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मथुरा के मंदिर की देखभाल करने वाला शख्स करोड़ों रुपये लेकर भागा, 3 बोरी नोट पकड़ने के बाद भी सब नहीं मिले

Uttar Pradesh के मथुरा में ‘मुकुट मुखारबिंद मंदिर’ का एक सेवायत करीब 1 करोड़ 9 लाख रुपए लेकर फरार हो गया. कैसे अपने साथी को बीच रास्ते चकमा देकर निकल लिया दिनेश चंद्र?

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‘मुकुट मुखारबिंद मंदिर मानसी गंगा’ का सेवायत अभी भी नहीं मिला. (यूट्यूब ग्रैब)

उत्तर प्रदेश के मथुरा के गोवर्धन स्थित ‘मुकुट मुखारबिंद मंदिर’ के सेवायत के घर से पुलिस ने करीब 72 लाख रुपए बरामद किए हैं. सेवायत 29 जुलाई को मंदिर का एक करोड़ 9 लाख रुपए लेकर फरार हो गया था. यह राशि मंदिर को दान में मिली थी. इस मामले में मंदिर प्रबंधन ने उसके खिलाफ गोवर्धन थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया था. 

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में केस दर्ज कर मथुरा पुलिस ने जांच शुरु की. और SSP शैलेश पांडे के निर्देश पर जब मंदिर के सेवायत दिनेश चंद्र के घर पर छापा मारा गया तो वहां से 71 लाख 92 हजार 710 रुपए बरामद हुए. पुलिस मंदिर के प्रबंधक चंद्र विनोद कौशिक और यूनियन बैंक के प्रबंधक कमलेश कुमार के साथ दिनेश चंद्र के घर पहुंची. यहां पुलिस को एक कमरे में 3 बोरी रखी दिखाई दीं. जब इन बोरियों को खोला गया तो उनमें नोटों की गड्डियां भरी थीं. इसके बाद पुलिस ने नोट गिनने की मशीन मंगाई. इसमें एक बोरी में 3 लाख 40 हजार, दूसरी बोरी में 25 लाख 70 हजार और तीसरी बोरी में 42 लाख 82 हजार 710 रुपए मिले.

29 जुलाई को ‘मुकुट मुखारबिंद मंदिर मानसी गंगा' के प्रबंधक चंद्र विनोद कौशिक ने गोवर्धन थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. चंद्र विनोद कौशिक की शिकायत के मुताबिक दिनेश और चंद्र विनोद दोनों यूनियन बैंक में पैसे जमा करने जा रहे थे. रास्ते में दिनेश ने कुछ बहाना बनाया. और रुपए लेकर गायब हो गया. उन्होंने उसे कई बार फोन किया. लेकिन उसका फोन बंद आ रहा था. इसके बाद वे दिनेश के घर पहुंचे. लेकिन वह वहां भी नहीं मिला.

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पुलिस ने 1 करोड़ 9 लाख में से 71 लाख 92 हजार रुपए बरामद कर लिए हैं. और बाकी पैसों के बारे में जानकारी जुटाने में लगी हुई है. और साथ ही फरार सेवायत दिनेश चंद्र को भी तलाश कर रही है. गोवर्धन के मंदिरों में हर महीने सेवा का ठेका उठता है. जुलाई महीने का ‘मुकुट मुखारबिंद मंदिर मानसी गंगा’ की सेवा और भेंट का ठेका दिनेश चंद्र ने लिया था.

नोट:- इस खबर के टाइटल में आरोपी शख्स के लिए पहले 'पुजारी' लिखा गया था, जबकि आरोपी शख्स मंदिर का सेवादार (सेवायत) है.

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