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अयोध्या भूमि विवादः आने वाला है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई थी सुनवाई.

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9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ ज़मीन रामलला विराजमान को दी और सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए अयोध्या में 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया. फाइल फोटो
अयोध्या भूमि विवाद. सुप्रीम कोर्ट 9 नवंबर 2019 यानी शनिवार को फैसला सुनाएगा. सुबह 10:30 बजे. सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को सुनवाई पूरी हो गई थी. पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. इस पूरे फैसले में जिन पांच जजों की बेंच फैसला लेने वाली है, उसमें शामिल हैं- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, और जस्टिस एसए नज़ीर. इस पूरे मामले में तीन बड़े पक्ष हैं- रामलला विराजमान, सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा. फैसले को देखते हुए देशभर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं. ये किसी हार-जीत नहीं होगी, सौहार्द बनाए रखें- पीएम मोदी फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के जरिए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने लिखा,
अयोध्या पर कल सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ रहा है. पिछले कुछ महीनों से सुप्रीम कोर्ट में निरंतर इस विषय पर सुनवाई हो रही थी, पूरा देश उत्सुकता से देख रहा था. इस दौरान समाज के सभी वर्गों की तरफ से सद्भावना का वातावरण बनाए रखने के लिए किए गए प्रयास बहुत सराहनीय हैं. देश की न्यायपालिका के मान-सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए समाज के सभी पक्षों ने, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने, सभी पक्षकारों ने बीते दिनों सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे स्वागत योग्य हैं. कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है.
  क्या है विवाद? अयोध्या में 2.77 एकड़ ज़मीन को लेकर विवाद है. ये विवाद वैसे पुराना है, लेकिन इसमें कोर्ट का दखल 1885 से शुरू हुआ. इसी विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को फैसला दिया था. कोर्ट ने 2.77 एकड़ ज़मीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान को बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. फैसले में कहा गया था कि जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. बचे हुए हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए. लेकिन फैसला किसी को मंजूर नहीं हुआ. और तीनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. इसके साथ ही यह भी कहा कि मामला लंबित रहने तक संबंधित पक्षकार विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखेंगे. अब सुप्रीम कोर्ट फैसला देने जा रहा है.

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