गुजरात के राजकोट में अस्पताल में लगी आग में 6 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने तीन सीनियर डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. (फोटो - पीटीआई)
गुजरात का राजकोट शहर. यहां के एक अस्पताल में आग लगी थी. इसकी वजह से 6 लोगों को मौत हो गई थी. अब इस सिलसिले में राजकोट पुलिस ने तीन सीनियर डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी गुजरात सरकार पर लिखित जवाब मांगा है. आइये जानते हैं, क्या है ये मामला.
क्या है पूरा मामला?
राजकोट के उदय शिवानंद कोविड अस्पताल में 26 नवंबर की रात को आग लगी थी. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, आग पहले आईसीयू में लगी. उसके बाद पूरे अस्पताल में फ़ैल गयी. इसे कोविड अस्पताल घोषित किया गया है. घटना के वक्त इस अस्पताल में कुल 33 मरीज भर्ती थे. इनमें से 11 मरीज आईसीयू में थे. आईसीयू के 5 मरीजों की आग के कारण मौत हो गई. दूसरे वॉर्ड में एक अन्य मरीज की भी जान चली गई. आग बुझाने के लिए कई दमकलों को लगाया गया. घंटों मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका. कई और मरीज़ घायल हुए थे, जिन्हें झुलसी हुई अवस्था में ही दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया. इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके अपनी संवेदनाएं व्यक्त की थीं.
गिरफ्तार किए गए डॉक्टर कौन हैं?
इस मामले को लेकर अब राजकोट के ही गोकुल अस्पताल के तीन डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है. गोकुल लाइफकेयर प्राइवेट लिमिटेड ही वो ट्रस्ट है, जो शिवानंद अस्पताल को चलाता है. गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों में प्रकाश मोढ़ा, डॉ. तेजस करमटा और डॉ. विशाल मोढ़ा हैं. पुलिस ने बताया है कि प्रकाश मोढ़ा इस ट्रस्ट के चेयरमैन हैं. विशाल मोढ़ा ने इस कोविड अस्पताल को खोलने के लिए अप्लाई किया था. डॉ. तेजस करमटा शिवानंद अस्पताल का रोज़ का कामकाज देखते थे. राजकोट के मालवीय नगर थाने के इंस्पेक्टर के.एन. भूकन की शिकायत पर एफआईआर दर्ज़ करके ये गिरफ्तारियां की गई हैं. आरोप है कि अस्पताल के संचालन के लिए जिम्मेदार इन डॉक्टरों ने लापरवाही बरती, जिसके कारण आग लगी और लोगों की जानें गईं.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से क्या कहा?
राजकोट के कोविड अस्पताल में आग की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में घटना के कारणों को छिपाने का कोई भी प्रयास नहीं होना चाहिए. घटना की रिपोर्ट से ज़ाहिर है कि आग लगने के पीछे इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम भी थीं, लेकिन रिपोर्ट में इनका कहीं ज़िक्र तक नहीं है. जांच के लिए जो कमिटी बनाई गयी थी, उसने भी अभी तक कुछ नहीं किया है. गुजरात सरकार ने मामले पर विस्तृत जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा है.