उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद (Moradabad) में समाजवादी पार्टी (SP) को दी गई सरकारी कोठी का आवंटन रद्द कर दिया गया है. ये कोठी साल 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित की गई थी. वर्तमान समय में इस कोठी में सपा का जिला कार्यालय संचालित हो रहा है.
मुलायम सिंह को मिली कोठी 31 साल बाद खाली करनी पड़ेगी, पता है इसका किराया इतनी चर्चा में क्यों है?
यह कोठी साल 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और सपा संस्थापक Mulayam Singh Yadav के नाम पर आवंटित की गई थी. जिसका किराया अब काफी चर्चा में है. अब इस कोठी को खाली करने का आदेश दिया गया है. प्रशासन ने इसके पीछे की वजह भी बताई है.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला प्रशासन ने सपा की स्थानीय इकाई को 30 दिनों के भीतर यह कोठी खाली करने का आदेश दिया है. यह कोठी लगभग 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैली हुई है. जो मुरादाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस क्षेत्र में ग्राम छावनी के पास बनी हुई है. इस इलाके में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज समेत कई सरकारी संस्थान मौजूद हैं. इस कोठी का स्वामित्व राज्य सरकार के पास है. जब ये कोठी आवंटित की गयी थी, तब से इसका किराया 250 रुपये प्रति माह है.
प्रशासन ने क्या वजह बताई?प्रशासन ने बताया कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद कोठी का नामांतरण (म्यूटेशन) नहीं कराया गया. इसलिए प्रशासन ने कोठी खाली कराने का आदेश दिया. प्रशासन के मुताबिक, नियम कहते हैं कि किसी सरकारी आवंटन के मूल लाभार्थी की मृत्यु होने पर संपत्ति का नामांतरण जरूरी होता है. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. अधिकारियों का कहना है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और विभागों की जरूरतों के लिए भवन की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए भूमि की जरूरत को ध्यान में रखकर कोठी वापस लेने का निर्णय लिया गया.
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ADM (फाइनेंस) ने समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष (मुरादाबाद) को नोटिस जारी किया. जिसमें कोठी को 30 दिनों के भीतर खाली करने का निर्देश दिया गया. नोटिस में कहा गया कि अगर दी गई समयसीमा के अंदर कोठी खाली नहीं की जाती, तो प्रशासन आगे की कानूनी कार्रवाई करेगा.
प्रशासन की इस कार्रवाई पर कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला नियमों के तहत लिया गया है, जबकि कुछ इसे राजनीतिक नजरिए से देख रहे हैं. हालांकि प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई सिर्फ नियमों के हिसाब से की गई है.
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