हमारा छह लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल इस साल सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब से मिला था. जहां उन्होंने दो महीने के अंदर इस मसले का स्थायी समाधान निकालने का आश्वासन दिया था. दो महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक स्थायी समाधान को लेकर एक कदम भी नहीं उठाया गया है. हमारी नौकरी खत्म हुए नौ महीने हो चुके हैं. हमारे सामने अपनी जीविका चलाने की चुनौती है. हम इस मसले का स्थायी समाधान चाहते हैं. यही वजह है कि हम अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं.इस साल सितंबर में राज्य कैबिनेट ने नौकरी से निकाले गए टीचर्स को ग्रुप C के नॉन टेक्निकल पदों के लिए निकाली गई भर्ती में अवसर देने को मंजूरी दी थी. इसके अलावा सभी बर्खास्त शिक्षकों को 31 मार्च 2023 तक आयु में छूट को भी मंजूरी दी गई थी. उस समय राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि नौकरी से निकाले गए शिक्षकों को वैकल्पिक रोजगार देने के लिए चरणबद्ध तरीके से प्रयास किए जा रहे हैं.
त्रिपुरा में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों की क्या मांग है?
इस मसले पर सरकार ने क्या किया?
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अगरतला में धरने पर बैठे टीचर
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में 10 हजार से अधिक शिक्षक अपने परिवार के साथ धरने पर बैठे हैं. इन शिक्षकों को त्रिपुरा हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था. सितंबर 2020 में मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने इन्हें दिसंबर तक वैकल्पिक नौकरी देने का आश्वासन दिया था लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. जिसके बाद अब ये टीचर धरने पर बैठे हैं. क्यों निकाला गया नौकरी से?
राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आए शिक्षक और उनके परिवार के लोग अगरतला के सिटी सेंटर पर इकट्ठा हुए और यहीं धरने पर बैठ गए. ये शिक्षक चाहते हैं कि सरकार अपना वादा पूरा करे और इस मसले का स्थायी हल निकाले. मसला क्या है? मसला ये है कि 2014 में त्रिपुरा हाई कोर्ट ने 10,323 शिक्षकों की नियुक्ति ये कहते हुए रद्द कर दी थी कि इनकी भर्ती गलत तरीके से हुई है. इन टीचर्स की नियुक्ति अलग-अलग भर्तियों के जरिए हुई थी. इनमें ग्रेजुएट, अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट लेवल के टीचर शामिल हैं.
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ नौकरी से निकाले गए टीचर्स सुप्रीम कोर्ट गए. 2017 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. यहां से भी इन टीचर्स को झटका मिला और सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा. राज्य सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की और करीब 8000 टीचर्स को 31 मार्च 2020 तक ऐड हॉक पर बेसिस पर रखा. 31 मार्च के बाद फिर से ये टीचर बेरोजगार हो गए. राज्य सरकार क्या कर रही? धरने पर बैठे टीचर्स का कहना है कि उन्हें पहले की लेफ्ट सरकार और अब की बीजेपी सरकार दोनों ने धोखा दिया है. धरने में शामिल दलिया दास ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
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