अमेरिकी राज्य मिसौरी की एक अदालत ने चीन को कोविड-19 महामारी छिपाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही कोर्ट ने चीन पर व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) के जमा स्टॉक पर कब्जा करने का आरोप भी लगाया. कोर्ट ने चीन को 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) का हर्जाना देने का आदेश दिया है.
'चीन ने कोरोना की बात छिपाई थी... ' अमेरिकी कोर्ट ने अब लगाया 2 लाख करोड़ का जुर्माना
USA News: अमेरिका के एक कोर्ट ने चीन को कोविड-19 महामारी छिपाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. इसके लिए चीन पर 2 लाख करोड़ पर जुर्माना लगाया गया है.
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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक मिसौरी स्थित कोर्ट के न्यायाधीश स्टीफन एन लिम्बाघ ने शुक्रवार, 07 मार्च को अपने फैसले में कहा,
“चीन ने महामारी के दौरान PPE की वैश्विक आपूर्ति पर कब्जा किया. और कोविड वायरस के बारे में गलत जानकारी दी. चीन ने राज्य और संघीय एकाधिकार विरोधी कानूनों का उल्लंघन किया. इससे मिसौरी को टैक्स रेवेन्यू में घाटा हुआ है. इसके अलावा PPE पर ज्यादा पैसे खर्च करने जैसे बड़े नुकसान झेलने पड़े.”
मिसौरी सरकार ने साल 2020 में चीनी कंपनी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और अन्य कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. इस मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि चीन ने PPE के उत्पादन, खरीद और निर्यात में हस्तक्षेप कर महामारी को और बढ़ावा दिया. रिपोर्ट के मुताबिक मिसौरी सरकार ने PPE पर 122 मिलियन डॉलर यानी 1 हजार करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए. वहीं टैक्स रेवेन्यू में 8 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा.
मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एंड्रयू बेली ने फैसले में कहा कि चीन ने दुनिया पर कोविड-19 फैलाने में भूमिका निभाई है. हम इसे जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम चीन से पूरा पैसा वसूलने के लिए उसकी संपत्तियां जब्त करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि चीनी स्वामित्व वाली संपत्तियों की पहचान कर रहे हैं. इसके बाद उन्हें जब्त करने के लिए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ काम करेंगे.
वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि चीन इस फैसले को स्वीकार नहीं करता. और न ही करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक आगे कहा कि इस मुकदमे का कोई कानूनी आधार नहीं है. अगर चीन के हितों को नुकसान पहुंचाया गया. तो हम अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबी कार्रवाई करेंगे.
कोविड-19 महामारी का पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन से सामने आया था. जनवरी 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था. इसके बाद मार्च में इसे महामारी करार दिया गया. फरवरी 2025 तक इस महामारी से दुनिया भर में 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
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