हूं."

तीसरे यूजर ने लिखा,

"मैं Coke पीते-पीते ये वीडियो देख रहा हूं."

इस वीडियो के पीछे के साइंस को समझाते हुए आदित्य ने बताया कि सॉफ्ट ड्रिंक के कैन एल्युमीनियम से बनते हैं. और इसमें ड्रेन क्लीनर NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड) का घोल है. ये दोनों एक एक्सोथर्मिक रिएक्शन में रिएक्ट करते हैं. जिससे बहुत ज़्यादा गर्मी पैदा होती है. ड्रेन क्लीनर (NaOH) केवल एल्युमीनियम पर रिएक्ट करता है. उसे मेल्ट करता है. लेकिन ये प्लास्टिक की परत के साथ रिएक्ट नहीं करता है. यही कारण है कि NaOH को आमतौर पर प्लास्टिक के कंटेनरों में स्टोर किया जाता है.

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