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सुनंदा पुष्कर की मौत की कहानी जिसमें अब शशि थरूर पर केस चलेगा

5 साल पहले दिल्ली के एक होटल में मिली थी लाश.

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शशि थरूर. चलती-फिरती अंग्रेज़ी की डिक्शनरी, ब्रिटिशर्स के लिए बुरा सपना, तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद, और एक मौत के आरोपी. सुनंदा पुष्कर शशि थरूर की पत्नी थीं जिनकी लाश 17 जनवरी 2014 को दिल्ली के चाणक्यपुरी में लीला पैलेस होटल के कमरा नंबर 345 में मिली थी. ख़बर ये है कि शशि थरूर पर 21 फ़रवरी से केस चलना शुरू होगा. उनपर इंडियन पीनल कोर्ट के सेक्शन 498-A के तहत पति द्वारा महिला के साथ क्रूरता से पेश आने और सेक्शन 306 के तहत ख़ुदकुशी करने के लिए उकसाने के आरोप लगे हैं. शशि थरूर को अभी तक एक भी बार गिरफ़्तार नहीं किया गया है और उन्हें ज़मानत मिलती रही हैं.
इससे पहले मई 2018 में भाजपा के नेता और हर बड़े कानूनी मसले में कहीं न कहीं मौजूद रहने वाले सुब्रमनियम स्वामी ने कोर्ट से कहा था कि वो शशि थरूर के ख़िलाफ़ केस में सरकार की मदद करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने कोर्ट में अप्लीकेशन भी डाली थी. बाद में उनकी अप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया था.

क्या है सुनंदा पुष्कर का सारा मामला?

2010 - शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर की शादी हुई.
15 जनवरी 2014 - ट्विटर पर बवाल हुआ. शशि थरूर के ट्विटर अकाउंट से कुछ स्क्रीनशॉट्स पोस्ट हुए. मालूम पड़ा कि पाकिस्तान की जर्नलिस्ट मेहर तरार ने शशि थरूर को पर्सनल मेसेज भेजे थे, वो उसी के स्क्रीनशॉट्स थे. मेसेजेज़ 'पर्सनल' थे और उसमें मेहर ने ये लिखा था कि वो शशि से प्यार करती हैं. शशि थरूर ने थोड़ी ही देर में कहा कि उनका ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था और इसके बाद उनका अकाउंट डी-एक्टिवेट हो गया.
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मेसेजेज़ का स्क्रीनशॉट जो कि शशि थरूर के हैंडल से ट्वीट हुआ.

16 जनवरी 2014 - मेसेज के स्क्रीनशॉट आने के अगले रोज़ शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर और मेहर तरार के बीच ट्विटर पर जम कर तू-तू मैं-मैं हुई. इस दौरान सुनंदा ने मेहर पर उनके पति को स्टॉक करने के आरोप लगाये और मेहर को ISI एजेंट तक कह डाला. मेहर ने कहा कि सुनंदा अपना मानसिक संतुलन खो चुकी हैं.
17 जनवरी 2014 - सुनंदा पुष्कर लीला पैलेस होटल में मरी हुई मिलीं. शशि थरूर ने बताया कि जब वो काफ़ी देर तक नहीं जागीं तो उन्हें एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है. शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर कुछ वक़्त से होटल में ही रह रहे थे क्यूंकि उनके घर में मरम्मत का काम चल रहा था. पुलिस ने शुरुआत में ख़ुदकुशी की बात  कही और इस बात से भी इनकार नहीं किया कि सुनंदा की मौत दवाइयों के ओवरडोज़ से हो सकती है. उस दौरान सुनंदा का मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा था. सुनंदा को ल्यूपस एरिथिमाटोसस नाम की बीमारी थी. इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम इतना ज़्यादा एक्टिव हो जाता है कि शरीर के स्वस्थ टिश्यू को ही मारने लग जाता है.
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19 जनवरी 2014 - सुनंदा पुष्कर का पोस्टमार्टम एम्स में हुआ था. वहां के डॉक्टर्स ने बताया कि सुनंदा के शरीर पर 12 से ज़्यादा निशान थे. इसमें से एक उनके गाल पर था जो ये बताता है कि उनके चेहरे को तेज़ चोट पहुंची और साथ ही इंसानी दांतों से काटे जाने का एक निशान उनके बायें हाथ पर था. उनके शरीर में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे ये कहा जा सकता कि सुनंदा की मौत दवाइयों के ओवरडोज़ से हुई थी. उनके शरीर में 'एल्प्राज़ोलम' (एक एंटी-एन्ग्ज़ाइटी ड्रग की नाममात्र मात्रा में मौजूदगी मिली थी. डॉक्टर्स ने ये भी कहा कि उनकी मौत गैर-प्राकृतिक और अचानक हुई.
2 जुलाई 2014 - सुनंदा के पोस्टमार्टम को जिन डॉक्टर्स के पैनल ने किया था, उसके लीडर का नाम था डॉक्टर सुधीर गुप्ता. सुधीर ने लिखित रूप में ये बताया कि उनपर 'मामले को सुलटाने' और झूठी रिपोर्ट तैयार करने का दबाव बनाया जा रहा है. इसके बाद सुधीर गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि सुनंदा की देह पर 15 निशान थे जिसमें एक भी उनकी मौत का ज़िम्मेदार नहीं हो सकता. उनके शरीर पर एक इंजेक्शन का निशान भी था और दांतों से काटे जाने के भी कुछ निशान थे. इसके साथ ही ये भी मालूम चला कि सुनंदा के पेट में काफ़ी मात्रा में 'एल्प्राज़ोलम' मिला था.  'एल्प्राज़ोलम' असल में एंटी-एन्ग्ज़ाइटी ड्रग होता है. 19 जनवरी को आई रिपोर्ट में (ऊपर पढ़ें) लिखा था कि सुनंदा के पेट में 'एल्प्राज़ोलम' की काफ़ी छोटी मात्रा मिली थी.
10 अक्टूबर 2014 - मौत के लगभग 9 महीने बाद (सितम्बर 2014 में) एम्स के डॉक्टर्स ने शरीर के ऑर्गन्स की जांच रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी थी. सभी जांचों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी जिसे एम्स ने दिल्ली पुलिस को सौंपा था. पुलिस ने अक्टूबर में इसे अनिर्णायक बताया.
6 जनवरी 2015 - वो मौका जब ये केस सुसाइड से बदलकर मर्डर की तरफ़ मुड़ गया. दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा कि सुनंदा पुष्कर ने ख़ुदकुशी नहीं की है बल्कि मर्डर का केस है. दिल्ली पुलिस ने अनजान लोगों के ख़िलाफ़ केस रजिस्टर कर दिया.
फ़रवरी 2016 - दिल्ली पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने शशि थरूर से पूछताछ की. शशि थरूर ने ड्रग ओवरडोज़ की बात कही.
मार्च 2016 - मेहर तरार इंडिया आईं. उन्होंने कहा कि उन्हें सुनंदा की मौत के बारे में कुछ भी नहीं मालूम.
जुलाई 2017 - सुब्रमनियम स्वामी ने एक पीआईएल डाली जिसमें कोर्ट से दरख्वास्त की कि इस केस में कोर्ट की देख-रेख में सीबीआई की टीम जांच करे. दिल्ली हाई कोर्ट ने अक्टूबर में इस पीआईएल को ख़ारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये पूरी तरह से राजनीतिक उल्लू सीधा करने की कवायद है.
29 जनवरी 2018 - सुब्रमनियम स्वामी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. वहां भी उन्होंने स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम की बात कही. इसके साथ ही ये भी कहा कि ये जानते हुए कि मौत प्राकृतिक नहीं है, पुलिस को मामले में एक साल से ज़्यादा का वक्त सिर्फ़ एफ़आईआर दर्ज़ करने में ही लग गया. फ़रवरी में कोर्ट ने कहा कि वो दिल्ली के हाई कोर्ट की कही बात को संज्ञान में लेंगे.
15 मई 2018 - दिल्ली पुलिस ने शशि थरूर पर सुनंदा को ख़ुदकुशी करने के लिए उकसाने के चार्ज लगाए. 3 हज़ार पन्ने की चार्जशीट दायर हुई. चार्जशीट में ये भी लिखा था कि शशि थरूर अपनी पत्नी के साथ क्रूरता से पेश आते थे.
5 जून 2018 - शशि थरूर को दिल्ली में कोर्ट के सामने पेश होना पड़ा. थरूर ने कहा कि वो निर्दोष हैं और कोर्ट में सच्चाई सामने आकर ही रहेगी.
4 फ़रवरी 2019 - शशि थरूर के ख़िलाफ़ केस 21 फ़रवरी 2019 से शुरू होने की घोषणा.



अंत में, मामला यही है कि 21 फ़रवरी से जो अदालत के चक्कर  लगेंगे, उसमें सारा दबाव पुलिस पर ही होगा. चूंकि पहले सुसाइड केस कहने वाली पुलिस कुछ ही दिन के अंतर पर इस केस को मर्डर के एंगल से देखने लगी थी और फिर घूम-घुमा के सुसाइड पर आ गई है, इसलिए सबसे पहले उसे ही ये प्रूव करना होगा कि ये सुसाइड है. उसके बाद बिना सुनंदा के किसी सुसाइड नोट और किसी भी बयान के पुलिस को ये प्रूव करना होगा कि शशि थरूर ने उन्हें उकसाया था.