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वो ट्रेन हादसा, जिससे 'राजपूतों की अस्मिता' नहीं जुड़ी, मगर लोग मरे

उत्तर प्रदेश में तीन महीने के भीतर ये दूसरा ट्रेन हादसा है. जानिए पिछले एक्सीडेंट्स के बारे में भी.

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हादसे के बाद रेल और उसे देखते लोग

खबरें दो तरह की होती हैं. पहली- ऐसा हुआ. दूसरी- ऐसा फिर से हुआ. मजे की बात ये है कि हमारे यहां इस 'फिर' का ज्यादा लोड नहीं लिया जाता. तो पहले पहली कैटेगरी वाली खबर जानिए. फिर 'फिर' कैटेगरी वाली खबर बताएंगे. 24 नवंबर को यूपी के चित्रकूट में मानिकपुर रेलवे स्टेशन के पास सुबह सवा चार बजे वास्को डि गामा एक्सप्रेस ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए. ये ट्रेन गोवा के मडगांव स्टेशन से चलकर पटना स्टेशन जा रही थी. इस हादसे में अब तक तीन लोगों की मौत और 13 लोगों के घायल होने की खबर है.

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हादसे के बाद ट्रेन के बाहर लोग
हादसे के बाद ट्रेन के बाहर लोग

उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) के मुताबिक शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि रेलवे ट्रैक में दरार होने की वजह से बोगियां पटरी से उतर गईं. कुछ रिपोर्ट्स में पटरी टूटने की बात भी कही जा रही है. मरने वाले तीन लोगों में से दो की पहचान बेतिया (बिहार) के बाप-बेटे दीपक और रामस्वरूप के तौर पर हुई है. तीसरे मरने वाले के बारे में कोई जानकारी नहीं है. दीपक और रामस्वरूप की मौत मौके पर ही हो गई थी, जबकि तीसरा व्यक्ति की हॉस्पिटल में मौत हुई. इस हादसे में सबसे ज्यादा नुकसान स्लीपर वाले डिब्बों का हुआ है.


लगातार हो रहे ट्रेन हादसे सरकार की कोशिशों को धता बता रहे हैं
लगातार हो रहे ट्रेन हादसे सरकार की कोशिशों को धता बता रहे हैं

चित्रकूट के एसपी गोपेंद्र सिंह के मुताबिक राहत और बचाव का काम चल रहा है और कोई भी यात्री डिब्बों में फंसा नहीं है. हालांकि, एक रिपोर्ट ये भी कहती है कि हादसे के बाद सुबह 9 बजे तक भी राहत कार्य शुरू नहीं हो पाया था. रेलवे अधिकारी भी हादसे वाली जगह पहुंचे हैं. बताया जा रहा है कि इस ट्रेन में पुरानी तकनीक से बने ICF कोच थे, इसी वजह से डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़ गए. अगर कोच जर्मन तकनीक से बने LHB कोच होते, तो इस हादसे का स्केल कम किया जा सकता था.

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सरकार मुआवजा देगी, लेकिन लोगों की सुरक्षा का क्या
सरकार मुआवजा देगी, लेकिन लोगों की सुरक्षा का क्या

उत्तर मध्य रेलवे के PRO अमित मालवीय के मुताबिक S-3 से S-11 तक के स्लीपर डिब्बे, दो जनरल डिब्बे और दो एक्स्ट्रा कोच पटरी से उतरे. चित्रकूट में हुए इस ट्रेन से महज़ 12 घंटे पहले ही लखनऊ के पास एक बोलेरो पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई थी, जिस हादसे में चार की मौत हो गई और दो घायल हो गए. वहीं ओडिशा के जगतसिंहपुर में भी गुआली रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई. इसके 14 डिब्बे पटरी से उतरने की खबर है, लेकिन किसी के घायल होने की खबर नहीं है.


हादसे के बाद ली गई एक तस्वीर
हादसे के बाद ली गई एक तस्वीर

हादसे के बाद रेलवे की तरफ से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर

इलाहाबाद: 0532-1072, 0532-2408149, 2408128, 2407353. मिर्जापुर: 05442-1072, 05442-220095, 220096. चुनार: 05443-1072, 05443-222487, 222137, 290049. रेलवे: 0532-2226276 चित्रकूट पुलिस: 0519-8236800

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सरकार से फिर वही झुनझुना

हादसे के बाद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने मरने वालों को पांच लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है. गंभीर रूप से घायलों को एक लाख और कम घायल लोगों को 50 हज़ार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. लोगों को कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि ये पद्मावती फिल्म या राजपूतों की अस्मिता से जुड़ा मामला नहीं है.

तालियां.


रेलमंत्री पीयूष गोयल
रेलमंत्री पीयूष गोयल

अब 'फिर' वाली कहानी समझो, यूपी के ही और ट्रेन हादसे

अभी तीन महीने पहले 19 अगस्त को ही यूपी के मुजफ्फरनगर में भीषड़ रेल हादसा हुआ था. पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन मुजफ्फरनगर के खतौली रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गई थी. ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतरकर आसपास बने घरों और स्कूल में घुस गए थे. इस हादसे में 23 लोगों की मौत हुई थी.

इसके बाद 7 सितंबर को भी हावड़ा से जबलपुर जा रही शक्तिपुंज एक्सप्रेस का इंजन और 6 डिब्बे सोनभद्र के फफराकुंड स्टेशन के पास पटरी से उतर गए थे. इसमें कोई घायल नहीं हुआ था.


कलिंग उत्कल ट्रेन हादसे की एक तस्वीर
कलिंग उत्कल ट्रेन हादसे की एक तस्वीर

यूपी में बीते सालों में हुए बड़े ट्रेन हादसे

1 अक्टूबर 2014 को गोरखपुर में क्रॉसिंग पर दो ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर हुई, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई. 20 मार्च 2015 को रायबरेली के बछरावां के पास देहरादून-वाराणसी एक्सप्रेस हादसा हुआ, जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई. 20 नवंबर 2016 को कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसा हुआ, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई. 20 फरवरी 2017 को टुंडला में कालिंदी एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई.

सरकार, आप माई-बाप हो. मुआवजा नहीं, सुरक्षा चाहिए. अतिरेक भले हो, अतिशयोक्ति नहीं है. पर अब ट्रेन से चलने से पहले एक्सीडेंट का ख्याल आता है.



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