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'हम पाकिस्तान से संबंध और अच्छे करना चाहते हैं, पर भारत... ' अमेरिका ने अब तो सब साफ बोल दिया

हाल के समय में अमेरिका और पाकिस्तान काफी नजदीक आते दिखे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि क्या अमेरिका अब भारत के साथ अपने संबंधों को उतना महत्व नहीं दे रहा. इस पर अमेरिकी विदेश मंत्री से सवाल पूछा गया. जवाब में उन्होंने सब साफ-साफ बता दिया.

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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ (बाएं) और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर (दाएं) के साथ ट्रंप की तस्वीर. (Photo: File/ITG)

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है, लेकिन भारत के साथ संबंधों की कीमत पर नहीं. अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान से उसकी नजदीकी लगातार बढ़ती जा रही है. मार्को रूबियो ने आसियान समिट में पहुंचने से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए यह बयान दिया.

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आसियान समिट मलेशिया में हो रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इसमें पहुंचे हैं. भारत भी इस समिट में हिस्सा ले रहा है. पीएम मोदी ने रविवार, 26 अक्टूबर को वर्चुअली इस समिट को संबोधित किया. वहीं भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर समिट में हिस्सा लेने के लिए मलेशिया पहुंच चुके हैं. सोमवार, 26 अक्टूबर को उन्होंने मार्को रूबियो से मुलाकात भी की.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने क्या कहा?

इससे पहले मार्को रुबियो से पाकिस्तान के साथ अमेरिका के बढ़ते संबंधों और भारत पर पड़ने वाले इसके प्रभाव से जुड़ा एक सवाल पूछा गया था. इसके जवाब में उन्होंने कहा,

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भारत स्पष्ट कारणों से चिंतित है, लेकिन अमेरिका भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी का महत्व समझता है. मुझे लगता है कि उन्हें (भारत को) यह समझना होगा कि हमें कई अलग-अलग देशों के साथ संबंध रखने हैं. हम पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने का एक अवसर देखते हैं. मुझे लगता है कि कूटनीति और इस तरह की चीज़ों के मामले में भारतीय बहुत परिपक्व है. देखिए, उनके कुछ ऐसे देशों के साथ रिश्ते हैं, जिनके साथ हमारे रिश्ते नहीं हैं. इसलिए, यह एक परिपक्व (मैच्योर) और व्यावहारिक (प्रैक्टिकल) विदेश नीति का हिस्सा है. मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के साथ हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह भारत के साथ हमारे गहरे, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संबंधों या दोस्ती की कीमत पर है.

रूसी तेल खरीदने पर भी दिया जवाब

इसके बाद मार्को रूबियो से पूछा गया कि क्या भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के लिए रूसी तेल खरीदना कम करेगा. इस पर रुबियो का दावा है कि भारत पहले ही कह चुका है कि वह अपने तेल खरीदने के स्रोत (Source) में विविधता (Diversity) लाना चाहता है. यानी रूबियो के अनुसार भारत रूस के अलावा और भी जगहों से अपनी तेल की सप्लाई जारी रखना चाहता है. उन्होंने कहा,

अगर वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं तो जितना ज़्यादा वे हमसे खरीदेंगे (तेल), उतना ही ज़्यादा वे किसी और से खरीदेंगे. लेकिन मैं पहले से कोई धारणा नहीं बनाऊंगा. मैं ट्रेड डील पर बातचीत नहीं कर रहा हूं. इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा. लेकिन मुझे पता है कि उन्होंने (भारत ने) इन सब बातों के सामने आने से पहले ही अपने तेल पोर्टफोलियो में विविधता लाने की इच्छा जाहिर कर दी है. लेकिन, हम देखेंगे कि हम इस सब पर क्या निष्कर्ष निकालते हैं.

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एस जयशंकर ने की रूबियो से मुलाकात

इधर, सोमवार, 27 अक्टूबर को आसियान समिट के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने मार्को रूबियो से मुलाकात की. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए इसकी जानकारी दी. एस जयशंकर ने कहा कि आज सुबह कुआलालंपुर में सेक्रेटेरी रूबियो से मिलकर खुशी हुई. हमारे द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हुई चर्चा की सराहना की.

यह भी पढ़ें- फिर जागा ट्रंप का 'पाकिस्तान प्रेम', आसिम मुनीर और शहबाज शरीफ को बताया ‘महान’

बता दें कि हाल के समय में भारत और अमेरिका के रिश्तों में थोड़ी खटास आई है. इसकी मुख्य वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के वह बयान, जिसमें उन्होंने टैरिफ, ट्रेड और रूसी तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत को कई बार निशाना बनाया. वहीं ट्रंप ने बार-बार पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध रुकवाने का भी दावा किया. हालांकि, भारत इससे लगातार इनकार करता आया है. ट्रंप के मामले में भारत ने अब तक संयमित रुख अपनाया है और कूटनीति के जरिए मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है.

वीडियो: पाकिस्तान और अमेरिका के बीच मिसाइल डील होने वाली है, भारत पर क्या असर होगा?

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