अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने H-1B वीजा के लिए सालाना 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) आवेदन शुल्क लगाने की घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं. ये फैसला भारतीयों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा, क्योंकि इस वीजा के सबसे ज्यादा लाभार्थी भारत से आते हैं.
अमेरिका में बाहर से काम करने आना है तो देने होंगे 88 लाख रुपये... ट्रंप ने एक और तगड़ी चोट दे दी
Donald Trump H-1B Order: ये फैसला भारतीयों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा, क्योंकि इस वीजा के सबसे ज्यादा लाभार्थी भारत से आते हैं.
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H-1B वीजा की कीमत में बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने 19 सितंबर को कहा,
हर H-1B वीजा के लिए सालाना एक लाख डॉलर का भुगतान करना होगा, और सभी बड़ी कंपनियां इसके लिए तैयार हैं. हमने उनसे बात की है.
अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने आगे कहा कि ये नीति अमेरिकी स्नातकों को प्राथमिकता देने के लिए है. उन्होंने कहा,
अगर आपको किसी को प्रशिक्षित करना है, तो हमारे महान विश्वविद्यालयों से हाल ही में स्नातक हुए अमेरिकियों को प्रशिक्षित करें. अमेरिकियों को प्रशिक्षित कीजिए. बाहर से लोगों को मत लाइए जो हमारी नौकरियां ले जाते हैं.
डॉनल्ड ट्रंप ने इस मामले पर संक्षिप्त टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है,
प्रौद्योगिकी क्षेत्र इस बदलाव का समर्थन करेगा. वो इस नए वीजा शुल्क से बहुत खुश होंगे.
हालांकि, खबर लिखे जाने तक अमेजन, एप्पल, गूगल और मेटा जैसी सबसे बड़ी टेक कंपनियों ने ट्रंप के इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
1990 के बाद से सबसे बड़ा बदलाव1990 में अमेरिका ने H-1B वीजा की शुरुआत कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए की थी. ट्रंप के इस फैसले को इस कार्यक्रम में हुआ अब तक का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है. वर्तमान में H-1B आवेदक लॉटरी में प्रवेश के लिए एक मामूली शुल्क का भुगतान करते हैं. और अगर उनका चयन हो जाता है, तो अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है, जो उस मामले के आधार पर कई हजार डॉलर तक हो सकता है. ज्यादातर मामलों में नौकरी देने वाली कंपनियां वीजा का खर्चा उठाती हैं.
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इस कंपनी को मिला सबसे ज्यादा H-1B वीजाआधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सभी स्वीकृत H-1B वीजा धारकों में 71 प्रतिशत भारत से आते हैं. चीन का हिस्सा 11.7 प्रतिशत है. H-1B वीजा आमतौर पर 3 से 6 साल की अवधि के लिए दिए जाते हैं. अमेरिका हर साल 85,000 H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम से जारी करता है. इस साल अमेजन को सबसे ज़्यादा (10,000 से अधिक) मंजूरी मिली. इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और गूगल का स्थान रहा. 'यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज' (USCIS) के अनुसार, कैलिफोर्निया में सबसे ज्यादा H-1B कर्मचारी रहते हैं.
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