चर्चित मूर्तिकार अरुण योगीराज और उनके परिवार को अमेरिका ने वीजा देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने एसोसिएशन ऑफ कन्नड़ कूटस ऑफ़ अमेरिका की तरफ से आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन-2024 में भाग लेने के लिए आवेदन किया था. लेकिन उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया. अरुण योगीराज वही मूर्तिकार हैं जिनकी बनाई ‘राम लला’ की मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित है.
अमेरिका ने 'राम लला' की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज का नहीं दिया वीजा
अमेरिकी राज्य वर्जीनिया के रिचमंड में विश्व कन्नड़ सम्मेलन-2024 आयोजित किया जा रहा है. अरुण योगीराज को वीजा देने से क्यों इनकार किया गया है, इसे लेकर अमेरिकी दूतावास ने अभी तक कोई कारण नहीं बताया है.

इंडिया टुडे से जुड़े नागार्जुन द्वारकानाथ के इनपुट्स के मुताबिक अमेरिकी राज्य वर्जीनिया के रिचमंड में विश्व कन्नड़ सम्मेलन-2024 आयोजित किया जा रहा है. अरुण योगीराज को वीजा देने से क्यों इनकार किया गया है, इसे लेकर अमेरिकी दूतावास ने अभी तक कोई कारण नहीं बताया है. वहीं इंडिया टुडे से बातचीत में अरुण योगीराज के परिवार ने कहा है कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, वे अगले साल फिर आवेदन करेंगे. यह वैसे भी पर्यटन वीजा था.
अरुण को राम की मूर्ति बनाने के लिए क्या निर्देश मिले थे?राम लला की मूर्ति बनाने से पहले ही अरुण योगीराज अपनी कला से प्रसिद्ध हो चुके थे. लेकिन राम के बाल रूप को मूर्ति में ढालने के बाद उनका नाम दुनियाभर में चर्चा में आया. राम मंदिर के ट्रस्ट ने राम की मूर्ति बनाने के लिए तीन लोगों को चुना था- अरुण योगीराज, जीएल भट्ट और सत्यनारायण पांडे. मूर्ति बनाने के लिए जो निर्देश दिए गए थे, उनमें से प्रमुख निर्देश इस प्रकार थे,
- राम का जो चेहरा बनेगा वो हंसते हुए दिखना चाहिए.
- मूर्ति दिखने में ‘दिव्य’ लगनी चाहिए.
- मूर्ति बाल रूप (5 साल के राम) की होनी चाहिए.
- मूर्ति का लुक प्रिंस या युवराज का होना चाहिए.
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‘शिल्प शास्त्र’ की मदद लीनिर्देश मिलने के बाद अरुण योगीराज ने सबसे पहले मूर्ति का रेखाचित्र पर बनाया. इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार योगीराज ने मूर्ति के चेहरे को बनाने के लिए ‘शिल्प शास्त्र’ की मदद ली. आंखें, नाक, ठुड्डी, होंठ, गाल आदि को योगीराज ने बड़े ध्यान से बनाया. उन्होंने चेहरे और शरीर की विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए मानव शरीर रचना से जुड़ी विज्ञान की किताबें भी पढ़ीं. यही कारण है कि मूर्ति दिखने में असल व्यक्ति जैसी नजर आती है. खासकर 'राम लला' की आंखें, जिन्हें देखकर लगता है कि वो सीधे आपको ही देख रहे हैं. आंखों के बारे में अरुण की पत्नी विजेता ने इंडिया टुडे को बताया,
“अरुण के हाथों में जादू है. उन्हें ये निर्देश दिए गए थे कि मूर्ति को कैसे दिखना है. पर बाकी सब उनकी कल्पना है.”
चूंकि राम की मूर्ति को पांच साल के बाल रूप में बनाया जाना था, इसलिए अरुण योगीराज ने इस पर खास ध्यान दिया. वो 5 साल के बच्चों के बारे में जानने के लिए अलग-अलग स्कूल्स गए. कई दिनों तक 5 साल के बच्चों पर रिसर्च की.
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