अमेरिका ने भारत को बड़ा झटका दिया है. ट्रंप प्रशासन ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर काम करने के लिए प्रतिबंधों पर दी गई छूट को हटा लिया है. यह फैसला 29 सितंबर से लागू होगा, जिससे भारत भी प्रभावित होगा. बता दें कि इस पोर्ट के एक टर्मिनल का ऑपरेशन भारत संभालता है.
अमेरिका ने दिया भारत को झटका, चाबहार पोर्ट पर सैंक्शन में मिलने वाली छूट खत्म
टैरिफ समस्या को सुलझाने की कोशिशों के बीच अमेरिका ने भारत को एक और झटका दे दिया है. अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट मेंं काम करने के लिए प्रतिबंधों में दी गई छूट को समाप्त करने का फैसला किया है. यह 29 सितंबर से लागू होगा. जानें इससे भारत पर क्या असर होगा.


अमेरिका ने 2018 में चाबहार पोर्ट पर काम करने के लिए भारत समेत अन्य देशों को प्रतिबंधों से छूट दी थी. हालांकि गुरुवार को जारी एक आदेश के अनुसार 29 सितंबर से यह छूट पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. अमेरिका ने कहा कि ईरान को अलग-थलग करने के लिए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मैक्सिमम प्रेशर पॉलिसी के तहत यह फैसला किया गया है. इंडियन एक्स्प्रेस ने अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता थॉमस पिगोट के हवाले से बताया,
ईरानी शासन को अलग-थलग करने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प की मैक्सिमम प्रेसर पॉलिसी के तहत विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के रिकंस्ट्रक्शन में मदद और आर्थिक विकास के लिए ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (आईएफसीए) में दी जा रही छूटों को रद्द कर दिया है. यह 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी है. एक बार छूट रद्द हो जाने के बाद जो लोग चाबहार पोर्ट का संचालन करते हैं या आईएफसीए में बताए गए अन्य काम करते हैं, उन पर आईएफसीए के तहत प्रतिबंध लग सकता है.
इस फैसले से भारत रणनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभावित होगा. गौरतलब है कि भारत ने मई 2024 में ईरान के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का ऑपरेशन अपने हाथों में लिया था. भारत ने पहली बार विदेश के किसी पोर्ट का मैनेजमेंट संभाला था. भारतीय पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड इसका संचालन कर रही थी.
इससे पहले भारत ने 2016 में पोर्ट के संचालन को लेकर ईरान के साथ समझौता किया था, जिसे हर साल रिन्यू किया जाता था. भारत के लिए यह पोर्ट रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पोर्ट के माध्यम से भारत को पाकिस्तान को बाईपास करने का विकल्प मिल जाता है. भारत चाबहार पोर्ट का उपयोग करके पाकिस्तान से लेकर मध्य एशिया तक सीधे व्यापार कर सकता है.
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पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पहली बार साल 2003 में ईरान को इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया था. भारत की योजना थी कि इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के जरिए रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाई जा सके. भारत बीते सालों में कई अहम शिपमेंट की सप्लाई इस पोर्ट के जरिए कर चुका है.
भारत ने 2023 में इसी पोर्ट के माध्यम से अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं की मदद भेजी थी. 2021 में ईरान को इसी रास्ते से पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशक पहुंचाए गए थे. हालांकि अमेरिका के हालिया फैसले से भारत के लिए चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि भारतीय कंपनियां अब अगर इस पोर्ट का इस्तेमाल करती हैं तो अमेरिका उन पर प्रतिबंध लगा सकता है.
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