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कोर्ट में ये लड़ाई ट्रंप हारे तो लौटाने होंगे 8.5 लाख करोड़ रुपये, भारत को होगा तगड़ा फायदा

US President Donald Trump के Tariff के फैसले को अमेरिका के कई छोटे बिजनेसेज और अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने कोर्ट में चुनौती दी है. अगर सुप्रीम कोर्ट टैरिफ को अमान्य बताते हुए सरकार के खिलाफ फैसला सुनाता है तो इसका असर अमेरिका समेत पूरी दुनिया पर होगा.

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अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के टैरिफ की वैधता पर सुनवाई करेगा. (Photo: ITG/File)

टैरिफ के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लग सकता है. वहीं भारत समेत दुनिया भर के अन्य देशों को, जिन पर यह टैरिफ लगाए गए हैं, उन्हें राहत मिल सकती है. दरअसल, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट बुधवार, 5 नवंबर से ट्रंप प्रशासन की ओर से लगाए गए टैरिफ की वैधता पर सुनवाई करने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि ट्रंप ने जिन इमरजेंसी शक्तियों का इस्तेमाल करके टैरिफ लगाए हैं, वह सही हैं या नहीं, और क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने कानून का गलत इस्तेमाल किया है.

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डॉनल्ड ट्रंप ने अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) के तहत दूसरे देशों से आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाए थे. यह कानून अमेरिका के राष्ट्रपति को इमरजेंसी में किसी देश से सामान मंगाने पर रोक लगाने या उस पर टैक्स लगाने का अधिकार देता है. ट्रंप के टैरिफ के फैसले को कई छोटे बिजनेसेज और अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने कोर्ट में चुनौती दी थी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस मामले में तीन निचली अदालतें पहले ही ट्रंप प्रशासन के खिलाफ फैसला सुना चुकी हैं.

दुनिया भर में होगा असर

अब अगर सुप्रीम कोर्ट भी टैरिफ को अमान्य बताते हुए सरकार के खिलाफ फैसला सुनाता है तो इसका असर अमेरिका समेत पूरी दुनिया में होगा. रिपोर्ट के मुताबिक अगर ट्रंप प्रशासन यह मुकदमा हार जाता है तो उसे अब तक वसूले गए टैरिफ को वापस करना होगा. यह रकम लगभग 100 अरब डॉलर (साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा) है. फैसले का असर उन ट्रेड डील पर भी होगा, जो अमेरिका ने दूसरे देशों पर टैरिफ का दबाव डालकर की हैं. इनमें यूरोपीय संघ के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं, जिन्होंने टैरिफ में छूट पाने के लिए अमेरिका की कई शर्तों को मानते हुए ट्रेड डील की थीं.

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भारत पर क्या होगा असर?

सुप्रीम कोर्ट अगर अमेरिकी सरकार के खिलाफ फैसला सुनाता है तो भारत के लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है. भारत अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों नें से एक है. उस पर अमेरिका ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है. इसकी वजह से सितंबर में भारत से अमेरिका को किया गया एक्सपोर्ट 12 फीसदी तक घट गया. कई भारतीय एक्सपोर्टर्स इससे प्रभावित हुए. उन्होंने सरकार से राहत उपायों की मांग की थी. ऐसे में टैरिफ खत्म होने से एक्स्पोर्टर्स को बड़ी राहत मिलेगी.

ट्रेड डील पर भी मिल सकती है रियायत

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर भारत की अमेरिका के साथ होने वाली ट्रेड डील पर भी पड़ेगा. दोनों देशों के बीच लंबे समय से इस डील पर बातचीत चल रही है. अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाकर लगातार उस पर दबाव डालने की कोशिश की है. साथ ही टैरिफ से रियायत के बदले कई ऐसी मांगें की हैं, जिन्हें मानना भारत के लिए आसान नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अमेरिका अपने प्रोडक्ट्स खासकर एग्रीकल्चर सेक्टर की भारतीय बाजार में पहुंच बढ़ाना चाहता है. वह लगातार अपने आनुवंशिक रूप से संशोधित यानी Genetically Modified सोया और मक्का को भारत में बेचने की अनुमति मांग रहा है. लेकिन भारत इसके लिए राजी नहीं है, क्योंकि इससे यहां के किसान प्रभावित हो सकते हैं. सरकार के लिए भी यह एक संवेदनशील मुद्दा है. ऐसे में अगर कोर्ट के फैसले के बाद टैरिफ अमान्य हो जाता है तो भारत के ऊपर से इसका दबाव हट जाएगा और वह अधिक संतुलित डील करने पर जोर दे सकता है.

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ट्रंप ने प्लान 'बी' भी बनाया है

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सुप्रीम कोर्ट IEEPA के इस्तेमाल पर रोक लगाता है तो ट्रंप सेक्शन 232 को नया हथियार बना सकते हैं और टैरिफ जारी रख सकते हैं. Section 232 राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को टैक्स लगाने की इजाजत देता है. हाल ही में अमेरिका ने इस सेक्शन के तहत एल्युमीनियम, कार और उसके पुर्जे, कॉपर, फर्नीचर, लकड़ी, स्टील जैसे प्रोडक्ट पर टैरिफ बढ़ाए भी थे. यह कानूनी रूप से ज्यादा सुरक्षित भी है, क्योंकि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होने के कारण इस पर विचार करने से इनकार कर दिया है. 

हालांकि, रिपोर्ट में भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि भारत इससे ज्यादा चिंतित नहीं है, क्योंकि इस कानून के तहत सभी देशों पर टैरिफ लागू होते हैं, ऐसे में कोई भी देश कॉम्पटीशन से बाहर नहीं होता.

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