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किताबी बातें: बैल चलाने वाले दो बंजारे, जो इशारा ना करें तो पूरी मुग्ल की सेना हिल नहीं सकती थी

बैलों की संख्या थी एक लाख अस्सी हजार.

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वन में विचरने वाले, घूमने वाले वनचर, बिनचर, धीरे-धीरे बंजारे कहे जाने लगे. बंजारों और मुगलों से बंधा एक किस्सा हमें किताब में मिला. जी, आपकी याद ठीक जगह जा रही है, ताजमहल बनाने वाले शाहजहां. तो शाहजहां के वजीर आसफजहां जब सन 1630 में दक्खन आए थे तो उनकी फ़ौज का सामान दो बंजारों के बैल पर लदा था. बैलों की संख्या थी एक लाख अस्सी हजार. इन दोनों बंजारों के बिना शाही फ़ौज हिल नहीं सकती थी. आगे क्या हुआ, कैसे शाही फ़ौज दक्खिन पहुँची. देखें वीडियो.

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