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इन दोनों फोटोज में जो चीजें कॉमन दिख रही हैं वो हैं बर्बादी के निशान और दूसरा एक आर्क. सोशल मीडिया पर इन दोनों तस्वीरों के साथ मेसेज चलाया जाने लगा कि यह आर्क नागासाकी की दोनों घटनाओं के बाद भी ऐसे खड़ा है. आखिर यह बना किस चीज से है? इस आर्क की सच्चाई क्या है? सच्चाई यह है कि ये दोनों फोटो अगल-अगल आर्क की तस्वीरें हैं. पहली यानी ब्लैक एंड वाइट फोटो नागासाकी की है. 10 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी के फोटोग्राफर योसुके यमाहता ने परमाणु हमले के बाद यह फोटो क्लिक किया था. आर्क की दूसरी यानी कलर्ड फोटो नागासाकी की है ही नहीं. यह तस्वीर जापान के ऑटसुकी (ऑटसुची, Ōtsuchi ) शहर की है. ऑटसुकी शहर के कोज़ुकी (Kozuchi) श्राइन (धार्मिक स्थल) के बाहर का है. कोज़ुकी वहां का मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के कैमरामैन ने ये फोटो क्लिक की है. इसके अलावा एक बड़ी बात ये भी कि 2011 की सुनामी नागासाकी में नहीं आई थी. जापान के जिन शहरों में सुनामी ने तांडव मचाया था, उनमें नागासाकी का नाम है ही नहीं. जिन दो अलग-अलग जगहों पर ये आर्क हैं वो जापान के दो बिल्कुल अलग छोर पर हैं. दोनों के बीच लगभग 1800 किलोमीटर की दूरी है. कुल मिलाकर बात ये कि एक और बार फर्जी खबर मार्केट में है. भरोसा न कीजिए. ये भी पढ़ें: अगर पाकिस्तान ने हम पर परमाणु हमला कर दिया तो क्या होगा? बिना बिजली के ये आदमी अपने शरीर से बल्ब कैसे जला रहा है? पड़ताल: क्या अहमदाबाद में सरकार ने जानबूझकर मस्जिद तोड़ी? क्या 'हिंदू' महिलाओं ने छेड़छाड़ से परेशान होकर बुर्का पहन कर कांवड़ उठाई?
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